Mahakumbh 2025: महाकुंभ जा रहे हैं, तो इन 10 बातों को जरुर जान लें, नहीं होगी परेशानी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का आरंभ 13 फरवरी को हो चुका है. अब तक करीब 8 करोड़ लोग प्रयागराज में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ हर 12 साल में एक बार आता है, इसमें गंगा स्नान करने वालों के समस्त पाप धुल जाते हैं.
कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. यही वजह है कि महाकुंभ में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है. ऐसे में अगर आप भी महाकुंभ जाने का प्लान कर रहे हैं तो कुछ खास बातों का जरुर ध्यान रखें.
महाकुंभ जाने से पहले जान लें ये 10 बातें (Mahakumbh 2025 Important things)
- महाकुंभ जाने का सही समय- मुख्य आयोजन देखना चाहते हैं तो शाही स्नान के समय महाकुंभ आ सकते हैं. हालांकि इस दौरान भीड़ बहुत होती है. शनिवार-रविवार को भी आने से बचें, इन दिनों में भीड़ अधिक होती है.
- महाकुंभ में अब 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर शाही स्नान होगा. इसके बाद 3 फरवरी, 12 फरवरी और 26 फरवरी 2025 को शाही स्नान होगा.
- महाकुंभ में शाही स्नान के दिन साधु-संतों के स्नान के बाद ही संगम पर आस्था की डुबकी लगाएं.
- अगर आप महाकुंभ में टेंट सिटी में ठहरना चाहते हैं तो इसकी एडवांस बुकिंग करें. बुकिंग के लिए सिर्फ ऑफिशियल वेबसाइट का ही चयन करें, क्योंकि कई लोग बुकिंग के नाम पर ठग का शिकार हो रहे हैं. टेंट्स की बुकिंग यूपी टूरिज्म की वेबसाइट से करें. https://upstdc.co.in/Web/kumbh2025
- शाही स्नान के दिन आपको आम दिन के मुकाबले ज्यादा चलना होगा और ये 10-15 किलोमीटर तक भी हो सकता है. ऐसे में सिर्फ जरुरी सामान ही ले जाएं, हो सकते तो बैगेज कम रखें.
- महाकुंभ में स्नान के लिए हमेशा ऑथराइज्ड घाटों पर ही जाएं. बच्चों और बुजुर्गों के लिए पहचान बैंड या आईडी कार्ड बनाकर पहना दें.
- प्रयागराज महाकुंभ में अपना पहचान पत्र, होटल या लॉज का नाम और बुकिंग से जुड़ी डिटेल्स साथ रखें. दवाईयां, खाने का सामान भी रखें.
- अगर आपका अपना कोई व्यक्ति कुंभ में बिछड़ जाए तो प्रयागराज मेले के डिजिटल खोया-पाया केंद्र में संपर्क करें. हेल्पलाइन नंबर 1920 पर कॉल करके भी मदद मांग सकते हैं.
- प्रयागराज में महाकुंभ में स्नान के बाद आप यहां लेटे हुए हनुमान जी, वेणी माधव मंदिर, अक्षयवट मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, अलोपी माता मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं.
- स्नान के दौरान साबुन, शैंपू, या डिटर्जेंट का उपयोग न करें, क्योंकि इससे नदी की शुद्धता प्रभावित होती है.
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