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LAC पर भारत का स्टैंड क्लीयर, सिर्फ अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति मंजूर

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INDIA CHINA LAC: WMCC की बीजिंग में हुई बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का अगुवाई संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने की जबकि चीनी की तरफ से चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय मामलों के विभाग के मह…और पढ़ें

LAC पर भारत का स्टैंड क्लीयर, सिर्फ अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति मंजूर

LAC मुद्दे पर NSA अजीत डोवल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी फिर मिलेंगे

हाइलाइट्स

  • भारत-चीन सीमा विवाद पर 33वीं WMCC बैठक बीजिंग में हुई.
  • LAC पर 2020 की स्थिति बहाल करने पर चर्चा जारी.
  • NSA डोभाल और वांग यी फिर से मिलेंगे.

INDIA CHINA LAC: कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले 21 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्म करने के फैसला हुआ. डेमचोक और डेपसांग में डिसएंगेजमट पूरा हो चुका है. दोनों देशों की सेनाएं अपने इलाके में पेट्रलिंग भी कर रही है. लेकिन LAC पर चार इलाके जहां 2020 के बाद से बने सभी फ्रिक्शन प्वाइंट से डिसएंगेजमट पूरा हुआ वहां हालात जस के तस बने हुए है. मसलन पैंगोग, गलवान के पीपी-14, गोगरा और हॉट स्प्रिंग, यहां डिसइंगेजमेंट सबसे पहले हुआ लेकिन पेट्रोलिंग आज भी शुरू नहीं हो पाई. 18 दिसंबर को बीजिंग में बैठक में चर्चा हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. अब दूसरी बैठक इसी साल होनी है लेकिन अभी तक उसकी कोई तारीख तय नहीं हुई. भारत और चीन के बीच सीमा के मसले पर बनी WMCC की 33वीं बैठक बीजिंग में आयोजित की गई बैठक के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया. बयान में कहा गय कि इस बैठक में दोनों पक्षों ने इस साल के अंत में भारत में आयोजित होने वाली SR लेवल बातचीत के लिए साझा ठोस तैयारी करने पर सहमति जताई

पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक का नतीजा
साल 2020 में एक बार फिर से चीन ने वही 1962 वाली हिमाकत की लेकिन इस बार भारत तैयार था. नतीजा चीन को उलटे पैर वापस लौटना पड़ा और बातचीत के मेज पर आना पडा. चीन को रास्ते पर लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने मास्टर स्ट्रोक चला. पहले तो LAC पर चीनी आक्रमकता का जवाब देने के लिए सेना को पूरी छूट दी. खास तौर पर यह हिदायत दी की ग्राउंड पर किसी भी कार्रवाई के लिए दिल्ली की पर्मिशन का इंतेजार ना करे. आर्थिक तौर पर भी चीन पर कई पाबंदी लगाई गई. चीन के लिए घुटन इतनी बढ़ने लगी की उसे बातचीत के मेज पर आना ही पड़ा.

विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने बिछाई बिसात
विदेश मामलो के महिर विदेश मंत्री जयशंकर ने इस संवेदनशील मामले को सुलझाने की बहुत सोच समझ कर जमीन तैयार की. दुनिया के हर मंच पर इस मसले को मुखर तरीके से बोलते नजर आए. विदेश मंत्रालय सेना के साथ मिलकर माकूल हल निकालने का रोडमौप तैयार किया. ग्राउंड पर सेना दबाव बनाए हुए थी तो कूटनीति की मेज पर विदेश मंत्रालय ने. चीनी समकक्ष के साथ बात कर के एक फैसले पर पहुंचे की LAC पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल किया जाए. चुशुल और डेमचोक में डिस्एंगेजमेंट हुआ और दोनों सेनाओं की बंद हुए पेट्रोलिंग फिर से शुरू हुई.

भारतीय जेम्सबॉड ने आगे की कंधे पर आखिरी दांव
NSA अजीत डोभाल के कंधे पर आगे की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी ने डाली. सीमा विवाद को लेकर वो चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ स्पेशल रेप्रिजेंटेटिव के साथ सीमा विवाद का हल निकालने के लिए नियुक्त किए गए.पहली बैठक पिछले साल दिसंबर में बीजिंग में हुई. इस बैठक में छह सूत्रिय सहमती बनी. लेकिन 2020 से पहले की स्थिति और बफर जोन के मुद्दे पर बातचीत जरूर हुई लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला. अब LAC के मुद्दे पर दूसरी बार बातचीत 24वी स्पेशल रिप्रेजेंटिटिव की बैठक में दिल्ली में होगी.

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