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Bihar School: विभाग की अनदेखी से बच्चों के भविष्य पर मंडराया खतरा

Bihar School: सर पर बस्ते का बोझ उठाए, इस चिलचिलाती गर्मी में विद्यालय जाकर अपने सपनों को पूरा करने की जिद्द लगाए बच्चे इस बात से बेखबर नहीं हैं कि उनका भविष्य अंधकार में है.

एसीएस सिद्धार्थ भले ही एसी केबिन से वीडियो कॉल के जरिए मॉनिटरिंग कर लेते हों और शिक्षकों को रडार पर ले लेते हों, लेकिन जब गलती विभाग की हो तो क्या एसीएस साहब कुछ आदेश जारी करेंगे?

ऊपर लिखी लाइनें शिक्षा विभाग की कमियों को दर्शाने के लिए महज सारांश हैं. लेकिन आगे की कहानी में शिक्षा विभाग की पोलखोल रिपोर्ट है, एक अकेले शिक्षक के प्रयास की बानगी है, बच्चों के सुंदर भविष्य पर लग रहे ग्रहण की परिकल्पना है और शिक्षा विभाग से अपने भविष्य की बेहतरी के लिए गुहार लगाते इन बेबस बच्चों की हृदय विदारक बातें हैं.

क्या है कहानी
दरअसल, नालंदा में एक प्राथमिक विद्यालय है, जिसका नाम है प्राथमिक विद्यालय गोवा, काजीचक. यहां वर्ग 1 से 5 तक कुल 125 बच्चे नामांकित हैं. लेकिन इन 125 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 1 शिक्षक नियुक्त किया गया है. इस शिक्षक पर विभागीय कार्य की भी जिम्मेदारी है, जैसे फाइल लेकर डीईओ और डीपीओ दफ्तर पहुंचना, और साथ ही बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है. आगे की स्थिति क्या होगी, यह आप खुद सोच सकते हैं.

क्या कहते हैं शिक्षक
विद्यालय में नियुक्त शिक्षक अरविंद प्रसाद यादव बताते हैं कि वे वर्ष 2003 में शिक्षक बने. 2006 में सरकार ने सक्षमता परीक्षा ली, जिसे उन्होंने पास कर लिया. जब उन्होंने यहां ज्वाइन किया था, तब विद्यालय की स्थिति अच्छी थी और कुल 4 शिक्षक थे. लेकिन समय के साथ शिक्षा प्रणाली में बदलाव हुआ और विद्यालय की स्थिति भी बदलती गई. वर्ष 2021 में यहां केवल 1 शिक्षक रह गए. उसके बाद कभी-कभी प्रतिनियोजित शिक्षक सेवा देने आते थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह भी बंद हो गया. एक अकेले शिक्षक पर जिम्मेदारी बढ़ने से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है.

क्या करें शिक्षक
शिक्षक कहते हैं कि उन्होंने कई बार इस विषय की जानकारी अपने अधिकारियों को लिखित में दी है, लेकिन फिर भी यहां की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. वे उम्मीद करते हैं कि मीडिया में खबर चलने से इस विद्यालय की स्थिति में सुधार आएगा.

बेंच डेस्क की उपलब्धता 0, बाउंड्री वाल भी क्षतिग्रस्त
इस विद्यालय में बेंच डेस्क भी उपलब्ध नहीं हैं. सिर्फ यही समस्या नहीं है, बाउंड्री वाल का ना होना भी यहां के बच्चों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है. यहां छोटे बच्चे पढ़ते हैं और विद्यालय के पास से ही सड़क गुजरती है. ऐसे में बाउंड्री वाल के अभाव में बच्चों के साथ किसी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. यहां केवल एक शिक्षक हैं, जो पढ़ाने, विभाग के काम करने, रसोइया को सहयोग करने और बच्चों को कतारबद्ध करने जैसी कई जिम्मेदारियों का सामना करते हैं. इस स्थिति में उनसे हर उम्मीद पर खरा उतरने की अपेक्षा करना उचित नहीं है.

कब खुलेगी विभाग की नींद
बड़ा सवाल शिक्षा विभाग से है कि उसकी नींद कब खुलेगी? क्या नालंदा डीईओ की नजर में यह विद्यालय नहीं है? अगर है तो यहां सभी विषयों के शिक्षक क्यों नहीं हैं? यहां के बच्चों के साथ खिलवाड़ क्यों हो रहा है?

उम्मीद है कि विभाग इस ओर सकारात्मक कदम उठाएगा और अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करेगा.

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