DM ऑफिस पहुंची महिला, बीच सड़क पर पायल और चूड़ियों उतार कर बोली- अब बस…

Agency:News18 Rajasthan
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Bharatpur News: भरतपुर की बबीता, पति की मौत के बाद बच्चों की परवरिश कर रही हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने पर वह रोते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच गई और गहने सड़क पर रख दिए. जिसके बाद सड़क पर भीड़ लग गई.

बीच सड़क पर रोने लगी महिला
हाइलाइट्स
- बबीता ने सरकारी मदद न मिलने पर कलेक्ट्रेट में गहने सड़क पर रखे.
- एसडीएम ने बबीता को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया.
- बबीता जैसी महिलाएं सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
भरतपुर. भरतपुर के सूरजपुर की रहने वाली बबीता के लिए ज़िंदगी एक कठिन संघर्ष बन गई है. एक साल पहले सड़क हादसे में अपने पति को खोने के बाद वह अकेले अपने बच्चों की परवरिश कर रही हैं. वह मजदूरी करके जैसे-तैसे घर चला रही है लेकिन जीवन यापन की कठिनाइयां कम होने का नाम नहीं ले रही है. उसे उम्मीद थी कि सरकार की विधवा पेंशन और पालनहार योजना से थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बावजूद उसे कोई मदद नहीं मिली.
बबीता की शिकायत है कि वह कई बार अधिकारियों से मिली और आवेदन किया लेकिन हर बार उसे सिर्फ आश्वासन ही मिला. जब उसकी फरियाद अनसुनी रह गई तो हताश होकर वह जिला कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंच गई वहां सड़क के बीच बैठकर रोने लगी अपनी बेबसी और गुस्से का इजहार करते हुए उसने अपने गहने पायल और कंगन सड़क पर रख दिए मानो यह संकेत हो कि अब उसके पास बेचने के लिए और कुछ नहीं बचा है. उसके रोने की आवाज सुनकर राहगीरों और आसपास मौजूद लोगों की भीड़ जमा हो गई.
अधिकारों के लिए सरकारी दफ्तरों के काट कही चक्कर
स्थिति को भांपते हुए प्रशासन हरकत में आया और एसडीएम राजीव शर्मा तुरंत मौके पर पहुंचे, उन्होंने बबीता से बात की उसकी समस्या सुनी और सरकारी योजनाओं का लाभ जल्द दिलाने का आश्वासन दिया. यह केवल बबीता की कहानी नहीं है यह उन हजारों महिलाओं की सच्चाई है जो अपने अधिकारों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं. योजनाएं तो हैं पर उनका सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. बबीता जैसी महिलाओं को बार-बार अपनी मजबूरी को साबित करना पड़ता है. तब कहीं जाकर उन्हें कुछ राहत मिलती है.
आश्वासन भी सिर्फ कागज़ों तक
एसडीएम के आश्वासन के बाद बबीता कुछ शांत हुई और अपने घर लौट गई लेकिन सवाल यह है कि क्या उसे वास्तव में न्याय मिलेगा या यह आश्वासन भी सिर्फ कागज़ों में ही सीमित रह जाएगा. प्रशासन के लिए यह सिर्फ एक घटना थी लेकिन बबीता और उसके बच्चों के लिए यह जीवन-मरण का सवाल है.
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February 22, 2025, 17:04 IST
