DSB ने बायो फ्लॉक से किया 50 किलो मछली का उत्पादन, छात्र करेंगे बिक्री
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Agency:News18 Uttarakhand
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Nainital News: कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने लोकल 18 को बताया कि नैनीताल की झील में महाशीर मछलियां सालों पहले खत्म हो चुकी थीं. इन मछलियों के पुनः उत्पादन के लिए नैनीताल स्थित डीएसब…और पढ़ें
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छात्रों और शिक्षकों ने 50 किलो महाशीर मछली का उत्पादन किया है.
नैनीताल. उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग के परिसर में उत्पादित की जा रही महाशीर प्रजाति की मछलियों को अब छात्र बेचेंगे. जंतु विज्ञान विभाग परिसर में बायो फ्लॉक फिश तकनीक से छात्रों और शिक्षकों ने 50 किलो महाशीर मछली का उत्पादन किया है, जिसे अब जंतु विज्ञान विभाग के छात्र परिसर में बेचेंगे. वहीं कुछ मछलियां नैनीताल की नैनीझील में भी डाली जाएंगी. नैनीझील में साल 2000 से विलुप्त हो चुकी महाशीर मछली की प्रजाति का डीएसबी कॉलेज ने बायो फ्लॉक फिश टेक्नोलॉजी के माध्यम से दोबारा उत्पादन किया है. इन्हें केक फूड और ऑयल प्रोटीन रोज दिया जाता है. अब इन मछलियों का वजन डेढ़ से दो किलो हो गया है, जिससे अब इनको बेचा जा रहा है.
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि नैनीताल की झील में महाशीर मछलियां सालों पहले खत्म हो चुकी थीं. इन मछलियों के पुनः उत्पादन के लिए नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के जीव विज्ञान विभाग में बायो फ्लॉक तकनीक की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य बच्चों को फिश टेक्नोलॉजी की जानकारी देना और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना था. साथ ही नैनीझील में महाशीर मछलियों का पुनः उत्पादन करना था. वहीं अब जीव विज्ञान विभाग में बनाए गए बायो फ्लॉक में काफी मछलियों का उत्पादन हो गया है.
छात्र बेचेंगे मछली
जीव विज्ञान विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, परिसर में 50 किलो मछली का उत्पादन हुआ है. इन्हें विभाग के छात्रों द्वारा परिसर में बेचा जाएगा. परिसर में मछलियों की कीमत बाजार में मिलने वाली मछलियों की कीमत के आधार पर ही तय की जाएगी और कीमत बाजार के मुकाबले थोड़ी कम रखी जाएगी. अधिक उत्पादन होने पर मछलियों को स्थानीय बाजारों में भी बेचा जाएगा. साथ ही मछलियों की संख्या 200 से ज्यादा होने पर इन्हें नैनीझील में भी छोड़ दिया जाएगा.
Nainital,Uttarakhand
February 19, 2025, 23:52 IST
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