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विश्‍व की विविधता को स्‍वीकार करते हुए हिन्‍दू….बंगाल रैली में गरजे भागवत

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Mohan Bhagwat Bengal Rally: मोहन भागवत ने बंगाल में रैली को संबोधित करते हुए विविधता में एकता की बात की और रामायण के उदाहरण दिए. कलकत्ता हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद यह आरएसएस चीफ की बंगाल में रैली हो रही है. ममता…और पढ़ें

विश्‍व की विविधता को स्‍वीकार करते हुए हिन्‍दू....बंगाल रैली में गरजे भागवत

कोर्ट की इजाजत के बाद बंगाल में हो रही रैली. (News18)

हाइलाइट्स

  • कलकत्ता हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद रैली हो रही है.
  • मोहन भागवत ने विविधता में एकता की बात कही.
  • भागवत ने हिन्दू समाज को संगठित करने पर जोर दिया.

Mohan Bhagwat Bengal Visit: आरएसएस चीफ मोहन भागवत इस वक्‍त बंगाल में एक रैली को संबोधित कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि विश्व की विविधता को स्वीकार करके हिन्दू चलता है. हम आजकल कहते हैं विविधता में एकता, हिन्दू समझता है कि एकता की ही विविधता है. यहां राजा महाराजाओं को कोई याद नहीं करता लेकिन उस राजा को याद करते हैं, जिसने पिता के लिए 14 साल वनवास किया, जिसने भाई की खड़ाउ रखकर वापस लौटने पर भाई को राज्य दिया. कलकत्‍ता हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद उनकी यह जनसभा हो रही है. इससे पहले बंगाल पुलिस ने रैली करने की इजाजत नहीं दी थी.

मोहन भागवत ने आगे कहा कि सिकंदर के समय से जो आक्रमण शुरु हुए वो होते रहे, मुट्ठी भर बरबर आते हैं, हमसे गुणश्रेष्ठ नहीं पर हम पर हुकूमत करते हैं. बार बार ऐसा होता है, आपस में गद्दारी का कामना करते हैं, समाज को सुधारना पड़ेगा. ये कोई अंग्रेज़ों का बनाया हुआ देश नहीं है, गांधी जी की एक किताब में एक युवा प्रश्न करता है कि भारत कैसे होगा? भारत एक नहीं है ये भी तुमको अंग्रेज़ों ने पढ़ाया है.

‘हिन्दूओं को संगठित करना है’
मोहन भागवत ने कहा कि हमें हिन्दू समाज को संगठित करना है, आज भी समस्याएं हैं. कितना भी अच्छा समय हो समस्याएं होती हैं, छोटी मोटी समस्याएं हमेशा रहती हैं. समस्या क्या है इससे फर्क नहीं पड़ता, समस्याओं को झेलने वाला कितना तैयार है, इससे फर्क पड़ता है. लोगों में एक आदत है कि हम अपना एक सर्कल बनाते हैं और बाकी लोगों को इससे बाहर रखते हैं लेकिन संघ का स्‍वयंसेवक अपने सर्कल को बढ़ा करता जाता है. संघ के स्‍वयं सेवक इसका अभ्‍यास करते हैं. केवल विचारों से यह नहीं होता, वो रोज शाखा में आकर आपस में मेल-मिलाव होता है, मिलकर काम करना होता है. इससे यह विचार मजबूत होता है. संपूर्ण हिन्‍दू समाज में मिलजुलकर काम करने की जो पद्धति है, उसका नाम है राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ. हमें ऐसा करते हुए 100 साल होने वाले हैं.

‘संघ का काम समाज को एक करना’
मोहन भागवत ने आगे कहा कि एक लाख 30 हजार से ऊपर देश में स्‍वयंसेवक हैं. वो किसी से कोई पैसा नहीं लेते हुए अपने दम पर काम करते हैं. इसलिए हम कह रहे हैं, हम यशस्‍वी होने के लिए ऐसा नहीं कर रहे, भारत की उन्‍नति में अपना सार्थक योगदान देने के लिए ऐसा कर रहे हैं. संघ ने उनके बस संस्‍कार और विचार दिया है, प्रेरणा दी है. संघ को एक ही काम करना है, समाज को संगठित करना और समाज का निर्माण करना.

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