मलहम से कम नहीं पहाड़ों पर पाई जाने वाली ये पत्ती! फोड़ा-फुंसी और सूजन का राम

Agency:News18 Rajasthan
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प्रकृति में एक ऐसा पौधा है, जो अपनी औषधीय गुणों के कारण फोड़ा-फुंसी और सूजन जैसी समस्याओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में यह पौधा लंबे समय से एक प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्ते…और पढ़ें

बसोडा का पौधा
हाइलाइट्स
- बसोडा पौधा फोड़ा-फुंसी और सूजन के इलाज में उपयोगी है.
- बसोडा की पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं.
- उपयोग से पहले बसोडा की पत्तियों को अच्छी तरह साफ करें.
भरतपुर:- प्रकृति ने हमें कई अनमोल औषधीय पौधे दिए हैं, जो हमारे शरीर के लिए काफी कारगर होते हैं. इन्हीं में एक है बसोडा का पौधा, जो पहाड़ी इलाकों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह पौधा अपनी औषधीय गुणों के कारण फोड़ा-फुंसी और सूजन जैसी समस्याओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में यह पौधा लंबे समय से एक प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
वरिष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर चंद्रप्रकाश दीक्षित Local 18 को बताते हैं कि बसोडा की पत्तियां विशेष रूप से फोड़ा-फुंसी और सूजन को ठीक करने में प्रभावी मानी जाती हैं. इसकी पत्तियों में सूजन को कम करने और घाव को भरने के गुण मौजूद होते हैं. आयुर्वेद के अनुसार, इन पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा की समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं.
उपयोग से पहले अच्छी तरह करें साफ
डॉ. दीक्षित बताते हैं कि बसोडा की पत्तियों को इस्तेमाल करने से पहले इनको अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए, ताकि उनपर लगी धूल-मिट्टी हट जाए. इसके बाद इन पत्तियों पर हल्का सा सरसों या नारियल का तेल लगाएं और धीमी आंच पर हल्का गर्म करें. जब पत्तियां गुनगुनी हो जाए, तो इन्हें प्रभावित स्थान पर रखें. पत्तियों को लगाने के बाद यह त्वचा से सूजन को खींचने और फोड़ा-फुंसी को जल्दी ठीक करने में मदद करता है. यह पौधा सिर्फ पहाड़ी क्षेत्र और पहाड़ी इलाके में ही उगता है. इसके अलावा आपको यह पौधा और कहीं देखने के लिए नहीं मिलेगा.
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डॉक्टर की सलाह पर ही करें उपयोग
पहाड़ी इलाके में होने वाला यह पौधा शरीर के सूजन कम करने, दर्द में राहत देने, त्वचा के घाव को सही करने, फोड़ा-फुंसी जैसे त्वचा संक्रमण को ठीक करने में काफी अच्छा होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह पौधा आज भी प्राथमिक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. वरिष्ठ आयुर्वेद डॉ. चंद्रप्रकाश दीक्षित लोकल 18 को बताते हैं कि इस पौधे का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और डॉक्टर की देखरेख और सलाह पर ही करना चाहिए.
Bharatpur,Rajasthan
January 25, 2025, 09:26 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
