'आपका सुमंत भैया समझा रिया' इंदौर के ट्रैफिक कांस्टेबल का अनोखा अंदाज

Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:
Indore News: इंदौर के ट्रैफिक कांस्टेबल सुमंत सिंह कच्छावा ने सोशल मीडिया पर अपने खास अंदाज में एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह शहरवासियों से सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों का पालन करने की अपील करते हैं.

सुमंत सिंह कछावा
इंदौर. इंदौर के यातायात को सुगम बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, और इसके लिए सोशल मीडिया का भी बेहतरीन उपयोग हो रहा है. इन दिनों सोशल मीडिया पर इंदौर के सुमंत सिंह कछावा का मालवी भाषा में यातायात की समझाइश देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है. इस पर इंदौर के ट्राफिक कांस्टेबल सुमंत सिंह कछावा से लोकल-18 ने बातचीत की.
सुपर स्टार ट्राफिक कांस्टेबल सुमंत सिंह कछावा बताते हैं कि वे पढ़ाई के लिए गांव से इंदौर आए थे. यहां उनके मामा पुलिस में थे और उन्हें आर्मी में जाना था, लेकिन किस्मत से उनका सिलेक्शन इंदौर पुलिस में हो गया. उन्होंने सोचा कि देश की सेवा यहां रहकर भी की जा सकती है, और फिर उन्होंने अपने अंदाज में यातायात को संभालना शुरू किया. उन्हें भी यातायात की जानकारी नहीं थी, लेकिन एक सड़क हादसे ने उन्हें बहुत कुछ सिखा दिया. इसके बाद उन्होंने यातायात संभालने के साथ-साथ यातायात जागरूकता का अभियान भी चलाया और शहर के कई युवा उनके साथ जुड़ गए.
कछावा बताते हैं कि इंदौर के कुछ चौराहों या क्षेत्रों में लगातार यातायात की समस्या रहती है, जैसे राजवाड़ा, कपड़ा बाजार और पाटनीपुरा. इसके अलावा, सालभर में करीब 400 से ज्यादा गंभीर सड़क हादसे होते हैं, जिनमें जान चली जाती है. कुछ घायल और अस्पताल में भर्ती होने वाले हादसों की संख्या इससे भी ज्यादा है क्योंकि लोग केस दर्ज नहीं करवाते. ये हादसे शहर के बाहरी इलाकों में होते हैं. अगर इंदौर के यातायात की बात करें तो इसे और सुगम और सुरक्षित बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आम जनता का सहयोग जरूरी है. रॉन्ग साइड चलना, बंद सिग्नल में भी गाड़ी निकालना जैसी हरकतों को बंद करना होगा. आपकी जान आपकी मां, बहन और परिवार के लिए बहुत कीमती है. इसलिए सोचिए, जिंदगी न मिलेगी दोबारा। जान है तो जहान है. आपको लगता है कि छोटे-मोटे यातायात नियम टूट भी गए तो क्या, लेकिन ये यातायात नियम आपकी सुरक्षा के लिए हैं.
कांस्टेबल कछावा ने अपने बारे में बताया कि वे देश की सेवा करते हैं, इसलिए उनके लिए ड्यूटी का समय मायने नहीं रखता. वे रोजाना करीब 12 घंटे काम पर होते हैं और जब कोई नेता या मंत्री आता है तो समय बढ़ जाता है. वे छुट्टी पर थे, लेकिन स्टोन सर्जरी के बाद देश की सेवा के लिए लौट आए हैं. सड़कों पर तैनात रहते हुए उन्हें पानी की कमी, खून की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वे देश के सैनिक हैं, हार नहीं मानते। अपने काम के दौरान वे नोट करते हैं कि आज लोगों ने कहां, क्या गलती की, और फिर उसी के दौरान कंटेंट लिखते हैं. यही से यह कंटेंट लोगों को नेचुरल लगता है. अब एक टीम भी बनाई जा रही है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो सकें। सोशल मीडिया को यातायात के नियम समझाने के लिए चुनने का मुख्य कारण यह था कि समय के साथ बदलना होगा और तकनीक का इस्तेमाल करना होगा, जिससे आपकी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी.
युवाओं से यही कहूंगा कि आने वाला वक्त आपका है, तो आप उस वक्त को सही काम में लगाएं. देश की तरक्की में योगदान दें और आगे बढ़ें। वाहन तेज गति से न चलाएं और यातायात नियमों का पालन करें. जय हिंद, जय भारत.
Indore,Madhya Pradesh
January 23, 2025, 18:15 IST
