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चीन होगा पूरी दुन‍िया के सामने शर्मिंदा, फिलीपींस को मिलने जा रही बड़ी ताकत

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फिलीपींस यूएन सिक्‍योरिटी काउंस‍िल में अस्‍थायी सीट के ल‍िए आवेदन कर चुका है और एक्‍सपर्ट का मानना है क‍ि उसे यह सीट मिल भी जाएगी. इससे चीन की मुश्क‍िलें बढ़नी तय है.

चीन होगा पूरी दुन‍िया के सामने शर्मिंदा, फिलीपींस को मिलने जा रही बड़ी ताकत

फिलीपींस को यूएन की सीट मिल गई तो चीन के ल‍िए मुश्क‍िल होगी.

चीन इस बार पूरी दुन‍िया के सामने शर्मिंदा होगा. क्‍योंक‍ि फिलीपींस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सीट पाने की कोशिश कर रहा है. इससे फिलीपींस को दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को चुनौती देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मिल जाएगा. वह पूरी दुन‍िया को चीन की हरकतों के बारे में बता पाएगा.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने पिछले हफ्ते डिप्‍लोमैट्स को संबोध‍ित करते हुए फिलीपींस की नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता और वैश्विक मंच पर अधिक नेतृत्व की आकांक्षाओं के बारे में बात की. उन्होंने 2027-2028 सुरक्षा परिषद के कार्यकाल के लिए अपने प्रयासों के आधार के रूप में शांति स्थापना और बहुपक्षीय कूटनीति में देश के समृद्ध अनुभव का उल्लेख किया.

राष्‍ट्रपत‍ि ने क्‍या कहा
राष्ट्रपति भवन के कार्यक्रम के दौरान मार्कोस ने कहा, “बहुपक्षीय कूटनीति में लंबे इतिहास और विश्वसनीय रिकॉर्ड के साथ, फिलीपींस वैश्विक एजेंडा पर महत्वपूर्ण मुद्दों की वकालत करने के लिए अधिक नेतृत्व भूमिकाओं को संभालने के लिए बहुत मजबूत स्थिति में है.” विश्लेषकों का मानना है कि मनीला के वैश्विक सहयोग के नैरेटिव के परे एक स्पष्ट रणनीतिक इरादा है. सुरक्षा परिषद में एक सीट हासिल करने से मनीला को दक्षिण चीन सागर में चीन के व्यापक क्षेत्रीय दावों को उजागर करने का मौका मिलेगा, जो फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ हैं. हालांकि चीन, जो परिषद का स्थायी सदस्य है, किसी भी प्रस्ताव को लगभग निश्चित रूप से वीटो कर देगा, लेकिन यह प्रयास खुद में महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रभाव डाल सकता है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने वाशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के दक्षिण पूर्व एशिया कार्यक्रम के निदेशक ग्रेग पोलिंग के हवाले से कहा, अगर बीजिंग के ख‍िलाफ ज्‍यादा वोट पड़े तो वह पूरी दुन‍िया में शर्मिंदगी की वजह बनेगा. ऐसे प्रस्ताव, नए मध्यस्थता या महासभा की पहलों के साथ मिलकर चीन पर दबाव बना सकते हैं और उसे समझौते की ओर धकेल सकते हैं.

सीट के लिए मजबूत दावेदारी
फिलीपींस के पास अपनी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए एक मजबूत रिकॉर्ड है. छह दशकों में, उसने 21 यूएन शांति मिशनों में 14,000 सैनिकों का योगदान दिया है और 2004-2005 में पहले भी सुरक्षा परिषद की सीट संभाली है. इसके अलावा, फिलीपींस को अपने क्षेत्रीय समूह, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) का समर्थन प्राप्त है. एक लंबे समय से चले आ रहे समझौते के तहत, आसियान सदस्य अस्थायी सुरक्षा परिषद सीटों के लिए अपनी बारी बदलते हैं, और अब फिलीपींस की बारी आ गई है. इसके अतिरिक्त, यह संभवतः सभी आसियान ब्लॉक सदस्यों का समर्थन प्राप्त करेगा, जिन्होंने UNSC पर एक रोटेशन में एक-दूसरे का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की है.

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