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Vivah Muhurat 2025: इस साल 76 दिन बजेगी शहनाई, फरवरी और मई 2025 में सबसे ज्यादा शादियां

Vivah Muhurat 2025: सूर्य 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में गोचर कर चुके हैं. ऐसे में 14 जनवरी से खरमास यानि मलमास समाप्त हो गए हैं. इसके साथ ही शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो चुकी है. फिर से शहनाइ की धुन चारों तरफ सुनाई देगी और 2025 में विवाह के 76 शुभ मुहूर्त हैं.

इन शुभ मुहूर्तों का क्रम जनवरी से दिसंबर तक चलेगा, हालांकि बीच के कुछ महीने ऐसे भी हैं, जिनमें एक भी विवाह के मुहूर्त नहीं हैं. हिंदू धर्म में सभी 16 संस्कारों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक माना जाता है.

साल 2025 में कब बंद रहेगा मांगलिक कार्य

शादी के मुहूर्त 16 जनवरी 2025 से शुरु हो गए हैं. आगामी 6 जुलाई 2025 देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होगा. इस कारण जुलाई से अक्टूबर तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. मुहूर्त 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर रहेगा, परंतु इसके परंतु इसके बाद विवाह मुहूर्त सीधे 21 नवंबर से से शुरू होंगे.

गुरु-शुक्र अस्त 2025

साल 2025 में गुरु 12 जून से 9 जुलाई तक 27 दिन के लिए अस्त होने वाले हैं. इसके अलावा शुक्र ग्रह 19 मार्च से 23 मार्च तक 4 दिन तक अस्त रहेंगे. इसके बाद दोबारा से 12 दिसंबर से 31 दिसंबर तक 24 दिन तक शुक्र अस्त रहेंगे. इस दौरान शुभ काम नहीं होंगे.

साल 2025 में 76 दिन विवाह के मुहूर्त

विवाह मुहूर्त मकर संक्राति के अगले दिन 15 जनवरी 2025 से शुरू हो गए हैं. खास बात यह है कि आने वाले नए साल में विवाह मुहूर्त का टोटा नहीं रहेगा. यद्यपि साल में केवल 8 माह ही विवाह होंगे  परंतु इस अवधि में 76 दिन विवाह मुहूर्त रहेंगे. नए साल में फरवरी माह और मई माह भी मुहूर्त से भरा रहेगा. अक्षय तृतीया पर 30 अप्रैल को तो विवाह होंगे.

वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ फलदायी ग्रह माना गया है. जन्म कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है. गुरु की कमजोर स्थिति से जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. गुरु धनु व मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं. यह कर्क राशि में उच्च व शनिदेव की राशि मकर में नीच के माने जाते हैं.

प्रत्येक गुरुवार शिवजी को बेसन के लड्डू चढ़ाने चाहिए. गुरुवार को व्रत करें. इस दिन पीली वस्तुओं का दान अपने सार्म्थ्यनुसार करें। गुरुवार के दिन विष्णु भगवान को घी का दीपक लगाएं.

शास्त्रों के मुताबिक विवाह में गुरु ग्रह को उदय होना आवश्यक माना जाता है. हमारे षोडश संस्कारों में विवाह का बहुत महत्त्व है. विवाह का दिन व लग्न निश्चित करते समय वर एवं वधु की जन्म पत्रिका अनुसार सूर्य, चंद्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है. जिसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है.

शुक्र -गुरु ग्रह के अस्त होने पर विवाह नहीं होते

विवाह मुहूर्त की गणना करते समय शुक्र तारा और गुरु तारा पर विचार किया जाता है. बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने पर विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते है इसलिए, इस दौरान कोई विवाह समारोह नहीं किया जाना चाहिए.

फरवरी और मई 2025 में सबसे ज्यादा शादियां

फरवरी और मई माह में सबसे अधिक विवाह के मुहूर्त बनेंगे. इन माह में जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर शामिल हैं। वहीं, जून में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे. इसके बाद नवंबर और दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे. इस बार गुरु ग्रह वृषभ राशि में रहेंगे और 12 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में रहेंगे. विवाह के लिए इन ग्रहों की गणना देखी जाती है. इनका नवम पंचम योग बनेगा। यह नवम पंचम योग लाभकारी रहेगा.

जुलाई से अक्टूबर में कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं. इस अवधि में विवाह और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. वर्ष 2025 में 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ रही है, जिसके बाद भगवान विष्णु चार महीने तक विश्राम करेंगे. यह अवधि नवंबर में 1 तारीख को देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगी.

इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से विशेष होता है इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है. इस दौरान शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करना ज्योतिषीय नियमों के अनुसार वर्जित होता है. ऐसे में यदि आप ज्योतिष और शुभ मुहूर्त का पालन करते हैं, तो इन महीनों में विवाह या उससे संबंधित कार्य करने से बचें.

यह समय पूजा-पाठ और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त माना जाता है. देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त पुनः आरंभ हो जाएंगे इसलिए अपने विवाह की योजना बनाते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें और शुभ समय का चयन करें ताकि आपका दांपत्य जीवन सुखी और समृद्ध हो.

विवाह का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है, जो कई प्रकार की परंपराओं और मान्यताओं से समृद्ध है. इस परंपरा में से एक शुभ विवाह भी है, यह जीवन का सबसे खुशनुमा पल होता है. विवाह कई तरह से किए जाते हैं, प्रत्येक के अपने-अपने रीति-रिवाज और महत्व होते हैं. हिंदू धर्म में यह 16 संस्कारो मे से एक होता है और इसके बगैर कोई भी व्यक्ति ग्रहस्थाश्रम में प्रवेश नहीं कर सकता है इसलिए हमारे शास्त्रों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी माना जाता है.

2025 विवाह के शुभ मुहूर्त

  • जनवरी: 16, 17, 18, 19, 21, 22, 24, 26, 30
  • फरवरी: 3, 4, 6, 7, 13, 14, 15, 18, 19, 20, 21, 25
  • मार्च: 3, 5, 6, 7, 11, 12, 13, 14
  • अप्रैल: 14, 15, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30
  • मई: 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 28
  • जून: 1, 2, 4, 5, 6, 7, 8
  • नवंबर: 21, 22, 23, 24, 25, 26, 30
  • दिसंबर: 1, 4, 5, 6

( कुछ पंचांग में भेद होने के कारण तिथि घट बढ़ सकती है और परिवर्तन हो सकता है. )

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