फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह दिवालिया घोषित होने को कोर्ट पहुंचे

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फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह ने एनसीएलटी में व्यक्तिगत दिवाला याचिका दायर की है. उन्हें दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना है. अगली सुनवाई 20 मई को होगी.

शिविंदर मोहन सिंह को जापानी दवा कंपनी दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना है.
हाइलाइट्स
- शिविंदर मोहन सिंह ने व्यक्तिगत दिवाला याचिका दायर की.
- दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना है.
- अगली सुनवाई 20 मई को होगी.
नई दिल्ली. फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष व्यक्तिगत दिवाला याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि उनकी देनदारियां उनकी संपत्तियों से कहीं अधिक हैं. मामले से जुड़े वकीलों के अनुसार, सिंह ने दिवाला न्यायाधिकरण की दिल्ली स्थित पीठ के समक्ष दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 94 के तहत याचिका दायर की है. एक मध्यस्थता आदेश के तहत कर्ज में डूबे शिविंदर मोहन सिंह को जापानी दवा कंपनी दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना है.
याचिका को सोमवार को महेंद्र खंडेलवाल और सुब्रत कुमार दास की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था. इस दौरान मामले की संक्षिप्त सुनवाई हुई. पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई अब 20 मई को होगी. आईबीसी की धारा 94 एक देनदार को दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए एनसीएलटी में आवेदन करने की अनुमति देती है. देनदार या तो खुद या भागीदारों के साथ मिलकर या किसी समाधान पेशेवर के माध्यम से एनसीएलटी में आवेदन कर सकता है.
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अधिकांश संपत्ति हो चुकी है अटैच
CNBC-TV18 की रिपोर्ट के मुताबिक, शिविंदर ने बताया कि अधिकांश उनकी संपत्ति पहले ही दाइची सैंक्यो (Daiichi Sankyo) के खिलाफ चल रहे मुकदमे के कारण अटैच या बेच दी गई हैं. शिविंदर ने दाइची विवाद और Religare के कुप्रबंधन को अपनी दिवालिया स्थिति की वजह बताई है. गौरतलब है कि 2008 में शिविंदर और उनके भाई मलविंदर सिंह (Malvinder Singh) ने जापान की दाइची सैंक्यो को रैनबैक्सी लैबोरेटरीज (Ranbaxy Laboratories) में अपनी बहुमत हिस्सेदारी लगभग 4.6 बिलियन डॉलर में बेची थी.
रैनबैक्सी को बेचने के बाद दोनों भाइयों ने मिलकर फोर्टिस और रेलिगेयर की नींव रखी. लेकिन, दाइची के साथ सौदा बाद में विवादों में घिर गया. दाइची ने सिंह भाइयों से मध्यस्थता के माध्यम से पैसा वसूलने की कोशिश की। भारतीय अदालतों ने उन्हें यह भुगतान करने का आदेश दिया. इस आदेश के बाद उनकी कई संपत्ति अटैच कर ली गईं.
(भाष इनपुट के साथ)
