HRTC का किराया बढ़ा तो बढ़ा हंगामा! CPI(M) ने सरकार को घेरा, दे डाली चेतावनी

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हिमाचल में न्यूनतम बस किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए कर दिया गया है, जिसे CPI(M) ने जनविरोधी बताया है. पार्टी ने इसे गरीबों और मध्यम वर्ग पर आर्थिक बोझ बताते हुए निजीकरण की साजिश करार दिया. माकपा ने सरकार से फ…और पढ़ें

Hrtc की बसों की तस्वीर
हाइलाइट्स
- हिमाचल में न्यूनतम बस किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए कर दिया गया है.
- वहीं, CPI(M) ने इस फैसले को जनविरोधी बताया है.
- माकपा ने सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है.
मंडी: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम बस किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए करने के फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) की मंडी जिला कमेटी ने इस निर्णय को जनविरोधी करार देते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है. पार्टी के मंडी जिला सचिव कुशाल भारद्वाज ने कहा कि राज्य में रेल सुविधा की कमी के चलते बसें ही आम लोगों के सफर का मुख्य साधन हैं. ऐसे में किराया दोगुना करना गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर सीधा आर्थिक बोझ डालने जैसा है.
उन्होंने कहा कि पहले ही हिमाचल में बस किराया अधिक है और अब न्यूनतम किराया बढ़ाने से मजदूर, किसान, छात्र, कर्मचारी और बेरोजगार सभी प्रभावित होंगे. इससे पहले सरकार स्कूल बसों के किराए में 50% वृद्धि कर चुकी है, जिससे छात्रों और अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है.
सरकार निजीकरण को दे रही है बढ़ावा
सीपीआई-एम ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस निर्णय को एचआरटीसी की आर्थिक हालत और घाटे से जोड़कर पेश कर रही है, जबकि असल में यह निजीकरण को बढ़ावा देने की नीति का हिस्सा है. कुशाल भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों ने लाभकारी बस रूट निजी ऑपरेटरों को सौंप दिए हैं, जबकि एचआरटीसी की बसें घाटे वाले रूट पर चल रही हैं. उन्होंने बताया कि आज हिमाचल में एचआरटीसी की सिर्फ 3150 बसें और 2573 रूट हैं, जबकि निजी बसों की संख्या 8300 से अधिक हो चुकी है.
माकपा ने सरकार को दी चेतावनी
उन्होंने आरोप लगाया कि एचआरटीसी को कमजोर कर इसे घाटे में धकेला जा रहा है ताकि निजी कंपनियां मुनाफा कमा सकें. बस किराया वृद्धि इसी रणनीति का हिस्सा है, जो सस्ती और सुलभ सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को खत्म करने की दिशा में एक और कदम है. अंत में उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह फैसला तुरंत वापस नहीं लिया गया तो माकपा जनता को संगठित कर सड़कों पर उतरेगी और राज्यभर में विरोध प्रदर्शन करेगी.
