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ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर विवाद 1 महीने बाद लक्ष्मी नारायण का नया बयान

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ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं और उन्हें नया नाम मिला श्री यमाई ममता नंदगिरी इसके बाद जमकर बवाल हुआ. विरोध सिर्फ साधु-संतों के बीत ही नहीं किन्नर अखाड़े में भी थी. कंट्रोवर्सी बढ़ी को ममता ने …और पढ़ें

ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर विवाद 1 महीने बाद लक्ष्मी नारायण का नया बयान

ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्‍वर बनाए जाने के बाद से किन्‍नड़ अखाड़े में विवाद गहरा गया था

हाइलाइट्स

  • ममता कुलकर्णी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया.
  • 2.5 साल से ममता के टच में हैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी.
  • हमारे कंधे पर रखकर बंदूक चलाई गई: लक्ष्मी नारायण

नई दिल्ली. 90 के बोल्ड एक्ट्रेसेस में से एक ममता कुलकर्णी यानी श्री यमाई ममता नंदगिरी सालों बाद तब सुर्खियों में आई जब सालों बाद वो वापस भारत आईं और भारत लौटने के बाद महाकुंभ में पूरे रीति-रिवाज के साथ किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनाई गई. उनके महामंडलेश्वर बनाने के बाद काफी शोर-शराबा हुआ. साधु संतों के साथ किन्नर अखाड़े के ही कुछ लोगों ने इसका विरोध किया. बवाल बड़ा तो उन्होंने अपने इस्तीफा भी दे दिया. लेकिन उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया. अब मामले को 30 दिन से ज्यादा गुजरने के बाद किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस पूरे मामले पर खुलकर बात की है.

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी यानी श्री यमाई ममता नंदगिरी का पिंडदान कर पट्टाभिषेक किया. इस मामले में उनकी भी खूब किरकिरी हुई थी. हालांकि एक महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ही थीं, जो उनके पक्ष में बोलती रहीं. अब एक बार फिर उन्होंने श्री यमाई ममता नंदगिरी को लेकर बार की और सवाल किया अगर वो साध्वी न बनकर इस्लाम अपना लेतीं तो जो लोग कंट्रोवर्सी कर रहे थे क्या कर लेते?

23 साल से मुख्यधारा से अलग, 2.5 साल से थी टच में
हाल ही में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट न्यूज बुक में पहुंचीं, जहां उन्होंने ममता कुलकर्णी को लेकर हुई कंट्रोवर्सी पर बात की. उनसे जब सवाल किया एक मुद्दा उठा ममता कुलकर्णी. तो लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने श्री यमाई ममता नंदगिरी. लोगों ने पूछा, वह क्या था? किस लिए था? इस सवाल जवाब में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, ‘वह 23 साल से मुख्य धारा समाज से अपनी जिंदगी में अलग कर गई. पिछले ढाई तीन साल से मेरे टच में थी तो वह अपनी पूरी परंपराएं बता रही थीं और वह जूना अखाड़े के स्वामी से दीक्षित भी थीं और जब वह कुंभ में आईं तो उन्होंने मेरे से मुलाकात की और वापस बातचीत शुरू हुई.

‘इससे अच्छा क्या होगा कि अर्धनारीश्वर मेरा पट्टाभिषेक करें’
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने आगे कहा, ‘दूसरे दिन उन्होंने कहा कि आज इतना सुंदर दिन, शुक्रवार का दिन है. इससे अच्छा क्या होगा कि अर्धनारीश्वर मेरा पट्टाभिषेक करें और मैं महामंडलेश्वर बनूं. उन्होंने मेरे से कहा कि मैं सनातन धर्म में अपनी जिंदगी पूर्ण रूप से समर्पित कर देना चाहती हूं’. लक्ष्मी ने ममता की बातों को सुना तो उनको उनके ये विचार अच्छे लगा और हमने कर दिया.

‘ममता के बारे में हमें सारी बातें पता थीं…’
जब उनसे पूछा कि महामंडलेश्वर बनने का कोई क्राइटेरिया तो होता होगा तो उन्होंने जवाब में कहा वह पहले से साधना करती थीं, पढ़ाई करती थीं, मंत्र जाप वगैरह सब करती थी. ममता कुलकर्णी के अबु सलेम से रिश्ते और बाकी विवाद पर भी सफाई देते हुए भी उन्होंने कहा, ‘हमें सारी बातें पता थीं. वो सारी बातें सहीं भी होंगी, लेकिन उनके सारे केसेज खत्म हो चुके हैं. उनका नाम क्लियर हो चुका था. सभी रेड कॉर्नर निकल चुके थे.’

‘इस्लाम कुबूल कर हज-मदीना कर आतीं, तो…’
उन्होंने आगे अंगुलिमाल का जिक्र किया और कहा कि अंगुलिमाल क्या बने वो वाल्मिकी बनें, महानंदा क्या थीं? नगरवधू थीं उनकी वजह से प्रदोष का उपवास शुरू हुआ. तो ये परंपराएं हमारे सनातन धर्म में रही हैं कि गणिकाएं भी धर्म में आईं तो वो ऊंचे स्तर पर गईं हैं. तो जब गणिकाएं जाती हैं, तो जो एक कलाकार गंर्धव रूप में है वो क्यों न जाए? तो क्यों हम जो सनातन धर्म में शरण लेने आए उसका तिरस्कार करें? अगर यही ममता जी अगर जाकर इस्लाम कुबूल कर लेतीं और जाकर हज-मदीना कर आतीं, तो ये सनातनी जितना विरोध कर रहे थे, क्या वो कुछ कर पाते?’

‘हमारे कंधे पर रखकर बंदूक चलाई गई’
जब सवाल किया गया कि तो आप लोग बैकफुट पर क्यों आ गए. तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे कंधे पर रखकर बंदूक चलाई गई. ऋषि अजय दास को हमने पहले ही बाय-बाय कर दिया था. उनके कुकर्मों की वजह से हमने उन्हें पहले ही बाहर का रास्ता दिखा चुके थे. उनके साथ एक और जो खुद को तथाकथित जगतगुरू कह रही हैं उन पर भी मानहानि का केस कर दिया है. हमारी लॉ टीम इसको देख रही हैं.

‘हमने इस्तीफा नहीं लिया, ममता इतनी प्रेशर में आ गई थीं’
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने आगे कहा कि श्री यमाई ममता नंदगिरी थी, श्री यमाई ममता नंदगिरी हैं और श्री यमाई ममता नंदगिरी ही रहेंगी. हमने उनसे कोई इस्तीफा नहीं लिया. ममता इतनी प्रेशर में आ गई थीं कि हमारे गुरु को मेरी वजह से इतनी तकलीफ क्यों हो, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया था. लेकिन हमने लिया नहीं. उन्होंने आगे कहा कि ये कंट्रोवर्सी बना दी गई. ममता की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सुलझी हुईं और अच्छी इंसान हैं.

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