मुसलमानों के मन में किसने भरा जहर? बांग्लादेश के राजदूत ने खोला राज

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Bangladesh India Relations: मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारून अल रशीद ने बताया कि बांग्लादेश के मुसलमानों के मन में भारत के खिलाफ जहर किसने भरा. कौन से इस्लामी कट्टरपंथी थे, जिनकी वजह से शेख हसीना क…और पढ़ें

मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत ने बताया कि मुसलमानों को कौन भड़का रहा है.
हाइलाइट्स
- हारून अल रशीद मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हैं.
- फेसबुक पर बताया बांग्लादेश में इन दिनों क्या हो रहा है.
- शेख हसीना के तख्तापलट की पूरी कहानी भी बताई.
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से अजीब ही माहौल बन गया है. वहां के तमाम लोग और नेता भारत विरोधी बयान दे रहे हैं. इनमें वे लोग भी हैं, जो पहले कभी भारत की तारीफ किया करते थे. इससे सवाल उठता है कि आखिर बांग्लादेश के मुसलमानों के मन में भारत के खिलाफ जहर किसने भरा? मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारून अल रशीद ने इस राज से पर्दा उठाया है. उन्होंने उन लोगों के नाम बताए हैं, जो बांग्लादेश की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं. शेख हसीना के तख्तापलट में भी इन्हीं का हाथ है.
हारून अल रशीद ने फेसबुक पर एक लंबा चौड़ा खत बांग्लादेश के लोगों के लिए लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा, बांग्लादेश आज बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है. नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस ने देश में आतंक का माहौल बना दिया है. लाखों लोग मौत, देश छोड़कर भागने या फिर इन आतंकियों के आगे झुकने के सिवा कुछ नहीं कर सकते. 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में आतंकवादियों ने बहुत ही भयानक हमला किया. उन्होंने योजना बनाकर प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरा दी. जब पूरा देश इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था, तब मुहम्मद यूनुस ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया. यह आतंकवाद का सबसे भयानक रूप है, जिसमें रातों-रात एक पूरे देश की तस्वीर बदल दी गई.
कौन हैं वो चार लोग
बांग्लादेश के राजदूत ने लिखा, पिनाकी भट्टाचार्य और एलियास हुसैन जैसे आतंकवादी सालों से पश्चिमी देशों में बैठकर इंटरनेट के ज़रिए लोगों को भड़का रहे हैं. ये लोग बांग्लादेश सरकार के खिलाफ झूठी खबरें फैलाते हैं और लोगों को हिंसा के लिए उकसाते हैं. फ्रांस में बैठी पिनाकी और अमेरिका में बैठे एलियास ने ही इंटरनेट के ज़रिए बंगबंधु मेमोरियल म्यूजियम को नष्ट करने की साजिश रची थी. यह एक क्रूर और अपराधिक कृत्य था. दूसरी तरफ, फरहाद मजहर और जहीदुर रहमान जैसे जिहादी बांग्लादेश में शेख हसीना की उदारता का फायदा उठा रहे थे. शेख हसीना अभिव्यक्ति की आज़ादी में यकीन रखती थीं, लेकिन ये लोग इसका गलत फायदा उठाते रहे। इन लोगों ने अपने दुष्प्रचार से हिंदुओं और भारत के खिलाफ नफरत फैलाई, क्योंकि हिंदुओं को शेख हसीना के शासन में सुरक्षित महसूस होता था. इन लोगों ने अपने झूठ से बांग्लादेश के मुसलमानों के मन में भारत के खिलाफ इतना जहर भर दिया कि वे आसानी से कट्टरपंथ की चपेट में आ गए.
इस्लामी आतंकवाद को गंभीरता से नहीं लेते
हारून अल रशीद ने लिखा, मुहम्मद यूनुस के शासन में मीडिया पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. रोजाना अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लग पा रही है. आतंकवादियों ने बांग्लादेश के लोगों को यकीन दिला दिया है कि पश्चिमी देश अब इस्लामी आतंकवाद को गंभीरता से नहीं लेते. इसलिए वे बेखौफ होकर अत्याचार कर रहे हैं. इन जिहादियों ने यूनुस की देखरेख में बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोशिश की है. उन्होंने हमारे इतिहास और परंपराओं को मिटा दिया है. उन्होंने न सिर्फ म्यूजियम, मूर्तियां और सांस्कृतिक प्रतीकों को नष्ट किया है, बल्कि सैकड़ों सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को भी तोड़ा है. यूनुस के शासन में महिलाओं पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं. अल्पसंख्यक और धर्मनिरपेक्ष लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं. हिज़्ब-उत-तहरीर, आईएस और अल-क़ायदा जैसे आतंकवादी संगठन खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं. जुलाई-अगस्त में हुए आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले आतंकी इन्हीं संगठनों से जुड़े थे.
यूनुस ने आतंकियों को पनाह दी
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर आरोप लगाते हुए हारून अल रशीद ने कहा, यूनुस ने न सिर्फ इन आतंकवादियों को पनाह दी, बल्कि उन्हें ताकत भी दी. उनकी सरकार में आतंकवादी मंत्री हैं. जिन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सका, उन्हें दूसरे तरीकों से फायदा पहुंचाया जा रहा है. उन्हें अपनी पार्टी बनाने की इजाजत दे दी गई है. मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत के रूप में मुझे निशाना बनाया गया. मेरा कसूर बस इतना था कि मैंने बंगबंधु के शुरुआती जीवन (1920-1942) पर एक बांग्ला उपन्यास लिखा था. इस उपन्यास का बाद की घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं था. यूनुस को हमारे इतिहास से नफरत है. वह जानबूझकर बांग्लादेश की नींव को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.
ऐसी बर्बरता नहीं देखी गई
हारून अल रशीद ने लिखा है, बांग्लादेश का जन्म एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में हुआ था. लेकिन शुरू से ही, इस्लामी कट्टरपंथी इसे बाँटने की साजिश रचते रहे हैं. देश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान सुलह-समझौते में यकीन रखते थे. उन्हें उम्मीद थी कि ये लोग मुक्ति संग्राम के आदर्शों को अपनाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने बंगबंधु की हत्या कर दी. दशकों बाद, उनकी बेटी, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी अपने पिता की तरह सहिष्णुता का रास्ता अपनाया. लेकिन अंत में, वह भी उन्हीं आतंकवादियों का शिकार हो गईं, जिन्होंने सालों तक देश में नफरत का जहर घोला था. अगर मानवाधिकारों के हनन की निष्पक्ष जांच की जाए, तो एक भयानक सच्चाई सामने आएगी. शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद, यूनुस के संरक्षण में सिर्फ 15 दिनों में जितने अत्याचार हुए, वे शेख हसीना के पूरे कार्यकाल के अत्याचारों से कहीं ज़्यादा हैं. उन दो हफ़्तों में, बांग्लादेश आतंक के साये में डूब गया था. भीड़ ने सैकड़ों पुलिसकर्मियों को मार डाला. गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. अवामी लीग के सैकड़ों समर्थकों को पीट-पीटकर मार डाला गया. सदियों से इतनी बर्बरता नहीं देखी गई थी.
March 14, 2025, 19:38 IST
