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कभी पलायन को थे मजबूर, मिर्च की खेती ने बदली बुराना की तस्वीर, करोड़ों की कमाई

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Chilli Farming: भरतपुर के बुराना गांव में मिर्च की खेती ने किसानों की तकदीर बदल दी है. पहले पारंपरिक खेती से सीमित आय होती थी, अब 80% किसान मिर्च उगाकर करोड़ों कमा रहे हैं.

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मिर्ची

मिर्ची की खेती करते बुराना के किसान

हाइलाइट्स

  • बुराना गांव में मिर्च की खेती से किसानों की तकदीर बदली
  • 80% किसान मिर्च उगाकर करोड़ों कमा रहे हैं
  • मिर्च की खेती ने महिलाओं को रोजगार के अवसर दिए

भरतपुर. भरतपुर जिले का बुराना गांव पारंपरिक खेती और सीमित आय के कारण आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा था यहां के किसान सरसों, गेहूं और बाजरे जैसी फसलें उगाते थे लेकिन इनसे खास मुनाफा नहीं हो पाता था गांव के लोग काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर थी गांव के युवा और बुजुर्ग अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए जाते थे लेकिन पिछले एक दशक में इस गांव की तस्वीर बदल गई है. मिर्च की खेती ने यहां के किसानों की तकदीर बदल दी और अब यह गांव हर साल करोड़ों की कमाई कर रहा है.

80% किसान कर रहे मिर्च की खेती 
किसान मोहन सिंह कुशवाहा ने लोकल 18 को बताया कि पहले पारंपरिक खेती से आय सीमित थी लेकिन 10 साल पहले आगरा के कुछ किसानों से उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने मिर्च की खेती करने की सलाह दी जिससे मोहन सिंह और गांव के कुछ अन्य किसानों ने इस पर प्रयोग करना शुरू किया. शुरुआती सफलता के बाद यह खेती तेजी से फैल गई और अब गांव के 80% किसान मिर्च की खेती कर रहे हैं. अब यहां के किसानों को बाहर जाकर मजदूरी नहीं करनी पड़ती बल्कि गांव में ही वे अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. पहले जहां गांव के 50% लोग मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में जाते थे. अब वे खुद के खेतों में मेहनत कर रहे हैं.

250 बीघा जमीन पर मिर्च की खेती
बुराना गांव में लगभग 250 बीघा जमीन पर मिर्च की खेती हो रही है.यहां एंजिल, ईगल, जवा, गंतूरी, अर्का, मेघना, काशी, सुर्ख और 508 जैसी मिर्च की कई किस्में उगाई जाती हैं.एक बीघा में किसान करीब 35 हजार रुपये की लागत लगाकर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं.एक सीजन में एक बीघा से 60 से 80 क्विंटल तक मिर्च का उत्पादन होता है.फिलहाल बाजार में थोक में मिर्च का भाव 40 से 45 रुपये प्रति किलो है.जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है.

आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने किसान 
मिर्च की खेती ने गांव की महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए हैं. मिर्च की तुड़ाई और देखभाल के लिए उन्हें रोज़ाना 200 रुपये तक की मजदूरी मिलती है. इससे गांव की महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. बुराना गांव में उगाई जाने वाली मिर्च राजस्थान के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भेजी जाती है. व्यापारियों की मांग लगातार बनी रहती है. जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई दिक्कत नहीं होती है. मिर्च की खेती ने बुराना के किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना दिया है. जो किसान कभी मुश्किल हालात में थे आज वे अपने खेतों से लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं.

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