तू शक्तिपुंज है..प्रेरित करती है एयरहोस्टेस से सरपंच बनीं डॉली कुमारी की कहानी

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Women’s Day Special Inspiring Story: एयर होस्टेस से सरपंच बनने तक की डॉली की कहानी… यूपी में पली पढ़ी और पढ़ लिख कर एयरलाइंस कंपनी में एयर होस्टेस बनकर विमान कंपनी मं काम किया और इसके बाद अब वह अपने पंचायत की …और पढ़ें

गया के शादीपुर पंचायत की सरपंच डॉली कुमारी की प्रेरणादायक कहानी.
हाइलाइट्स
- सरपंच डॉली कुमारी: एयर होस्टेस से ग्राम कचहरी तक का सफर.
- गया के गांव की सरपंच डॉली ने ग्राम कचहरी को डिजिटाइज किया.
- ग्राम कचहरी में सीसीटीवी और अन्य आधुनिक उपकरण लगवाए हैं..
गया. नारी तू सशक्त है, समर्थ है, नये भारत की नारी शक्ति की जय-जय हो रही है…गया के मानपुर प्रखंड के शादीपुर पंचायत की और इस पंचायत की सरपंच डॉली कुमारी हैं. यूपी के मेरठ में पली और पढ़ीं, एयरलाइंस कंपनी में एयर होस्टेस सहित कई पदों पर काम कर चुकीं डॉली कुमारी अब गया के गांव शादीपुर में सरपंच के रूप में काम कर रही हैं. डॉली कुमारी मृदु भाषी होने के साथ ही अच्छी सोच और कुछ कर गुजरने के जज्बे से लबरेज हैं. इसी हौसले को उन्होंने नया मुकाम दिाय और वह सरपंच बन गई हैं. आज गांव के लोग उनके फैसलों के मुरीद हैं. गांव में किसी भी तरह का वाद-विवाद होता है तो लोग थाना जाने के बजाय लोग इस महिला सरपंच के पास पहुंच जाते हैं. ग्राम कचहरी में पगड़ी बांधकर बैठकर लोगों का विवाद सुलझाती हैं और लोग इनके न्यायिक फैसले पर भी अमल करते हैं. यही नहीं जब यह अपने क्षेत्र में घूमती हैं तो लोग इनके पास दौड़े-दौड़े अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं और डॉली कुमारी इन्हें बहुत ही अच्छे तरीके से समझती भी हैं और मामले को निपटाती भी हैं.
डॉली कुमारी उस वक्त सुर्खियों में आईं जब वह वर्ष 2018 में पहली बार सरपंच का चुनाव जीती थीं. अपने पहले टर्म में ही अपने ग्राम कचहरी का डिजिटाइजेशन शुरू किया था और अब सारे काम डिजिटल तरीके से ही होते हैं. ग्राम कचहरी में सभी प्रमुख जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. ग्राम पंचायत के सभी कर्मी समय पर पहुंचते हैं और अपने कार्यों को पूरा करते हैं.

ग्राम कचहरी में अलग-अलग पगड़ी में दिखती हैं सरपंच डॉली कुमारी.
सरपंच डॉली कुमारी वर्ष 2018 में पहली बार डेढ़ सौ वोटों से जीती थीं. वहीं, वर्ष 2021 में जब चुनाव हुआ तो 1500 से अधिक वोटों से उन्होंने जीत प्राप्त की. सरपंच डॉली सपपंच के तौर पर जब पंच परमेश्वर की भूमिका में ग्राम कचहरी पहुंचती हैं तो कचहरी खचाखच भरी रहती है. लोगों को विश्वास होता है कि इस सरपंच का फैसला सही होगा. यही वजह है कि सरपंच डॉली कुमारी के फैसले से लोग संतुष्ट होते हैं और वाह-वाह कर उठते हैं.

सरपंच डॉली कुमारी ने ग्राम कचहरी का डिजिटाइसेशन कर बदल दी वर्किंग स्टाइल.
बता दें कि सरपंच डॉली कुमारी यूपी के मेरठ के रहने वाली हैं और उन्होंने गुरुग्राम के फ्रैंकलीन इंस्टीट्यूट से एयर होस्टेस की ट्रेनिंग का कोर्स किया है. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से बीएससी की और शादी के बाद पुणे से एमबीए किया. वर्ष 2014 में शादी के बीच डॉली ने एक एयरलाइंस कंपनी में एयर होस्टेस का भी काम किया. इसके बाद चंद दिनों में ही टिकटिंग में भी काम करने लगीं.
डॉली कुमारी की अच्छी नौकरी और अच्छी- खासी सैलरी थी. लेकिन, गांव में कुछ खास करने का जज्बा था और वह खिंची चली आईं. जब सरकार ग्रामीण इलाकों में डिजिटाइजेशन की सोच रही थी इससे पहले ही इस महिला सरपंच ने उसे अपने गांव की जमीन पर उतार दिया. बिहार की इस महिला सरपंच ने ग्राम कचहरी का डिजिटाइजेशन कर नया अध्याय रच दिया.

डॉली कुमारी के फैसलों ने गांव वालों को थाना और कचहरी से मुक्ति दिला दी.
यह ग्राम कचहरी में सीसीटीवी, कंप्यूटर, प्रिंटर, फोटो कॉपी मशीन, लैपटॉप समेत तमाम आधुनिक यंत्रों से लैस है. कोई भी वाद-विवाद होता है तो उसे भी डिजिटल तरीके से ही सॉल्व कराया जाता है. सरपंच डॉली कुमारी बताती हैं कि एयर होस्टेस के तौर पर एयरलाइंस की नौकरी में अच्छे-खासे पैसे जरूर मिल जाते थे, लेकिन सरपंच में काम से संतुष्टि होती है. खुशी होती है कि उनके कारण किसी की जिंदगी में बदलाव आ जाता है. यही कारण है कि लोग थाना जाने के बजाय मेरे पास वाद विवाद को सुलझाने आते हैं और हमारे फैसले को सभी लोग मानते भी हैं.
तू सशक्त है, समर्थ है, शक्तिपुंज है…प्रेरित करती है एयरहोस्टेस से सरपंच बनीं डॉली कुमारी की कहानी
March 08, 2025, 06:47 IST
