तेजस्वी को CM बनाने के लालू के प्लान का खुलासा, NDA के वोट बैंक लगेगी सेंध

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वर्ष 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी की तैयारी पुख्ता थी. काफी हद तक उन्हें कामयाबी भी मिली. कांग्रेस ने अपने हिस्से की सीटें बर्बाद न की होतीं तो शायद तेजस्वी ही अभी सीएम होते. इस बार तेजस्वी …और पढ़ें

लालू यादव बिहार की राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, वे जंग जीतना जानते हैं.
हाइलाइट्स
- तेजस्वी बढ़ा रहे NDA का टेंशन, 10% वोटों की जुगत में लगे.
- बना रहे हैं नया जातीय इक्वेशन जो करेगा नीतीश को परेशान.
- यूथ और महिलाओं पर है फोकस, यही नीतीश-बीजेपी के वोटर
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के दो बार डेप्युटी सीएम रहे तेजस्वी यादव पिछली बार सीएम बनने से चूक गए. तब से लेकर अब तक उन्होंने सीएम बनने के दूसरे तरीके भी अपनाए. भाजपा के साथ बनी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को गिराने के उन्होंने तिकड़म किए. पर, नसीब साथ न दे तो प्रयास बेकार हो जाते हैं. संख्या बल जुटाने के लिए उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच विधायक तोड़े तो सरकार गिराने के लिए अवध बिहारी चौधरी को पहले स्पीकर पद छोड़ने से रोका. फिर एनडीए विधायकों को तोड़ने की कोशिश भी की. पर, नसीब के साथ नहीं देने के कारण उनके सारे दांव न सिर्फ फेल हो गए, बल्कि उन पर ही उल्टे पड़ गए. इसलिए लालू यादव ने तेजस्वी की ताजपोशी के लिए इस बार इतना पुख्ता रणनीति बनाई है, जो बेहद बदनसीबी में ही फेल हो सकती है.
10% वोटों की जुगत में तेजस्वी
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी की तैयारी पुख्ता थी. काफी हद तक उन्हें कामयाबी भी मिली. कांग्रेस ने अपने हिस्से की सीटें बर्बाद न की होतीं तो शायद तेजस्वी ही अभी सीएम होते. कांग्रेस ने मोल-भाव में 70 सीटें आरजेडी से हथिया ली थीं, जबकि जीतीं महज 19 ही. इस बात का तेजस्वी को अब तक मलाल है. तेजस्वी अब यकीनन वैसी गलती नहीं दोहराएंगे. इसके संकेत मिलने भी लगे हैं. दरअसल 2020 में एनडीए और महागठबंधन को मिले वोटों में 10 प्रतिशत से कम का ही अंतर रह गया था. इस बार तेजस्वी का पहला काम यही होगा कि वे किसी दबाव में आए बगैर जीतीं जा सकने वाली सीटें साथी दलों में बांटें. सत्ता सुख पाने और मृत घोषित ‘इंडिया’ के पुनर्जीवन के लिए महागठबंधन के घटक दलों को भी सहृदयता दिखानी होगी. ऐसा हो पाएगा कि नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन कांग्रेस के रुख को देख कर फिलहाल तो यही लगता है कि यह काम आसान नहीं होगा. बहरहाल, तेजस्वी ने पिछली बार से 10 प्रतिशत से अधिक वोट इस बार हासिल करने की न सिर्फ योजना बनाई है, बल्कि उस पर अमल भी शुरू कर दिया है.
तेजस्वी बना रहे नया वोटर बैंक
तेजस्वी आरजेडी के पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण के करीब 32 प्रतिशत वोटों की बाउंड्री से बाहर निकलना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने युवाओं पर फोकस किया है. महिलाओं पर माई-बहिन योजना का मजबूत जाल फेंका है. नीतीश कुमार के लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण में कुश (कुशवाहा) पर बिसात बिछा दी है. सांसद अभय कुशवाहा इसी जाति से आते हैं. दलित वोटों के लिए राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस पर डोरा डाला है. मल्लाह वोटों के लिए लोकसभा चुनाव में अपनी तीन सीटें देकर मुकेश सहनी को साध लिया है. सवर्णों में सेंध लगाने के लिए उनके पास जगदानंद सिंह, सुधाकर सिंह, सुनील सिंह और पारस की बदौलत सूरजभान सिंह जैसे लोग होंगे.
यूथ के लिए लगाई युवा चौपाल
दो दिन पहले ही यानी 5 मार्च को आरजेडी ने पटना में युवा चौपाल लगाई. राज्य भर से खासा संख्या में युवा मिलर स्कूल प्लेग्राउंड में जुटे. युवाओं को तेजस्वी ने मंत्र दिया- युवा मांगे युवा सीएम. अगले ही दिन तेजस्वी ने युवाओं के हित में एक और बड़ी बात कह दी. उन्होंने डोमिसाइल लागू करने की बड़ी घोषणा कर दी. बिहार में अभी जो सरकारी नियुक्तियां हो रही हैं, उसमें डोमिसाइल का बंधन खत्म कर दिया गया है. इसे लेकर बिहार में अलग बवेला मचा है. कहा जा रहा है कि डोमिसाइल लागू नहीं रहने से तकरीबन आधी नौकरियां दूसरे राज्यों के युवा ले जा रहे हैं. दरअसल शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान इस ढील की शुरुआत हुई थी. तब तेजस्वी यादव सरकार में शामिल थे. इससे कुछ लोग मान रहे थे कि तेजस्वी अभी उसी स्टैंड पर कायम होंगे. पर, अब तेजस्वी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे वहीं करेंगे, जो युवा चाहते हैं.
पासी समाज के लिए ताड़ी फ्री!
तेजस्वी यादव ने दो और बड़े वादे किए हैं. गुरुवार को उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनी तो वे शराबबंदी कानून को खत्म करेंगे. बिहार में ताड़ी बिकने की छूट देंगे. शराबबंदी खत्म करने की बात उन्होंने सीधे तो नहीं कही, पर उनके कहने का आशय स्पष्ट था था कि बिहार में 2016 के पहले की स्थिति लाएंगे. शराबबंदी कानून 2016 में ही लागू हुआ था. इसे खत्म करने की बात जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर भी करते हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि जन सुराज सत्ता में आई तो घंचे भर में शराबबंदी कानून को खत्म कर देंगे. तेजस्वी ने घुमा कर यह बात कही है. शायद उन्हें उन महिलाओं के नाराज होने का भय है, जिनकी बात सुन कर नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून लागू किया था. महिलाओं को पक्ष में लाने के लिए तेजस्वी ने माई-बहिन योजना के तहत 2500 रुए सम्मान राशि देने की घोषणा की है. शराबबंदी खत्म करने की बात महिलाओं को नाराज कर सकती थी कि क्योंकि इससे ज्यादातर घरों में हड़दंग रुका है. यही वजह रही होगी कि तेजस्वी ने सीधे न कह कर 2016 के पहले की स्थिति लौटाने की बात कही है. बिहार में पासी जाति की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है. पासी जाति की आबादी 12,88,031 है. ताड़ी की छूट देने की बात से तेजस्वी ने पासी समाज की सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया है.
कुशवाहा जाति पर पहले से डोरे
बिहार में कुशवाहा जाति के लोगों की आबादी 4.27 प्रतिशत है. यह पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार का वोटर रहा है. नीतीश के इस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए आरजेडी ने लोकसभा चुनाव के वक्त से ही कोशिश शुरू की है. लोकसभा चुनाव में कुशवाहा जाति से इंडिया ब्लाक और एनडीए ने नौ उम्मीदवार उतारे थे. इनमें आरजेडी ने अकेले तीन उम्मीदवार दिए. उजियारपुर से आलोक मेहता, औरंगाबाद से अभय कुशवाहा और नवादा से श्रवण कुशवाहा आरजेडी के उम्मीदवार थे. इंडिया ब्लाक का हिस्सा रही सीपीआई (एमएल) ने काराकाट से राजाराम सिंह, सीपीएम ने खगड़िया से संजय कुमार, वीआइपी ने पूर्वी चंपारण से राजेश कुशवाहा और कांग्रेस ने पटना साहेब से अंशुल अभिजित कुशवाहा उम्मीदवार बनाया था. एनडीए में जेडीयू ने एक, आरएलएम ने उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया था. अभय कुशवाहा को आरजेडी ने लोकसभा में संसदीय दल का नेता भी बनाया है.
पारस संग साधेंगे पासवान जाति
आरजेडी ने हर जाति को साधने के लिए अपनी रणनीति बनाई है, ताकि आठ-नौ प्रतिशत अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ हो सके. आरजेडी ने पशुपति कुमार पारस की आरएलजेपी से नजदीकियां बढ़ाई हैं. पासवान वोटों में पकड़ बनाने की यह आरजेडी की कोशिश है. बिहार में पासवान (दुसाध) समुदाय की आबादी 69 लाख 43 हजार है, जो कुल आबादी का लगभग 5.31% है. इस जाति के लोग अभी तक एनडीए के समर्थक रहे हैं. एलजेपी- आर के नेता चिराग पासवान इन वोटों का लाभ लेते रहे हैं. कुछ वोट जेडीयू को भी मिलते रहे हैं, क्योंकि नीतीश कुमार ने दलित-महा दलित श्रेणी बना कर इस समाज के लोगों को लाभ पहुंचाया है.
मुकेश दिलाएंगे मल्लाहों के वोट
आरजेडी ने लोकसभा चुनाव के दौरान विकासशील इंसान पार्टी ( VIP) के नेता मुकेश सहनी को अपने साथ लिया. उन्हें अपने हिस्से से तीन सीटें दी थीं. मुकेश सहनी को सरकार बनने पर डेप्युटी सीएम बनाने का वादा भी तेजस्वी यादव ने किया था. आरजेडी ने ऐसा इसलिए किया कि बिहार में मल्लाह जाति की 14 फीसदी आबादी का दावा मुकेश सहनी करते हैं. हालांकि कुछ लोग 7 प्रतिशत आबादी बताते हैं. मुकेश सहनी के महागठबंधन में रहने के कारण निषाद समुदाय के वोट आरजेडी को मिलने की उम्मीद है.
सवर्णों में भी घुसपैठ का है प्लान
बिहार में सवर्ण जातियों की आबादी करीब 15 प्रतिशत है. राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थ जातियां सवर्ण में शुमार हैं. सवर्ण जातियों के वोट पारंपरिक रूप से एनडीए के रहे हैं. आरजेडी ने इन जातियों के वोटों के लिए भी बिसात बिछाई है. पशुपति पारस के साथ भूमिहार नेता सूरजभान हैं. आरजेडी की योजना है कि उन्हें अनंत सिंह या विजय सिन्हा के खिलाफ मैदान में उतारा जाए. इससे दुश्मन भी खत्म होगा और भूमिहार वोट भी मिलने की संभावना रहेगी. विधान परिषद सदस्य और अपने को राबड़ी देवी का मुंहबोला भाई बताने वाले राजपूत नेता सुनील कुमार सिंह आरजेडी के साथ हैं तो जगदानंद सिंह और सांसद सुधाकर सिंह भी हैं. इस तरह सवर्ण वोटरों में भी सेंधमारी की आरजेडी ने कोशिश शुरू की है.
Patna,Patna,Bihar
March 08, 2025, 05:01 IST
