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आंखों की डॉ. ने स्वच्छता के लिए किया अनोखा आविष्कार, 500000 लोग हुए इंप्रेस

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Inspirational Story: पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी डॉक्टर रूबी मखीजा पेशे से आंखों की डॉक्टर हैं. उन्होंने स्वच्छता के मिशन को लेकर एक अनोखा ‘जीरो वेस्ट’ तकनीक का अविष्कार किया है. उनकी इस पहल ने लाखों लोगों को इ…और पढ़ें

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Dr. Ruby Makhija 

हाइलाइट्स

  • डॉ. रूबी मखीजा ने ‘जीरो वेस्ट’ तकनीक का अविष्कार किया.
  • यह तकनीक घरों और उद्योगों के कचरे को पुन: उपयोग योग्य बनाती है.
  • स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने यह पहल की.

नई दिल्ली: स्वच्छ भारत अभियान ने देशभर में सफाई और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है. इस अभियान से प्रेरित होकर कई लोग समाज में बदलाव लाने के लिए नए-नए कदम उठा रहे हैं. इनमें से एक प्रेरणादायक कहानी डॉक्टर रूबी मखीजा की है. जिन्होंने स्वच्छता के मिशन को लेकर एक अनोखा अविष्कार किया है. इसका नाम ‘जीरो वेस्ट’ तकनीक है.

 ‘जीरो वेस्ट’ तकनीक का किया आविष्कार

बता दें कि डॉक्टर रूबी मखीजा पेशे से आंखों की डॉक्टर हैं. दिल्ली के मालवीय नगर स्थित नवजीवन विहार सोसाइटी की सेक्रेटरी भी हैं. इतना ही नहीं डॉ. रूबी मखीजा एक पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी भी हैं. उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर एक ऐसी तकनीक का विकास किया है, जो घरों और उद्योगों से निकलने वाले कचरे को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखती है.

उनका यह अविष्कार न केवल कचरे की समस्या का समाधान करता है. बल्कि इससे पर्यावरण को भी बड़ा लाभ होता है. उनकी इस पहल ने लाखों लोगों को इंप्रेस किया है. स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी यह निष्ठा हमें यह सिखाती है कि हर व्यक्ति अगर अपनी जिम्मेदारी निभाए, तो हम अपने देश को स्वच्छ और हरित बना सकते हैं.

जीरो वेस्ट अविष्कार का उद्देश्य

डॉ. मखीजा का मानना है कि स्वच्छता का केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और पर्यावरणीय रूप से भी महत्व है. उनके द्वारा विकसित ‘जीरो वेस्ट’ तकनीक कचरे को पुनः उपयोग योग्य सामग्री में परिवर्तित करती है, जिससे कचरे का कोई नष्ट होने वाला अवशेष नहीं बचता है. इस तकनीक के तहत घरों और औद्योगिक कचरे को एक विशेष प्रक्रिया से साफ और पुन: उपयोग के योग्य बनाया जाता है, जिससे कचरा न केवल कम होता है. बल्कि दोबारा की प्रक्रिया में भी मदद मिलती है.

प्रेरणा और संघर्ष की यात्रा

डॉ. मखीजा के इस यात्रा की शुरुआत भी उतनी ही प्रेरणादायक है. स्वच्छ भारत अभियान के दौरान उन्होंने महसूस किया कि कचरे की समस्या को सही तरीके से हल किया जाए तो ना सिर्फ शहरों की सफाई बेहतर हो सकती है. बल्कि यह पूरी पृथ्वी को भी पर्यावरणीय नुकसान से बचा सकता है. इसके बाद उन्होंने अपने शोध और आविष्कार के लिए कई सालों तक काम किया, जिसमें उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण ने उन्हें इस अविष्कार में सफलता दिलाई.

समाज में बदलाव की दिशा

डॉ. मखीजा की यह तकनीक अब कई स्कूलों, कॉलेजों और छोटे उद्योगों में लागू की जा चुकी है. जहां लोग इसका इस्तेमाल करके कचरे को कम कर रहे हैं. वह पर्यावरण को बेहतर बना रहे हैं. उनका मानना है कि यदि हर नागरिक इस तकनीक का पालन करें, तो स्वच्छ भारत अभियान केवल एक सपना नहीं बल्कि एक वास्तविकता बन सकता है.

उनके इस प्रयास को न केवल सरकारी स्तर पर, बल्कि समाज में भी सराहा जा रहा है. डॉ. मखीजा ने यह साबित कर दिया है कि यदि व्यक्ति की सोच सकारात्मक हो, तो वह बड़े से बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा सकता हैं.

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