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Mirzapur: मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी धाम इकलौती ऐसी जगह है, जहां भैरव और भैरवी एक साथ विराजमान हैं. इनके दर्शन के बिना मां का दर्शन अधूरा है. ये जगह तंत्र पूजा के लिए प्रसिद्ध है. यहां मांगी गई हर मुराद पूर…और पढ़ें

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भैरो-भैरवी

भैरो-भैरवी

हाइलाइट्स

  • मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी धाम तंत्र पूजा के लिए प्रसिद्ध है.
  • भैरव और भैरवी के दर्शन के बिना मां का दर्शन अधूरा माना जाता है.
  • यहां दर्शन से ऋण, कारागार और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है.

मिर्जापुर: विंध्य पर्वत में विराजमान मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए विश्वभर से लाखों भक्त आते हैं. आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी के दर्शन से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. मां विंध्यवासिनी धाम से महज 300 मीटर की दूरी पर भैरव व भैरवी एक साथ विराजमान हैं. मान्यता है कि बिना भैरव व भैरवी के दर्शन के भक्तों की मनोकामना पूर्ण नहीं होती और दर्शन अधूरे माने जाते हैं. भैरव व भैरवी के धाम में तंत्र पूजा और शत्रुओं पर विजय के लिए विशेष अनुष्ठान किया जाता है.

क्या है मान्यता
पं. अनुपम महाराज ने लोकल 18 से बताया कि जगदंबा ने असुरों पर आक्रमण किया. असुरों का विनाश करते हुए मां काली का क्रोध भयंकर हो गया. महाकाली के रौद्र रूप को देखकर तीनों लोकों में कोई भी उनका सामना करने की हिम्मत नहीं कर पाया. ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी मां काली के इस रूप को देखकर चिंतित हो गए कि उन्हें कैसे शांत किया जाए. मां को शांत करने के लिए स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए, लेकिन काफी मान-मनुहार के बाद भी मां काली शांत नहीं हुईं.

बाल रूप धारण करके पहुंचे शिव
पंडित जी आगे बताते हैं कि मां काली को शांत करने के लिए भगवान शिव ने बाल स्वरूप धारण किया और उन्हें ‘मां’ कहकर पुकारने लगे. कई बार रुदन किया, जिससे मां करुणा से भर गईं. दयालुता के भाव से प्रभावित होकर मां काली अपने मूल स्वरूप में लौट आईं. चूंकि महाकाली ने बाल स्वरूप शिव को पुत्र रूप में स्वीकार किया था, इसलिए भगवान विष्णु ने उन्हें ‘बटुक भैरव’ नाम दिया. वहीं, मां काली को ‘भैरवी’ कहा गया.

सम्पूर्ण विश्व में इकलौता स्थान
जब मां ने प्रसन्न होकर बाल रूप शिव को गोद में बैठाया, तो इन्हें ‘आनंद भैरव’ और ‘आनंद भैरवी’ के नाम से जाना जाने लगा. इन्हीं नामों से पूरे विश्व में लोग इनकी पूजा करते हैं. यहां विशेष रूप से तंत्र पूजा की जाती है. भक्त जो भी मनोकामना लेकर आते हैं, मां उन्हें अवश्य पूरा करती हैं. यहां दर्शन करने से ऋण से मुक्ति, कारागार से मुक्ति और शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है. भैरव व भैरवी के एक साथ विराजमान होने के कारण यह धाम अत्यंत विशेष है. यह सम्पूर्ण विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भैरव और भैरवी एक साथ विराजमान हैं.

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