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राजस्थान के इस प्रोडक्ट को मिला मसाले का दर्जा, जानें इसकी खासियत

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Nagaur Aromatic Fragrant Paan Methi Masala: अपने खास सुगंध के लिए दुनियाभर में मशहूर नागौर पान मैथी को मसाले का दर्जा मिल गया है. शासन उप सचिव अशोक कुमार ने राज्यपाल की परमिशन के बाद अधिसूचना जारी की है. नागौर …और पढ़ें

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खेत

खेत में लहराती पान मैथी 

हाइलाइट्स

  • नागौर पान मैथी को मसाले का दर्जा मिला.
  • 5 हजार हेक्टेयर में होती है नागौर पान मैथी की खेती.
  • मसाला श्रेणी में आने से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी.

नागौर. अपनी महक और औषधीय गुणों के चलते देश-दुनिया में विशेष पहचान रखने वाले नागौर की सुप्रसिद्ध सुगंधित पान मैथी को राज्य सरकार ने मसाला का दर्जा दे दिया है. शासन उप सचिव अशोक कुमार ने राज्यपाल की परमिशन के बाद अधिसूचना जारी की है. राजस्थान कृषि उपज विपणन अधिनियम 1961 व धारा 40 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार अधिनियम की संलग्न अनुसूची संशोधित करते हुए क्रम संख्या 10 पर अंकित शीर्षक विविध के अंतर्गत विद्यमान अभिव्यक्ति पान मैथी को विलोपित करते हुए अनुसूची में क्रम संख्या 8 पर अंकित शीर्षक मसाले में सम्मिलित किया है.

नागौर के 5 हजार हेक्टेयर में होती है खेती

सुगंध के लिए दुनियाभर में मशहूर नागौर पान मैथी केवल नागौर जिले में करीब 5 हजार हेक्टेयर में खेती होती है. 3 से 4 हजार किसान इसकी खेती करते हैं. एक शोध पत्र में सामने आया था कि 150 में से 85 फीसदी किसानों ने मंडी की कमी बताई, तो 90 फीसदी किसानों का कहना था सही मूल्य नहीं मिल पाता है. नागौर की पान मैथी की डिमांड देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है.

पान मैथी को 53वां मसाले का मिला दर्ज

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने के बाद भाव में भी बढ़ोतरी संभव है. भारत के स्पाइसेस बोर्ड के पूर्व सदस्य भोजराज सारस्वत ने बताया कि अब तक 52 मसाले ही ऐसे थे, जो मसाला श्रेणी में शामिल थे. अब नागौर की पान मैथी 53वें मसाले का दर्जा मिला है. मसाले में सम्मिलित होने से पान मैथी खुद मसाला कहलाएगी.

GI टैग के लिए आसान हुई राह

कृषि मंडी सचिव रघुनाथ राम सिंवर ने बताया कि 15 दिन पहले ही प्रस्ताव भेजा था. दर्जा मिलने से अब भारत सरकार के मसाला बोर्ड की अनुसूची में शामिल होगी. नागौर की पान मैथी अब तक विविध शीर्षक में थी. मसाला मनाने से आगे इसकी पैकिंग मसाला टैग के साथ होगा. सर्वप्रथम पान मैथी घास की श्रेणी में थी, फिर कृषि मंडी सूची में लिया गया था. मसाला श्रेणी में आने से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और भाव भी बढ़ सकते हैं. जीआई टैग मिलते ही उसका स्थान, नाम और उत्पाद की भौगोलिक पहचान तय होगी और फिर अंतरराष्ट्रीय मार्केट में मसाला के तौर पर पहचान बढ़ेगी.

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