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खंडवा की बेटियों ने कथक में रचा इतिहास! गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

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खंडवा की पांच बेटियों ने कथक नृत्य में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर देश का नाम रोशन किया है. लेकिन आज युवा इस शास्त्रीय नृत्य से दूर हो रहे हैं. कथक केवल नृत्य नहीं, बल्कि फिटनेस, ध्यान और आत्मविश्वास बढ़ाने का ज…और पढ़ें

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पहले इस डांस फॉर्म को लड़के करते थे लेकिन अब इस फिल्ड में लड़कियां डांस कर रही ह

हाइलाइट्स

  • खंडवा की पांच बेटियों ने कथक नृत्य में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.
  • कथक केवल नृत्य नहीं, बल्कि फिटनेस, ध्यान और आत्मविश्वास बढ़ाने का जरिया भी है.
  • इसे सीखकर करियर बनाया जा सकता है.

खंडवा: खंडवा की पांच बेटियों ने कथक नृत्य में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर पूरे देश को गर्व करने का मौका दिया है. यह न सिर्फ उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है. वहीं, आज के समय में कथक सीखने वालों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है. खासकर युवा पीढ़ी इस पारंपरिक नृत्य से दूर होती जा रही है. इस बारे में हमने कथक नृत्य गुरु नवीन सोनी से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि कथक सीखने के क्या फायदे हैं?

कथक नृत्य गुरु नवीन सोनी ने बताया कि कथक सिर्फ एक डांस फॉर्म नहीं, बल्कि यह एक संपूर्ण कला है. इसमें लय, भाव, अभिव्यक्ति और ताल का अनोखा संगम होता है. कथक का अभ्यास करने से न केवल शरीर लचीला और मजबूत बनता है, बल्कि फिटनेस में भी सुधार होता है. यह एक बेहतरीन कार्डियो एक्सरसाइज भी है, जिससे स्टैमिना और संतुलन बेहतर होता है. इसके अलावा यह नृत्य मानसिक रूप से ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है.

भारतीय संस्कृति की धरोहर है कथक
कथक भारतीय संस्कृति की धरोहर है. इसे सीखकर युवा अपनी जड़ों से जुड़ सकते हैं. इस कला में तबला, पखावज, सितार और घुंघरुओं का खास महत्व होता है. ये संगीत की समझ और लयबद्धता को विकसित करने में मदद करता है.

कथक में बना सकते हैं करियर
पुराने समय में कथक पुरुषों के बीच ज्यादा लोकप्रिय था, लेकिन अब इसमें लड़कों की रुचि कम होती जा रही है और लड़कियां इसे ज्यादा सीख रही हैं. हालांकि, कथक को अब सिर्फ एक परंपरागत नृत्य के रूप में नहीं बल्कि करियर ऑप्शन के रूप में भी देखा जा रहा है. कथक सीखकर युवा पेशेवर नर्तक, कोरियोग्राफर, नृत्य शिक्षक या परफॉर्मर बन सकते हैं.

सरकारी नौकरी में भी है मददगार
खंडवा के संगीत कॉलेज में कथक नृत्य सिखाया जाता है और इसकी डिग्री भी दी जाती है. लेकिन अभी भी कथक सिखाने और सीखने वाले कम हैं. संगीत कॉलेज और अन्य संस्थानों में कथक की पढ़ाई कर सरकारी नौकरी भी पाई जा सकती है. ऐसे में जो युवा इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, वे एक बेहतरीन अवसर को खो रहे हैं. वहीं, युवतियां इसे बड़े लेवल पर सीख रही हैं और देश-विदेश में अपना नाम रोशन कर रही हैं.

कथक को नई पहचान दिलाने की है जरूरत
आज के समय में कथक को नई पहचान दिलाने की जरूरत है. डिजिटल दौर में सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की मदद से इस कला को आगे बढ़ाया जा सकता है. अगर युवा इसे अपनाएं तो न केवल उनकी खुद की ग्रोथ होगी, बल्कि यह भारतीय संस्कृति को भी मजबूती देगा.

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