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70 साल के बुजुर्ग ने खींच दिया 10 टन वजनी गाढ़ा; नजारा देख लोगों के उड़ गए होश

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Khargone News: खरगोन जिले के कसरावद में धुलंडी पर सदियों पुरानी गाढ़ा खींचने की परंपरा निभाई गई. 70 वर्षीय श्रीराम यादव, जिनमें बड़वा आता है, अकेले 10 टन वजनी गाढ़ा खींचते हैं. हल्दी का तिलक लगाने से बीमारियां …और पढ़ें

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कसरावद

कसरावद में गाढ़ा खींचने की परंपरा निभाई गई.

हाइलाइट्स

  • खरगोन में धुलंडी की शाम गाढ़ा खींचने की परंपरा निभाई गई.
  • 70 साल के श्रीराम यादव ने अकेले 10 टन वजनी गाढ़ा खींचा.
  • हल्दी का तिलक लगाने से बीमारियां दूर होने की मान्यता है.

खरगोन. शुक्रवार को पूरे देश में होली का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया. लोगों ने एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की बधाई दी. वहीं, खरगोन जिले के कसरावद में धुलंडी की शाम सदियों पुरानी गाढ़ा खींचने की अनोखी परंपरा निभाई गई. जिसे देखने के लिए सैकड़ों की तादात में लोगों की भीड़ उमड़ी थी. खास बात ये है जिस गाढ़े को कई लोग मिलकर भी हिला नहीं पाते उस गाढ़े को अकेला व्यक्ति खींच देता है. शुक्रवार को यह नज़ारा जिसने भी देखा उसके होश उड़ गए.

जिला मुख्यालय से करीब 40 km दूर ग्राउंड जीरो पर पहुंची local 18 की टीम से खास बातचीत में राकेश पाटीदार एवं रजत पाटीदार ने बताया कि, क्षेत्र में गाढ़ा खींचने की परंपरा विगत कई वर्षों से निभाई जा रही है. गांव के श्रीराम यादव (शेरू) जिन्हें बड़वा कहते है, उनके शरीर में खंडेराव महाराज और पीर बाबा आते है. उन्हीं के द्वारा हर साल धुलंडी के दिन शाम 7 बजे यहां लगभग 10 टन वजनी गाढ़ा खिंचा जाता है. जिसको देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते है. इस गाढ़े पर लोगों भी चढ़ जाते है.

हल्दी का टीका लगाने से दूर होती है बीमारियां
ग्रामीण बताते है कि, होली के करीब 5 दिन पहले से इसकी तैयारी शुरू जो जाती है. इसमें पाटीदार समाज द्वारा गाढ़ा तैयार किया जाता है, जबकि यादव समाज बड़वा को संभालते है. बड़वा के आने और गाड़ा खींचने के पहले 5 महिलाएं हल्दी के छापे गाढ़े पर लगाती हैं. मान्यता है कि इस हल्दी का तिलक लगाने से हर प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं. इस दौरान महिलाएं पारंपरिक निमाड़ी गीत गाती है.

खंडेराव महाराज से जुड़ी है परंपरा
वहीं, गाढ़ा खींचने वाले बड़वा श्रीराम यादव के अनुसार, यह परंपरा लगभग 951 साल पुरानी है. उनका कहना है कि, स्वयं खंडेराव महाराज ने यहां गाढ़ा खींचने की रस्म शुरू की थी. तब से ही गांव में अलग अलग व्यक्ति, जिसके शरीर में बड़वा आते है, उनके द्वारा गाढ़ा खिंचा जाता है. वह कहते है कि, आज भी बड़वा के शरीर में खंडेराव महाराज और पीर बाबा आकर इस गाढ़े को खींचते है.

70 साल के बुजुर्ग में खींचा गाढ़ा
बता दें कि, गाढ़ा खींचने वाले बड़वा श्रीराम यादव लगभग 70 साल के हो चुके है. जिनका वजन महज 50-55 किलो है. जब उनके शरीर में बड़वा आते है तो लोग उन्हें अपने कंधों पर उठाकर गाढ़े तक लाते है. इसके पहले लकड़ी के खंभे पर लगी माकड़ी को तीन बार घुमाया जाता है. फिर सात जोड़ लकड़ी ओर लोहे के बड़े पहियों से बने गाढ़े को खींचा जाता है. इस यात्रा के दौरान लोग सिर पर पटिया और हाथ में तलवार लेकर चलते हैं, जबकि बड़वा खुद लगातार छड़ी घुमाते रहते हैं.

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