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48 km दूर से चीन-पाक पर बरसेगी मौत, 7000 करोड़ रुपये से खरीदी जा रही 307 तोप

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ATAGS GUN SYSTEM: कारगिल की लड़ाई के बाद कभी एसा मौका ही नही आया की किसी भी आर्टिलरी तोप का इस्तेमाल किया जा सके. लद्दाख में चीन के साथ तनातनी के दौरान बड़ी तेजी में आर्टिलगी गन को तैनात कर दिया गया था. अगर हम …और पढ़ें

48 km दूर से चीन-पाक पर बरसेगी मौत, 7000 करोड़ रूपये से खरीदी जा रही 307 तोप

नई तोप मिलेगी भारतीय सेना को

हाइलाइट्स

  • भारतीय सेना खरीदेगी 307 ATAGS तोपें.
  • ATAGS तोपें 48 किमी दूर तक मार कर सकती हैं.
  • 7000 करोड़ रुपये की डील को CCS ने मंजूरी दी.

ATAGS GUN SYSTEM: भारतीय सेना अपनी आर्टेलरी रेजिमेंट की आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही है. इसके लिए देश में बनी तोपों के जरिए ही सेना की ताकत में इजाफा किया जाना है. सरकार की केबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने भारतीय सेना के लिए ATAGS यानी एडवांसड टोड आर्टीलरी गन सिस्टम की खरीद को मंजूरी दे दी है. यह पूरी डील तकरीबन 7000 करोंड़ रुपये की करीब है. यह गन पूरी तरह से स्वदेशी है. कुल 307 हावित्जर की खरीद स्वदेशी कंपनी से की जी रहा है.

DRDO ने डेवलप किया प्राइवेट कंपनी करेगी उत्पादन
ATAGS को देश में ही डिजाइन और डेवलप किया गया है. अब इनका उत्पादन प्राइवेट कंपनी भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स करेंगे. डील में हमेशा लोअस्ट बिडर को ही चुना जाता है. चूकिं स्वदेशी डिफेंस कंपनियों को आगे बढ़ाना है. इसके लिए 307 गन के उत्पादन को दोनों कंपनियों में बांट दिया है. भारत फोर्ज लोअस्ट बिडर था तो उसे 60 फीसदी तोप डिलिवर करनी है. टाटा एजवांस्ड को 40 फीसदी का निर्माण करना है.

ATAGS की ताकत
दुनिया में ATAGS ही ऐसे तोप है जो 48 किलोमीटर दूर तक मार करती है. यानी की दुनिया की सबसे ज्यादा रेंज वाली तोप बन गई है. 155 mm 52 कैलिबर की इस तोप से 15 सेकंड में 3 राउंड गोले दागे जा सकते है. 3 मिनट में 15 राउंड गोले और लगातार 60 मिनट में 60 राउंड गोले दाग सकती है. हर मौसम में इस्तेमाल में लाए जाने के लिए इसे डिजाइन किया गया है. इसके परिक्षण पोखरण के रेगिस्तान से लेकिन सिक्किम की पहाड़ियों तक सफलतापूर्वक होने बाद अब सेना के लिए चुना गया है.

कारगिल की जंग के बाद शुरू हुआ ट्रांसफॉर्मेशन
1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण प्लान में आर्टीलरी तोपें सबसे अहम था. साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य है. 155 mm की अलग अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है. कुछ लक्ष्य को पूरी भी किया जा चुका है. मसलन जिसमें 145 अल्ट्रा लाईट होवितसर भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है. यह गन अमेरिका से ली गई है. इस प्लान के मुताबिक 1580 टोड तोप जो की गाड़ियों के जरिये खींची जाने वाली तोपों को शामिल करना है. 814 ट्रक माउंटेड गन यानी गाड़ियों पर बनी तोपें, 100 तोपें ट्रैक्टड सेल्फ प्रोपेल्ड के तौर पर K-9 वज्र की खरीद की जा चुकी है. 100 अतिरिक्त गन की खरीद भी कर ली गई है. 180 विल्ड सेल्फ प्रोपेल्ड गन को प्लान के मुताबिक सेना में शामिल करना है. भारतीय सेना अपने तोपखाने की ताकत बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है. साल 2040 तक भारतीय तोपखाने की तोपों को 155 कैलिबर में तब्दील करने का टार्गेट रखा है.


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