30 से 50 की उम्र में ज्यादा होता है बच्चेदानी में गांठ का जोखिम, जानिए इसके कारण और बचाव का तरीका
महिलाओं में एक समस्या बहुत आम तौर पर सुनाई देती है जिसे लोग आम भाषा में कहते हैं – बच्चेदानी में गांठ बन जाना। साइंस उसे फाइब्रॉइड्स नाम से जानता है। लेकिन आम सी दिखने वाली ये समस्या कई बार गंभीर भी हो जाती है।
महिलाओं में एक समस्या बहुत आम तौर पर सुनाई देती है जिसे लोग आम भाषा में कहते हैं – बच्चेदानी में गांठ (bachchedani ki ganth) बन जाना। साइंस उसे फाइब्रॉइड्स नाम से जानता है। लेकिन आम सी दिखने वाली ये समस्या कई बार गंभीर भी हो जाती है और कामकाजी महिलाओं में इसके खतरे कई कारणों से और बढ़ जाते हैं। आज हम इसी समस्या पर बात करने वाले हैं कि इसके लक्षण क्या हैं, क्यों होती है बच्चेदानी में गांठ और इससे बचाव के तरीके क्या हैं?
क्या है यूट्रस में गांठ होने का मतलब (bachchedani ki ganth)
एम्स, पटना में गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर मुक्ता अग्रवाल के अनुसार, बच्चेदानी में गांठ या ट्यूमर बनना जिसे आमतौर पर फाइब्रॉइड्स कहा जाता है, मांसपेशियों के अतिरिक्त विकसित हो जाने से होती हैं। जिनसे महिलाओं को प्रेगनेंसी, पीरियड्स के दौरान समस्याएं हो सकती हैं। यह अधिकतर 30 से 50 वर्ष की महिलाओं में देखी जाती है। शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने की वजह से यह समस्या ज्यादा होती है।
क्या हैं बच्चेदानी में गांठ के लक्षण (symptoms of fibroids in uterus)
1.पीरियड्स के समय बहुत ज्यादा खून आना और कई बार खून के थक्के जमना बच्चेदानी या यूट्रस में गांठ (bachchedani ki ganth) बनने के लक्षणों में से एक है।
2.कई बार ऐसी स्थिति में आपकी नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द उभर सकता है। ये भी बच्चेदानी या यूट्रस में गांठ बनने के लक्षणों में शामिल है।
3.बच्चेदानी या यूट्रस में गांठ (bachchedani ki ganth) की वजह से आपको बार-बार पेशाब आने जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
4.सेक्स के दौरान दर्द भी बच्चेदानी या यूट्रस में गांठ के लक्षण हो सकते हैं।
5.इनके अलावा पेट में सूजन, खून की कमी और अक्सर कब्ज रहना भी बच्चेदानी या यूट्रस में गांठ का लक्षण हो सकता है।
क्या हैं बच्चेदानी में गांठ या यूट्रस फायब्रॉइड के कारण (causes of uterus fibroid)
1. हार्मोनल असंतुलन
बच्चेदानी में गांठ बनने (bachchedani ki ganth) का सबसे आम कारण हार्मोनल इमबैलेन्स है। खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नाम के दो हार्मोन्स का इंबैलेंस अक्सर युटर्स की मांसपेशियों को और डेवलप कर देते हैं जिससे गांठ बनने का खतरा ज्यादा होता है।
एस्ट्रोजन नामका हार्मोन महिलाओं में पीरियड्स कंट्रोल करता है और प्रोजेस्ट्रॉन प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ को धारण करने में उनकी मदद करता है। ऐसे में अगर शरीर में इन हार्मोन्स का इमबैलेन्स हुआ तो मांसपेशियों के ऊपर अतिरिक्त दबाव से गांठ बनने की संभावना ज्यादा होती है।
2.जीनेटिक कारण
अगर किसी महिला की मां, बहन या अन्य परिवार के सदस्य को फाइब्रॉइड्स (bachchedani ki ganth) की समस्या है, तो उस महिला में भी इसका खतरा हो सकता है। ये उन जींस के कारण होता है जो शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस को बढ़ाते हैं।
3. उम्र
फाइब्रॉइड्स की समस्या में उम्र भी एक फैक्टर है। आमतौर पर ये समस्या 30 से 50 वर्ष की महिलाओं में देखी जाती है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में हार्मोनल चेंज तेजी से होता है।
4.लाइफस्टाइल और खाना
खराब लाइफस्टाइल यानी देर से सोना,देर से उठना या देर तक काम करना – आपके शरीर की पाचन क्षमता पर असर डालते हैं। ऐसे में शरीर के हार्मोन्स बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इसके अलावा खाने में बहुत ज्यादा मात्रा में फैट या शुगर इनटेक भी हार्मोनल इमबैलेन्स को जन्म देता है जो यूटेरस में गांठ (bachchedani ki ganth) का कारण हो सकता है।
कामकाजी महिलाओं में फाइब्रॉइड्स का खतरा ज्यादा क्यों होता है? ( Why working women suffer more from bachchedani ki ganth)
डॉक्टर मुक्ता के अनुसार ऊपर जो कारण बताए गए हैं, वे सारे कारण कामकाजी महिलाओं में ज्यादा देखे जाते हैं और इसीलिए उनमें ये खतरा भी ज्यादा है। हालांकि एक कारण हम भूल रहे हैं और वो है तनाव। तनाव किसी भी वर्किंग महिला के लिए आम है, लेकिन यह खतरनाक भी है। चाहे वो वर्क- लाइफ बैलेंस की वजह से हो या फिर ज्यादा काम की वजह से।
दरअसल तनाव से हमारा शरीर कॉर्टिसोल नाम का स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करने लगता है। जो शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन बढ़ा देता है। इस वजह से फिर फाइब्रॉइड्स जैसी समस्याओं के खतरे बढ़ने शुरू हो जाते हैं। तो हां लाइफस्टाइल, खाना, अधूरी नींद या फिर तनाव – ये सब कुछ वजहें हैं जो वर्किंग महिलाओं में यूट्रस में फाइब्रॉइड्स के खतरे को बढ़ा देती हैं।
फाइब्रॉइड्स से बचाव के उपाय (How to avoid the risk of bachchedani ki ganth)
1.अच्छा और स्वस्थ खाना
अच्छा और स्वस्थ खाना आपको किसी भी बीमारी के खतरे से दूर कर सकता है क्योंकि अगर खाने में नुकसान दायक चीजें नही होंगी तो आपके शरीर में हार्मोन्स इमबैलेन्स का शिकार नहीं होंगे जिस वजह से डाइब्रॉइड्स के खतरे बढ़ते हैं। ताजे फल, सब्जियां और ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा हो।
2.वजन कंट्रोल
मोटापा शरीर में हार्मोनल इमबैलेन्स का एक बड़ा कारण है। उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में मोटापे के खतरे भी बढ़ते जाते हैं और इस वजह से भी फाइब्रॉइड्स का खतरा बना रहता है। इसलिए सही तरीका यही है कि हम अपने वजन को नियंत्रित रखें।
3. व्यायाम
नियमित तौर पर अगर हम व्यायाम करते हैं तो हमारी आधी समस्या ऐसे ही दूर हो सकती हैं। व्यायाम जिसमें योग, तैराकी, तेज चलना शामिल है – शरीर में हार्मोन्स को कंट्रोल में रखते हैं और हम यूट्रस में फाइब्रॉइड्स जैसे खतरों से दूर होते चले जाते हैं।
4. स्ट्रेस मैनेजमेंट
फाइब्रॉइड्स के खतरे (bachchedani ki ganth) को कम करने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। अब आप को इसके लिए अपने दिनचर्या में सुधार करना पड़ सकता है। काम वक्त पर खत्म करने की कोशिश करनी पड़ेगी ताकि आप तनाव से ना जूझें और छोटी मोटी बातों से परेशान होना बंद करना पड़ेगा क्योंकि ये सारे तनाव के कारण हैं और तनाव हार्मोन्स का शरीर में बैलेंस बिगाड़ता है। योग और मेडिटेशन के सहारे भी स्ट्रेस मैनेजमेंट किया जा सकता है।
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