1100 साल, कई हुक्मरान… यादवों का किला बना निजाम, मुगलों, अंग्रेजों का अड्डा!
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Gavilgad Fort: गाविलगड किला विदर्भ के लिए खास है. यह किला लगभग ग्यारह सौ साल पहले बनाया गया था. गाविलगड किले के छह दरवाजे हैं, जिनमें से हर दरवाजे का विशेष महत्व है. इनमें सबसे खास दरवाजा शार्दुल दरवाजा है.
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गाविलगड किला: विदर्भ का ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य
हाइलाइट्स
- गाविलगड किला विदर्भ का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है.
- किले में छह दरवाजे हैं, जिनमें शार्दुल दरवाजा सबसे खास है.
- किले पर यादव, निजाम, मुगल और अंग्रेजों का शासन रहा है.
अमरावती: मेलघाट को विदर्भ का नंदनवन कहा जाता है क्योंकि मेलघाट का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसी मेलघाट में गाविलगड किला स्थित है. क्षेत्रफल के हिसाब से बड़ा यह किला विदर्भ के लिए खास है. यह किला लगभग ग्यारह सौ साल पहले बनाया गया था. गाविलगड किले के छह दरवाजे हैं, जिनमें से हर दरवाजे का विशेष महत्व है. इनमें सबसे खास दरवाजा शार्दुल दरवाजा है. इसके अलावा अन्य दरवाजों का भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है.
गाविलगड किला लगभग ग्यारह सौ साल पुराना
बता दें कि गाविलगड किले की जानकारी के लिए लोकल 18 ने स्वराज्य सेवा प्रतिष्ठान के प्रमुख शिवा काले से बातचीत की. शिवा काले किले के संरक्षण के लिए काम करते हैं. शिवा काले बताते हैं कि गाविलगड किला लगभग ग्यारह सौ साल पुराना है. विदर्भ के इतिहास में महत्वपूर्ण किले के रूप में गाविलगड और नरनाला किले हैं. इनमें से गाविलगड किला यादवकालीन है और क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत बड़ा है. गाविलगड किले पर पहले गवली राजा का शासन था. इसके बाद 1425 में इमादशाही, 1575 में अहमदनगर की निजामशाही, 1600 में मुगलशाही, फिर से अहमदनगर की निजामशाही, उसके बाद नागपुरकर भोसले और 1803 में अंग्रेजों के कब्जे में यह किला था.
किले में छह दरवाजे हैं
इस किले में छह दरवाजे हैं. इनमें से हर दरवाजे की अपनी विशेषता है. सबसे महत्वपूर्ण और सुंदर दरवाजा शार्दुल दरवाजा है. शार्दुल दरवाजे पर ऊपर द्विमुखी गंडभेरुड है. गंडभेरुड का मतलब गरुड़ के मुख वाला मनुष्य. गंडभेरुड की चोंच में शरभ की मूर्ति है. बड़े बाघ पर गंडभेरुड खड़ा है और चार पैरों में चार हाथी दिखते हैं. इसके अलावा बाघ के मुंह और पूंछ में भी हाथी दिखते हैं. दरवाजे के दोनों ओर ये मूर्तियां हैं. गंडभेरुड की इन दोनों मूर्तियों के बीच खजूर का पेड़ है. खजूर उस समय राजसत्ता की समृद्धि का प्रतीक था. गंडभेरुड विजय नगर साम्राज्य का राज चिन्ह भी माना जाता है. यानी शार्दुल दरवाजे पर हिंदू और मुस्लिम स्थापत्य कला दोनों की कलाकृतियां हैं.
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शार्दुल दरवाजे के बाद अंदर दिल्ली दरवाजा आता है. यह मजबूत दरवाजा है, उस समय का यह मजबूत दरवाजा था. इसके बाद पिर फतेह दरवाजा है. इस पर शिलालेख खुदा हुआ है. यह दरवाजा बारलिंगा गांव में उतरता है. इसके बाद किले के पश्चिम दिशा में मोझरी दरवाजा है. इस दरवाजे तक पहुंचना अब संभव नहीं है. इसके बाद मछली दरवाजा और बारलिंगा दरवाजा भी है. बारलिंगा दरवाजा 1803 के युद्ध में पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था.
February 19, 2025, 16:34 IST
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