11 या 12 मार्च… फाल्गुन माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब? जानें शुभ मुहूर्त

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Pradosh Vrat March Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते है. इस व्रत के बारे में विस्तार से….और पढ़ें

प्रदोष व्रत
हाइलाइट्स
- फाल्गुन माह का अंतिम प्रदोष व्रत 11 मार्च को होगा.
- भौम प्रदोष व्रत का महत्व कर्ज उतारने में श्रेष्ठ है.
- प्रदोष व्रत के दिन शिव परिवार की पूजा करें.
Pradosh Vrat. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत किया जाता है और भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. साथ ही, विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से मार्च के महीने में पहला और फाल्गुन माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब आ रहा है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा. वहीं, यह प्रदोष व्रत फाल्गुन का आखिरी और मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत होगा. मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. बता दें कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को सुबह 8:13 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 9:11 मिनट पर होगा. ऐसे में फाल्गुन माह का आखिरी प्रदोष व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा.
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में इस दिन को कर्ज उतारने के लिए बड़ा ही श्रेष्ठ माना जाता है. पुराणों में बताया गया है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उसके समस्त समस्याओं का हल निकलता है.
जरूर करें इन नियमों का पालन
-प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें.
-इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.
-इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें.
-फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें उसके बाद पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.
Ujjain,Madhya Pradesh
March 06, 2025, 09:48 IST
