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हड्डियों का ढांचा बने 4 बच्‍चे, इस बीमारी से शरीर सूखा, नहीं मिली सरकारी मदद

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Rewa News: रीवा के बांसगांव से दिल दहला देने वाली खबर है. यहां एक परिवार में बीमारी के कारण बच्‍चों का शरीर सूखकर कांटे जैसा हो गया है. हड्डियों का ढांचा बने बच्‍चे पूरी तरह से अपने माता-पिता पर आश्रित हो गए हैं. परिवार का…और पढ़ें

रीवा. यहां एक ही परिवार के चार बच्चे कॉपर डिस्टोनिया नाम की अजीब बीमारी से जूझ रहे हैं. इसमें उनकी मांसपेशियां दिन-ब-दिन सिकुड़ती जा रही हैं. शरीर हड्डियों का ढांचा दिखने लगा है. जिन बच्चों को दौड़ना, खेलना और स्कूल जाना चाहिए, बीमारी ने उन्हें पंगु बनाकर घर में बिठा दिया है. साकेत परिवार का असहनीय दुख और दर्द ऐसा है कि उसे बता पाना कठिन है. अपने बच्चों की तकलीफ को बताते हुए मां रोने लगी तो पिता ने बताया कि सरकारी की कोई मदद नहीं मिली जबकि परिवार घोर कर्ज में डूब चुका है.

पिता महेश साकेत ने बताया कि गरीब लोगों के लिए आयुष्मान योजना सहित कई योजनाएं राज्‍य और केंद्र सरकार चला रही है, लेकिन अभी तक हमें कोई सहायता नहीं मिल सकी है. हम अपने बच्‍चों का इलाज और ना ही सही ढंग पालन-पोषण नहीं करा पा रहे हैं. महेश ने बताया कि हमारे ही रीवा से स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री राजेंद्र शुक्ल हैं, लेकिन बच्‍चों का इलाज नहीं हो पा रहा और ना ही दवाएं मिल पा रहीं हैं. उन्‍होंने बताया कि विधायक से मिलकर उनसे मदद मांगी थी, लेकिन उन्‍होंने भी हमें कोई सहायता नहीं दी.

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बच्‍चों का अपने पैसों से इलाज कराया, सरकारी सहायता नहीं मिली
रीवा के बांसगांव के रहने वाले महेश साकेत ने बताया कि बच्‍चों का अपने पैसों से इलाज कराया है, लेकिन इसका कोई इलाज ही नहीं होता है. ये बच्‍चे रात-रात भर रोते रहते हैं. डिस्‍टोनिया में मांसपेशियों में ऐंठन होती है, जिससे बच्‍चों के शरीर में कंपन, ऐंठन और दर्द होता है. इससे बच्‍चे रात में भी बच्चे दर्द की वजह से जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं. महेश साकेत के 7 बच्चे हैं, जिनमें से एक बेटा और 6 बेटियां हैं. चार बच्चे 6 साल की उम्र तक तो सही रहे, लेकिन जैसे ही उन्होंने इस उम्र को पार किया तो वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गए और स्कूल भी नहीं जा पाए. बच्चों के लगातार बीमारी की चपेट में आने से पूरा परिवार कर्ज में डूब गया है.

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इलाज कराएं तो घर कैसे चलाएं; मजदूर पिता ने बताया दर्द
महेश मजदूरी का कार्य करता है जिससे घर खर्च बड़ी मुश्किल से चलता है ऐसे में बच्चों का इलाज करा पाना संभव नहीं है. चुनौती तो इस बात की है कि इलाज कैसे कराएं और इलाज कराएं तो घर कैसे चलाएं; मजदूरी भी नहीं कर पा रहे. स्थानीय मनगंवा विधायक नरेन्द्र प्रजापति ने परिवार के दुख का समझा जाना और अब उनकी हर संभव मदद की बात कह रह रहे हैं. बीमारी को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी इलाज के लिए निर्देशित किए हैं. साथ ही स्वास्थ्य मंत्री व डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल से भी बीमारी के संदर्भ में चर्चा की है; साथ ही परिवार की आर्थिक मदद की बात कही. वहीं, महेश का कहना है कि ना तो विधायक और ना ही अफसर किसी ने भी आज तक कोई मदद ना खुद की है, ना ही सरकार से राहत दिलवाई है.

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