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रेबीज का खतरा सिर्फ कुत्तों से नहीं! बिल्ली भी बन सकती खतरनाक बीमारी का कारण

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Rabies Prevention Tips: रेबीज वायरस सिर्फ कुत्तों से नहीं, बिल्लियों से भी फैल सकता है. डॉ. अनंत साखरे के अनुसार, रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर असर डालती है.

रेबीज का खतरा सिर्फ कुत्तों से नहीं! बिल्ली भी बन सकती खतरनाक बीमारी का कारण

रेबीज से बचाव के उपाय और टीकाकरण की जानकारी

हाइलाइट्स

  • रेबीज वायरस कुत्तों के साथ बिल्लियों से भी फैल सकता है.
  • रेबीज से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण आवश्यक है.
  • रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर असर डालती है.

नासिक: बिल्ली एक ऐसा जानवर है जिसे हम अपने घर में शौक से पालते हैं. वह हमारे घर के एक सदस्य की तरह रहती है, लेकिन बिल्ली के कारण रेबीज नामक बीमारी तेजी से फैल सकती है. बता दें कि घर में बिल्ली पालने से इसके कारण आपकी जान भी खतरे में आ सकती है. बिल्ली पालने से कौन सी बीमारी होती है? इस बारे में नासिक के पशुचिकित्सक डॉ. अनंत साखरे ने जानकारी दी है.

क्या है रेबीज?
लोकल 18 से बात करते हुए पशुचिकित्सक डॉ. अनंत साखरे ने कहा कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो रेबीज वायरस के इंफेक्शन से होती है. इसमें व्यक्ति के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर असर होता है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. आमतौर पर माना जाता है कि यह बीमारी कुत्ते के काटने से होती है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कई अन्य जानवर भी रेबीज फैला सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से बिल्ली शामिल है.

रेबीज बीमारी होने के कारण
रेबीज वायरस के कारण यह बीमारी होती है. वायरस को तंत्रिका कोशिकाओं और लार ग्रंथियों का आकर्षण होता है. यह वायरस नाजुक होता है और आयोडीन, एसीटोन, साबुन, डिटर्जेंट, इथर, फॉर्मेलिन, फिनॉल आदि कीटाणुनाशकों के प्रति संवेदनशील होता है.

सूखी लार में वायरस कुछ घंटों में मर जाता है. वायरस 50 डिग्री सेल्सियस में 1 घंटे में और 60 डिग्री सेल्सियस तापमान में 5 मिनट में नष्ट हो जाता है. वायरस शरीर के बाहर ज्यादा समय तक नहीं टिकता.

वायरस 3-11 पीएच (सामू) पर स्थिर रहता है. यह ठंड प्रतिरोधक होता है. -70 डिग्री सेल्सियस तापमान में कई वर्षों तक टिकता है, 0-4 डिग्री सेल्सियस पर जम जाता है.

रेबीज बीमारी किसे होती है?

गर्म रक्त वाले मानव सहित सभी जानवरों में होती है. कुत्ते और बिल्ली अधिक संवेदनशील होते हैं.

गाय-भैंस, बकरी-भेड़ मध्यम संवेदनशील होती हैं.

भेड़िया, बिल्ली, शेर, नेवला, चमगादड़, बंदर आदि जानवरों को भी होती है.

बीमारी का प्रमाण मादा की तुलना में नर कुत्तों में अधिक होता है. मादा में यह बीमारी मुख्य रूप से प्रजनन काल में अधिक होती है.

रेबीज से बचाव के उपाय
नियमित टीकाकरण ही रेबीज रोग से बचाव का प्रभावी उपाय है. बिल्ली के 3 महीने की उम्र होने पर रेबीज रोधी टीके की पहली डोज त्वचा के नीचे दी जानी चाहिए. इसके बाद नियमित रूप से हर साल टीका लगवाना चाहिए. रोगप्रवण क्षेत्रों (disease prone areas) में 70 प्रतिशत कुत्तों का टीकाकरण करने से बीमारी का चक्र रोका जा सकता है.

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रेबीज रोधी टीका किन लोगों को लेना चाहिए?
उच्च जोखिम वाले पेशेवर समूहों के लोग, जैसे कि पशु चिकित्सक और जानवरों को संभालने वाले उनके कर्मचारी, रेबीज शोधकर्ता और कुछ प्रयोगशाला कर्मचारी, बिल्ली, कुत्ते आदि के संपर्क में रहने वाले लोग. अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को भी रोधी टीका लेना चाहिए. पहली बार 0, 7 और 21/28 वें दिन तीन खुराक लेनी चाहिए. इसके बाद हर साल बूस्टर डोज लेना चाहिए.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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