रूसी Su-57 से है भारत का पुराना नाता, फाइटर प्रोजेक्ट में था शामिल
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Su-57 vs AMCA: पांचवी पीढ़ी के फाइटर बेंगलुरू पहुंच चुके हैं. पिछले साल पहली बार अमेरिकी पांचवी पीढ़ी के फाइटर F-35 पर सबकी नजरे जा टिकी थी. इस बार रूस यह काम करने वाला है. रूस इस साल पहली बार अपने पांचवी पीढी …और पढ़ें
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पांचवी पीढ़ी के फाइटरों की रेस शुरू
हाइलाइट्स
- भारतीय आसमना में पहली बार रूसी Su-57 ने भरी उड़ान।
- भारत और रूस ने पहले FGFA प्रोजेक्ट पर काम किया था।
- भारत अब स्वदेशी AMCA फाइटर जेट पर ध्यान दे रहा है।
Su-57 vs AMCA: पांचवी पीढ़ी के फाइटर की रेस में अब रूसी Su-57 ने भी अपना दावा ठोक दिया है. 10 फरवरी से बेंगलुरू ‘एयरो इंडिया-2025’ की शुरुआत हो रही है. इस एयरो शो के लिए पहली बार सुखोई-57 भारतीय आसमान में दिखा. गुरुवार को सुखोई 57 के लैंडिंग गियर खुले और येलहांका के एयर स्ट्रिप पर इसने लैंड किया. पहली बार ऐसा हो रहा है कि दो देश अपने पांचवी पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट को भारत को बेचने के लिए आपस में रेस कर रहे है. इस रेस में की रूसी सुखोई-57 और अमेरिकी F-35 है. सुखोई-57 बनाने वाली कंपनी रोसोबोरोनेक्सपोर्ट ने भारत को सुखोई के एक्सपोर्ट वर्जन यानी की Su-57E बेचने का ऑफर दिया है. ऑफर मेें फ्लाई वे कंडीशन, साझा उत्पादन भी शामिल है.
Su-57 से भारत का पुराना रिश्ता
सुखोई-57 पहली बार भारत के आसमान में उड़ान भरने वाला हो लेकिन भारत के साथ इसका रिश्ता इसके डेवलपमेंट फेज से ही है. 2000 के दशक में भारत ने रूस के साथ मिलकर पांचवी पीढ़ी के विमान यानी FGFA प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था. भारत औऱ रूस के बीच साल 2010 में FGFA के प्रोजेक्ट के डिजाइन एग्रिमेंट पर दस्तखत भी किए थे. इसमें प्रोडेक्ट में भारत ने भी काफी पैसा इंवेस्ट किया. साल 2018 में इस प्रोजेक्ट से अपने को अलग कर लिया. इसके पीछे की वजह बताई जाती है स्वदेशी पांचवी पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट AMCA प्रोजेक्ट. खबरें यह भी है कि यह प्रोजेक्ट बंद नहीं हुआ. माना यह जा रहा है कि शायद यह प्रोजेक्ट फिर से शुरु हो सकता. साल 2020 में सुखोई 57 रूसी वायुसेना में शामिल हो गया और इसने साल 2022 में यूक्रेन के खिलाफ ऑपरेशन में हिस्सा भी लिया. आवाज से दोगुनी रफतार से उडान भर सकता है. एक बार में साढ़े सात टन से ज्यादा हथियार अपने साथ ले जा सकता है. रूस की सुखोई कंपनी द्वारा निर्मित Su-57 पिछले साल नवंबर में चीन के एयर शो में दिखाई दी थी.
स्वदेशी 5th जेनरेशन फाइटर है पहली पसंद
पांचवी पीढ़ी के फाइटर के लिए भारतीय वायुसेना डीआरडीओ के साथ मिलकर 2010 से ही काम कर रही है. सरकार की तरफ से 6 प्रोटोटाइप बनाने को हरी झंडी दे दी गई है. पहला प्रोटोटाइप अगले 5 साल में बनकर तैयार हो जाएगा. एरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी (एडीए) एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (AMCA) तैयार कर रहा है. इस जेट की सबसे खास बात यह होगी कि यह पहला स्वदेशी दो इंजन वाला फाइटर जेट होगा. इसका डिजाइन ऐसा है कि दुश्मन के रडार भी इसे नही पकड़ पाएंगे. 10 घंटे तक यह लगातार उडान भर सकेगा. बहरहाल अभी भारत इंजन के मसले से दो चार हो रहा है. तेजस प्रोग्राम अभी लटका हुआ है. ऐसे में भारत को स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट AMCA 2035 से पहले वायुसेना को मिल पाएंगे कहना मुश्किल है.
भारत और रूस के साझा सहयोग
दुनिया के तमाम वह देश जो भारत को सैन्य उपकरण को बेचना तो चाहते हैं लेकिन तकनीक साझा नहीं करना चाहते. रूस ही एक ऐसा देश है जो भारत के साथ तकनीक भी साझा करता है. भारतीय सेना के तीनों अंगों में 60 से 70 फीसदी सैन्य उपकरण रूसी है. टेकनॉलेजी ट्रांसफर और लाइसेंस पर कई के भारत में ही निर्माण होते है. जिनमें मुख्य हैं बैटल टैंक T-90, T-72, बख्तरबंद गाड़ी BMP-2,सुखोई-30, नौसेना के स्टेल्थ फ्रीगेट का भारत में लाइसेंस प्रोडक्शन है. रूस और भारत ने एक साथ मिलकर दुनिया की सबसे खतरनाक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और AK-203 का भी निर्माण किया है. अब पांचवी पीढ़ी के फाइटर का भी ऑफर आ गया है.
February 07, 2025, 10:44 IST
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