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रियल हीरो हैं पटना के यह अधिकारी, ट्रैफिक देखते ही सड़क पर उतर जाते…

Agency:News18 Bihar

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यह कहानी है पटना ट्रैफिक पुलिस के एक ऐसे अधिकारी की जिन्हें एक बार नहीं बल्कि दो दो बार राष्ट्रपति पदक के लिए चुना गया. यही कारण है कि उनकी टीम भी उनके इस जज्बे से प्रेरित होकर बेहतर प्रदर्शन करती है. 

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ड्यूटी

ड्यूटी पर तैनात पटना ट्रैफिक पुलिस के डीएसपी 2 अनिल कुमार 

हाइलाइट्स

  • डीएसपी अनिल कुमार को दूसरी बार राष्ट्रपति पदक मिला.
  • पटना ट्रैफिक डीएसपी अनिल कुमार की प्रेरक कहानी.
  • अनिल कुमार ने ट्रैफिक व्यवस्था में कई सुधार किए.

पटना. पटना जैसे बड़े शहर में जाम की समस्या से निपटना कोई आसान काम नहीं है. बायपास की धूल भरी ट्रैफिक हो या बेली रोड की व्यस्त सड़कें, जब भी जाम की सूचना मिलती है, पटना ट्रैफिक पुलिस का यह अधिकारी अपनी गाड़ी से सीधे मौके पर पहुंच जाते हैं. फील्ड में उतरकर खुद व्यवस्था संभालना इनकी कार्यशैली को अलग बनाता है. ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना इनकी पहचान है. इनके लिए यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि समाज की सेवा है. यह कहानी है पटना ट्रैफिक पुलिस के एक ऐसे अधिकारी की जिन्हें एक बार नहीं बल्कि दो दो बार राष्ट्रपति पदक के लिए चुना गया. यही कारण है कि उनकी टीम भी उनके इस जज्बे से प्रेरित होकर बेहतर प्रदर्शन करती है.

विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक 
पटना के ट्रैफिक डीएसपी-2 की कमान संभाल रहे अनिल कुमार के काम की गूंज पटना तक ही सीमित नहीं रही. 2015 में पहली बार उन्हें सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक मिला. यह उपलब्धि किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए गर्व की बात है. लेकिन अनिल कुमार यहीं नहीं रुके. 2025 में एक बार फिर उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा के राष्ट्रपति पदक के लिए नामित किया गया.

इस गर्व और खुशी के मौके पर डीएसपी अनिल कुमार ने लोकल 18 से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, ‘अगर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाए, तो बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. आज मेरे लिए गर्व का पल है. मैं अपने साथियों को भी बेहतरीन काम करने के लिए लगातार प्रेरित करता हूं ताकि यह पदक उन्हें भी प्राप्त हो.’

सार्जेंट से डीएसपी तक का सफर 
डीएसपी अनिल कुमार ने अपने सफर के बारे में बात करते हुए लोकल 18 को बताया कि उनका जन्म जहानाबाद जिले के घोसी थाना अंतर्गत शेखपुरा गांव के किसान परिवार में हुआ. बचपन से ही खेती से जुड़े रहें. गांव के विद्यालय से ही दसवीं तक की पढ़ाई पूरी हुई. इसके बाद 12वीं के लिए पटना आना हुआ. पटना यूनिवर्सिटी से एमएसी की पढ़ाई पूरी की.

सैदपुर हॉस्टल ठिकाना बना. उन्होंने बताया, ‘पुलिस बनने का नहीं बल्कि लेक्चरर बनने का सपना था. घरवालों के दवाब के बाद सैदपुर हॉस्टल के माहौल से अलग हटकर पुलिस की तैयारी में लग गया. फॉर्म भरा और चयन भी हो गया. उस समय कोचिंग की व्यवस्था नहीं हुआ करती थी तो एग्जाम की तैयारी सेल्फ स्टडी से ही हुई.’

कमांडों की ट्रेनिंग भी कर चुके हैं डीएसपी साहब 
1994 में अनिल कुमार का चयन सार्जेंट के रूप में हुआ. इसके बाद उन्होंने NSG कमांडो की ट्रेनिंग भी पूरी की. पहली पोस्टिंग हजारीबाग में हुई. इसके बाद धनबाद और गिरिडीह में पोस्टिंग रही. इस दौरान बिहार और झारखंड का बंटवारा हो चुका था. घरवालों की सलाह पर इन्होंने 2006 से बिहार में पोस्टिंग ले ली.

बिहार में उनकी पहली पोस्टिंग भागलपुर में हुई. इसके बाद वे पटना, रोहतास, दरभंगा और फिर से पटना लौटे. फिलहाल वे ट्रैफिक डीएसपी के पद पर कार्यरत हैं. ट्रैफिक से जुड़े कार्य वे अपने कैरियर के शुरुआती दिनों से कर रहे हैं. लगभग 31 वर्षों के इस सफर को लेकर वे कहते हैं, ‘अच्छी अनुभूति हो रही है.’

सबसे ज्यादा चालान काटने और वसूलने का रिकॉर्ड भी दर्ज 
पटना में बतौर ट्रैफिक डीएसपी रहते हुए अनिल कुमार ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं. सड़क सुरक्षा अभियान 2024 के तहत, पूरे बिहार में सबसे अधिक चालान काटने और वसूली में ट्रैफिक डीएसपी-2 अनिल कुमार ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था. पटना वासियों को डबल हेलमेट के महत्व समझाने और इसे प्रभावी रूप से लागू करवाने में इनकी अहम भूमिका रही.

इनके कार्यकाल में प्रयासों से बेली रोड पर कई सकारात्मक बदलाव हुए. इको पार्क की सड़क का चौड़ीकरण समेत कई सराहनीय कार्य जमीन पर दिखते हैं, जिससे लोगों को काफी सहूलियत मिली है. इसके अलावा, इन्होंने तकनीक की मदद से ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए. अनिल कुमार न केवल एक अधिकारी के रूप में, बल्कि एक बड़े भाई की तरह लोगों को जागरूक करने का भी काम करते रहते हैं. यही कारण है कि इन्होंने आम लोगों के साथ एक बेहतर संबंध स्थापित किया है.

‘आम लोग समय पर घर पहुंचे, यही मेरी प्राथमिकता’
डीएसपी अनिल कुमार ने बताया, ‘ट्रैफिक से जुड़ा हूं, इसलिए सभी पुलिसकर्मियों से यही कहता हूं कि जाम न लगने दें. आम लोगों को शांतिपूर्वक घर पहुंचाना ही मेरा पहला उद्देश्य है. लोग समय पर अपने काम पर पहुंचे और वापस समय पर ही घर लौटें, यही मेरी प्राथमिकता होती है. सभी साथियों को भी यही सलाह देता हूं.’

सभी पुलिसकर्मियों में खुशी की लहर 
डीएसपी अनिल कुमार के इस पदक से ट्रैफिक पुलिस के अन्य अधिकारियों में भी खुशी ओर गर्व की लहर है. अपनी खुशी जाहिर करते हुए सब इंस्पेक्टर राजीव कुमार ने कहा, ‘सर के कार्यशैली से काफी प्रभावित हूं. इन्होंने बहुत कुछ सिखाया है. जब इस राष्ट्रपति पदक के बारे जानकारी मिली तो बेहद खुशी हुई और सर की टीम में काम करने का गर्व भी हुआ.

सब इंस्पेक्टर प्रहलाद राय ने बताया, ‘सर का व्यवहार बहुत बढ़िया है. काम भी करवाते हैं, सिखाते भी हैं और समझाते भी हैं. पुलिस विभाग में इनके जैसा अधिकारी बहुत कम है. सर की टीम में काम करने का सौभाग्य मिला, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.

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