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राजस्थान में यहां खेली जाती है डोलची मार होली, जानें कैसे हुई थी शुरूआत

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Bikaner Rajasthan Dolchi Mar Holi: राजस्थान के बीकानेर में एक खास प्रकार की होली खेली जाती है. होली खेलने की सह परंपरा 500 वर्षो से चली आ रही है और इसे डोलची मार होली के नाम से जाना जाता है. हर्ष-व्यास जाति के…और पढ़ें

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बीकानेर

बीकानेर में दो जातियों के बीच डोलची मार का खेल खेला जा रहा है.

हाइलाइट्स

  • बीकानेर में 500 साल पुरानी डोलची मार होली खेली जाती है.
  • हर्ष-व्यास जाति के लोग पानी भरी डोलचियों से होली खेलते हैं.
  • खेल का अंत लाल गुलाल उड़ाकर और पारंपरिक गीत गाकर किया जाता है.

बीकानेर. राजस्थान के बीकानेर की होली पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. यहां करीब 500 साल से दो समुदाय में युद्ध या जंग लड़ी जा रही है, जो आजतक खत्म नहीं हुई है. सालों से चली आ रही इस परंपरा को बीकानेर में आज भी वैसे ही मनाया जाता है. होली से एक दिन पहले बीकानेर में दो समुदायों के बीच डोलची मार का खेल खेला जा रहा है.

बीकानेर के हर्ष व व्यास जाति के लोग सदियों से डोलची मार होली की परंपरा निभाते आ रहे है. यहां रंग की बजाए पानी से होली खेलते हैं. यहां डोलची से होली खेलने की परंपरा है. माना जाता है कि पानी का वार एक-दूसरे पर जितना तेज होगा और जितना दर्द होगा, प्रेम उतना बढ़ता है.

डोलची मार होली दुनियाभर में है प्रसिद्ध 

इस खेल में हाथों में डोलचियां, पानी से भरे बड़े कड़ाव और इन कड़ाव से पानी लेकर कर एक-दूसरे की पीठ पर हर्ष-व्यास जाति के लोग वार करते हुए दिखाई देते है. इस खेल में दो लोग आपस में खेलते हैं. चमड़े से बनी इस डोलची में खेलने वाला पानी भरता है और सामने खड़े अपने साथी की पीठ पर जोर से पानी से वार करता है. फिर उसे भी जवाब देने का मौका मिलता है. जितनी तेज आवाज होती है, उतना ही खेल का मजा आता है और जोश बढ़ता है. खेल का अंत लाल गुलाल उड़ाकर और पारंपरिक गीत गाकर किया जाता है. डोलची मार होली में बच्चे, बूढ़े, जवान हर जाति धर्म के लोग हिस्सा लेते है. इस खेल में काफी पानी लगता है. इसलिए उसके लिए पहले से तैयारियां की जाती है.

ऐसे हुई डोलची मार होली की शुरूआत

इस दिन बड़े-बड़े बर्तन में पानी भरा जाता है. अगर पानी कम पड़ जाए तो पानी के टैंकर मंगवाए जाते हैं. इस होली में हजारों की संख्या में लोग एक-दूसरे की पीठ पर डोलची से पानी मारते हैं और होली खेलते है. जानकारी के अनुसार आचार्य समाज और व्यास जाति के बीच मृत्युभोज को लेकर विवाद हुआ था और दोनों समुदाय के बीच सड़क पर संघर्ष भी हुआ था. दोनों समुदाय के बीच हुई इस कटुता को खत्म करने के लिए समाज के अन्य समुदाय के साथ हर्ष जाति ने अपनी भूमिका निभाई और दोनों जातियों में प्रेम संबंध बना. तब से दोनों समुदाय के बीच डोलची मार का खेल चल रहा है.

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राजस्थान में यहां खेली जाती है डोलची मार होली, जानें कैसे हुई थी शुरूआत

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