ये फ्लावर नहीं फायर है…खंडवा के औषधीय सोने पर जापान की टिकी नजर

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Kusum Pushp ki Kheti: मध्य प्रदेश के खंडवा में तेजी से बढ़ रही कुसुम पुष्प की खेती अब किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ हृदय और किडनी रोगों में राहत देने वाली औषधियों का स्त्रोत बन रही है. जापान की एक…और पढ़ें

कुसुम पुष्प की कई तरह की दवाई बनती है जापान की कंपनी देखने आई
हाइलाइट्स
- खंडवा में कुसुम पुष्प की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरी.
- कुसुम पुष्प हृदय और किडनी रोगों में राहत देने वाली औषधि है.
- जापानी फार्मा कंपनी ने कुसुम पुष्प में दिलचस्पी दिखाई.
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की मिट्टी इन दिनों एक खास फूल की खुशबू से महक रही है—कुसुम पुष्प की. लेकिन यह सिर्फ कोई आम फूल नहीं है. इसमें छुपे हैं वो औषधीय गुण जो न केवल हृदय और किडनी की बीमारियों से राहत दे सकते हैं, बल्कि किसानों के जीवन को भी नई दिशा दे रहे हैं.
खंडवा के खेतों में जब कुसुम के फूल लहलहाते हैं, तो वो सिर्फ खेती का दृश्य नहीं, बल्कि सेहत और समृद्धि का प्रतीक बन जाता है. यहां के किसान अब इसे सिर्फ फूल नहीं, बल्कि भविष्य की फसल मान रहे हैं. प्रति हेक्टेयर 4 से 5 क्विंटल की पैदावार और जापान की एक बड़ी फार्मा कंपनी की दिलचस्पी ने इस फूल को खास बना दिया है.
सेहत की राह में कुसुम का कमाल
आयुर्वेद में कुसुम पुष्प को हृदय को बल देने और रक्त प्रवाह को दुरुस्त करने वाला माना गया है. इसके बीजों से निकाला गया तेल किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है. वहीं सीने में दर्द से जूझ रहे मरीजों के लिए यह किसी राहत की तरह काम करता है. इसके नियमित उपयोग से शरीर को न केवल आराम मिलता है, बल्कि ऊर्जा भी मिलती है.
किसानों के चेहरे पर लौटी रौनक
खंडवा के किसान इस फसल को लेकर जितने उत्साहित हैं, उतनी ही उम्मीदें इससे जुड़ी हैं. कम लागत में तैयार होने वाली यह औषधीय फसल उन्हें पारंपरिक खेती से कहीं अधिक मुनाफा दे रही है. और जब फसल को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार मिले, तो किसानों का हौसला दोगुना हो जाना लाजमी है.
जापानी कंपनी की एंट्री से उम्मीदों को पंख
जापान की एक जानी-मानी फार्मास्युटिकल कंपनी ने खंडवा में उगाई जा रही इस फसल में दिलचस्पी दिखाई है. कंपनी इसके फूलों से दवाइयां बनाने की योजना पर काम कर रही है, जिससे किसानों को फसल का उचित दाम मिल सकेगा और वैश्विक बाजार में उनकी पहचान बनेगी.
खंडवा के इस छोटे से कदम ने न केवल स्वास्थ्य को संजीवनी दी है, बल्कि खेती को भी नई सोच और नई दिशा दी है.
