यूक्रेन सीजफायर पर पुतिन ने लगा दी शर्त, क्या मान जाएंगे जेलेंस्की
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रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप की बातचीत के बीच रूस ने नाटो सेना की तैनाती को अस्वीकार किया। रूस और अमेरिका ने वार्ता के लिए टीमों को नियुक्त करने पर सहमति जताई।
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रियाद में यूक्रेन सीजफायर पर अमेरिका और रूस में हुई बात.
हाइलाइट्स
- यूक्रेन और यूरोपीय देश चाहते थे कि सीजफायर के वक्त नाटो की सेना तैनात हो.
- रूस ने इससे साफ इनकार करते हुए कहा कि उसे ये शर्त कतई मंजूर नहीं.
- सीजफायर पर हो रही इस बैठक में यूक्रेन के नेता तक शामिल नहीं है.
रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप भले ही रूस के साथ बातचीत कर रहे हों, लेकिन इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक नई शर्त रख दी है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, हम वो सीजफायर तो कतई नहीं मानेंगे जिसमें कहा जाए कि यूक्रेन में नाटो सेना की तैनाती होगी. हम यूक्रेन में किसी भी शांति समझौते के तहत नाटो देशों की शांति सेना को स्वीकार नहीं करेंगे. सऊदी अरब में अमेरिका के साथ हाईलेवल मीटिंग के बाद उन्होंने यह बयान दिया.
रूस के विदेश मंत्री ने कहा, किसी अन्य झंडे के तहत सशस्त्र बलों की उपस्थिति से कुछ नहीं बदलेगा. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. रूस और अमेरिका ने कहा कि वे युद्ध समाप्त करने के लिए वार्ता शुरू करने हेतु टीमों को नियुक्त करने पर सहमत हुए हैं. बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, आज एक लंबी और कठिन यात्रा का पहला कदम है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
जेलेंस्की क्यों चौंके
यूक्रेन को इस वार्ता में आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसे उसके राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने “आश्चर्य” बताया. रियाद में हुई यह बैठक रूस के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद पहली बार थी जब रूसी और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आमने-सामने मिले. सऊदी अरब में हुई इस बैठक में अमेरिकी मध्य पूर्व दूत ब्रेट मैकगर्क और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन, साथ ही रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी युरी उशाकोव और रूस के संप्रभु धन कोष के प्रमुख किरिल दिमित्रिअव भी शामिल थे.
लावरोव ने क्या कहा
सीजफायर पर बैठक के बाद लावरोव ने कहा कि अमेरिका और रूस जल्द से जल्द एक-दूसरे के देशों में राजदूत नियुक्त करेंगे और “पूर्ण सहयोग बहाल करने की शर्तें” बनाएंगे. यह एक बहुत ही उपयोगी बातचीत थी. हमने एक-दूसरे को सुना और समझा. उन्होंने नाटो रक्षा गठबंधन के किसी भी विस्तार – और यूक्रेन के इसमें शामिल होने – को रूस के लिए “सीधा खतरा” बताया.
अमेरिका की बात
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें “विश्वास” है कि रूस “संघर्ष समाप्त करने के लिए गंभीर प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तैयार है.” उन्होंने कहा, “सभी पक्षों को कुछ रियायतें देनी होंगी. हम यह पहले से तय नहीं करेंगे कि वे क्या होंगी.” यूरोपीय नेताओं ने सोमवार को पेरिस में एक त्वरित बैठक की ताकि राष्ट्रपति बाइडेन के तहत रूस और अमेरिका के बीच संभावित मेल-मिलाप पर अपनी प्रतिक्रिया पर चर्चा कर सकें – लेकिन वे एक एकीकृत स्थिति पर सहमत नहीं हो सके.
यूरोपीय देशों की शर्त
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि किसी भी यूक्रेन समझौते के लिए “अमेरिकी समर्थन” की आवश्यकता होगी ताकि रूस को फिर से अपने पड़ोसी पर हमला करने से रोका जा सके और उन्होंने कहा कि वह यूक्रेन में ब्रिटिश सैनिकों को तैनात करने पर विचार करेंगे. लेकिन जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़, जो नाटो के एक प्रमुख सहयोगी हैं, ने कहा कि वर्तमान में यूक्रेन में सैनिक भेजने पर चर्चा करना “पूरी तरह से समय से पहले” है. रियाद में, ब्लिंकन ने कहा कि यूरोपीय संघ को “किसी बिंदु पर वार्ता में शामिल होना होगा क्योंकि उन्होंने भी प्रतिबंध लगाए हैं.”
February 18, 2025, 23:41 IST
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