यहां मछलियों की होती है पूजा!शिशिलेश्वर मंदिर की कहानी जहां बहा था शिला से खून

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Shishileshwara Temple: कर्नाटक के शिशिलेश्वर क्षेत्र में भक्त कपिला नदी की पेरोल मछलियों को देवता मानते हैं. शिशिलेश्वर मंदिर में पूजा कपिला नदी के पानी से होती है.

मछलियों की पूजा!
हाइलाइट्स
- शिशिलेश्वर में मछलियों को देवता माना जाता है.
- कपिला नदी की पेरोल मछलियों की पूजा होती है.
- मंदिर में पूजा कपिला नदी के पानी से होती है.
शिशिलेश्वर: कभी किसी ने सुना है कि मछलियां भी पूजी जाती हैं? हां, आप सही सुन रहे हैं. कर्नाटक के शिशिलेश्वर क्षेत्र में भक्त मछलियों को देवता का रूप मानते हैं. यह जगह कुक्के सुब्रमण्या और श्री क्षेत्र धर्मस्थल को जोड़ने वाली सड़क के बीच बसी है और जितनी यह धार्मिक आस्था के लिए मशहूर है, उतनी ही अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यहां की मछलियों में ऐसा क्या खास है? तो सुनिए, यहां की पवित्र कपिला नदी में तैरने वाली पेरोल जाति की मछलियों, जिन्हें महाशिर भी कहते हैं, को देवता की मछलियां माना जाता है. स्थानीय लोग और भक्त इन मछलियों को बड़े प्यार से दाना डालते हैं और मानते हैं कि इन्हें खाना नहीं बल्कि सम्मान देना चाहिए.
मंदिर की कहानी, जो रहस्य और भक्ति से भरी है
अब बात करते हैं इस मंदिर की दिलचस्प कहानी की. कहते हैं, कुमारगिरी पहाड़ी के पास एक शिवलिंग था, जहां एक ब्राह्मण रोज पूजा करने जाया करते थे. एक दिन उनका पैर फिसल गया और वे बुरी तरह घायल हो गए. दर्द से कराहते हुए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की – “हे देव, अगर आप हमें अपने दर्शन कपिला नदी के तट पर दे दें, तो हमारी मुश्किल आसान हो जाएगी!”
शायद भगवान ने उनकी बात सुन ली क्योंकि कुछ ही दिनों में कपिला नदी के किनारे एक स्वयंभू शिला प्रकट हुई, लेकिन असली चमत्कार तो इसके बाद हुआ. जंगल में जब आदिवासी ‘नरिया’ नामक जड़ी खोद रहे थे, तो गलती से इस शिला को चोट लग गई और उसमें से खून बहने लगा. गांव भर के लोग घबरा गए, सब इकट्ठा हुए और शिला के सामने प्रार्थना करने लगे. जैसे ही सभी ने सच्चे मन से भगवान शिशिलेश्वर से यहां निवास करने की विनती की, खून बहना बंद हो गया. फिर क्या था, यहां एक भव्य मंदिर बना दिया गया, और तब से यह स्थान भक्ति और आस्था का केंद्र बन गया.
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देवता की मछलियां और चमत्कारी जल
शिशिलेश्वर मंदिर में पूजा का एक अनोखा तरीका है. यहां हर अभिषेक और नैवेद्य सिर्फ कपिला नदी के पानी से होता है. कहते हैं, यह पानी हमेशा शुद्ध रहना चाहिए, इसलिए भगवान विष्णु खुद मछली के रूप में इस नदी में निवास करते हैं. लोग मानते हैं कि अगर कोई श्रद्धा से यहां की मछलियों को एक मुट्ठी चावल या मंडकी (एक प्रकार का चारा) खिलाए, तो उसके सभी चर्म रोग ठीक हो सकते हैं. यानी, यहां आकर सिर्फ आत्मा ही नहीं, शरीर भी शुद्ध हो सकता है.
March 07, 2025, 17:01 IST
