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यहां धरती के नीचे बसी है 'दूसरी दुनिया', पाताल लोक जैसा अहसास, रहते है ऐसे जीव

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आज तक आपने दूसरी दुनिया के बारे में किस्से-कहानियों और रिसर्च में सुना होगा. लेकिन धरती पर एक ऐसी ही जगह मौजूद है, जो पाताल लोक से कम नहीं है. यहां पर दूसरे जीवों का बसेरा है. 660 फीट की गहराई में बसे इस जगह के…और पढ़ें

यहां धरती के नीचे बसी है 'दूसरी दुनिया', पाताल लोक जैसा अहसास, रहते है ऐसे जीव

Photo Credit- सोशल मीडिया

दुनियाभर के साइंटिस्ट आज भी दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में जुटे हुए हैं. रिसर्च में अक्सर ऐसी बातें सुनने और पढ़ने को मिल जाती हैं कि चांद से लेकर मंगल तक पर पानी की संभावना है. इससे दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना बढ़ जाती है. वैज्ञानिक दूसरी दुनिया को तलाशने में लगे हुए हैं. लेकिन जो काम आज वैज्ञानिक कर रहे हैं, हमारे प्राचीन ग्रंथों और वेद-पुराणों में भी इस बात का जिक्र है.सभी धर्मों के ग्रंथ के मुताबिक स्वर्ग और नर्क का जिक्र है, जो आसमान में कहीं पर है. स्वर्ग में जहां देवी-देवताओं का वास है, तो पाताल लोक में राक्षसों का बसेरा है. लेकिन क्या आपने कभी इस धरती पर मौजूद किसी पाताल लोक के बारे में सुना है? यकीनन, नहीं सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताएंगे. यह दूसरी दुनिया का अहसास दिलाता है, जो धरती के नीचे बसा है. इसे देखकर लगता है मानो ये असल पाताल लोक (Paatal Lok) है. यहां पर अलग-अलग जीव भी रहते हैं.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये जगह कौन सी है, जो दूसरी दुनिया और पाताल लोक जैसी है. ऐसे में बता दें कि वो जगह वियतनाम में जमीन के 262 मीटर नीचे मौजूद है. इस जगह का नाम सों डूंग केव (Sun Dong Cave) है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी गुफा माना जाता है. आपको जानकर हैरत होगी, लेकिन बता दें कि इस गुफा के अंदर जंगल, पेड़-पौधों से लेकर बादल और नदी तक मौजूद है. इसका अपना पर्यावरण है. इसे देखकर लगता है मानो हम दूसरी दुनिया में आ गए हों. बता दें कि सैकड़ों सालों से लोग इस गुफा से अनजान थे. लेकिन आज से 34 साल पहले सन् 1991 में इस गुफा की खोज हो खांह (Ho Khanh) नाम के लड़के ने की थी. हो खांह एक दिन खाने और लकड़ी की तलाश में फोंग न्हा के-बांग नेशनल पार्क (Phong Nha Ke-Bang National park) में गए थे. अचानक उन्होंने पार्क में एक गुफा देखी और उसके अंदर चले गए. हो खांह यह सोचकर गुफा में गए कि शायद उन्हें कुछ खाने को मिल जाएगा.

लेकिन जैसे ही हो खांह उस गुफा के अंदर पहुंचे, उन्हें नदी के कल-कल और तेज हवाओं की आवाज सुनाई देने लगी. उन्हें समझ नहीं आया कि जमीन के इतना नीचे ये किस चीज की आवाज आ रही है. ऐसे में उन आवाजों को सुनकर हो खांह डर गए और तुरंत वापस लौट गए. घर लौटने के बाद वो उस गुफा वाली बात और उस जगह को भी भूल गए. फिर इस हादसे के सालों बाद गुफाओं पर रिसर्च करने वाली संस्था ब्रिटिश केव रिसर्च एसोसिएशन के होवार्ड और डेब लिम्बर्ट नेशनल पार्क में पहुंचे. इसी दौरान उनकी मुलाकात हो खांह से हो गई. बातों-बातों में हो खांह ने उन लोगों को इस गुफा के बारे में बता दिया कि जमीन के नीचे न सिर्फ गुफा है, बल्कि नदियां, बादल और बीच भी हैं. इस बात को सुनकर ब्रिटिश रिसर्चर्स हैरान हो गए. वो उस गुफा में ले जाने की जिद्द करने लगे, लेकिन कई साल गुजर जाने के कारण हो खांह वहां जाने का रास्ता भूल चुका था. तीनों ने मिलकर गुफा खोजने की नाकाम कोशिश की और ब्रिटिश रिसर्चर्स लौट गए.

हो खांह ने जारी रखी गुफा की खोज
वियतनाम के रहने वाले हो खांह ब्रिटिश रिसर्चर्स के लौट जाने के बावजूद गुफा को खोजने का काम जारी रखे. दिन गुजरते रहे, लेकिन हो खांह ने हार नहीं मानी. इस तरह से साल 2008 में हो खांह ने दोबारा इस गुफा को ढूंढ निकाला और उसके अंदर जाने के रास्ते को याद भी कर लिया. इसके बाद उसने होवार्ड और डेब लिम्बर्ट को इसकी जानकारी दी. रिसर्च में पता चला कि यह गुफा 500 फीट चौड़ी, 660 फीट (लगभग 200 मीटर) ऊंची और 9 किलोमीटर लंबी है. इसके अंदर ही गुफा की अपनी नदी, जंगल और यहां तक कि अपना अलग मौसम भी है. गुफा में चमगादड़, चिड़िया, बंदर के अलावा और भी कई जानवर रहते हैं. शुरुआत में इसके अंदर जाने की परमिशन सभी को नहीं दी गई, लेकिन बाद में साल 2013 में पहली बार इसे टूरिस्ट्स के लिए खोला गया. एक ब्रिटिश एसोसिएशन ने साल 2009 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस गुफा को पहचान दिलाई. यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज में शुमार इस गुफा में साल 2016 के बाद से 900 लोगों के जाने की परमिशन दी गई, जो वहां 4 दिन और 3 रात गुजारते हैं. इस दौरान उन्हें गुफा में जाने की 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. इस गुफा में जाने के लिए 2 लाख रुपए का टिकट लगता है, जिसे चुकाकर कोई भी ट्रेनिंग के बाद जा सकता है. इस गुफा में गूंजने वाली हवा और आवाज बाहरी गेट तक सुनाई देती है.

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