मिलिए मशहूर तीरंदाज दीपिका कुमारी से, लोकल 18 को बताई अनसुनी बातें

Agency:News18 Uttarakhand
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Deepika Kumari: मशहूर तीरंदाज दीपिका कुमारी ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि उनके पिता शिवनारायण महतो ऑटो चालक थे. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उन्होंने तीरंदाजी को नहीं बल्कि तीरंदाजी ने उन्हें चुना. अर्जुन…और पढ़ें

दीपिका कुमारी को अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में 38वें राष्ट्रीय खेलों के अंतर्गत आयोजित तीरंदाजी मुकाबले में मेन टीम ने सर्विस टीम को और वीमेन टीम ने हरियाणा को हराकर फाइनल में एंट्री की. तीरंदाज दीपिका कुमारी भी नेशनल गेम्स के लिए उत्तराखंड पहुंचीं. उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया. दीपिका ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण आर्चरी की शुरुआत की थी लेकिन आज यह उनकी जिंदगी बन गया है.
दीपिका कुमारी झारखंड के रांची से 15 किलोमीटर दूर रातू चट्टी गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने बताया कि उनके पिता शिवनारायण महतो ऑटो चालक थे. तीरंदाजी को उन्होंने नहीं बल्कि उन्हें तीरंदाजी ने चुना है. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. अर्जुन आर्चरी एकेडमी निशुल्क तीरंदाजी की ट्रेनिंग दे रही थी, तो उन्होंने इसे जॉइन कर लिया. इसके बाद उन्हें इसमें करियर की संभावनाएं दिखने लगीं और फिर वह कदम बढ़ाती रहीं. इसमें रहते-रहते उन्हें आर्चरी से प्यार हो गया.
एकल प्रतियोगिता में जीता था गोल्ड मेडल
दीपिका ने साल 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंट एकल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता था. जिसके बाद करियर की गाड़ी दौड़ने लगी. साल 2009 में महज 15 साल की उम्र में 11वीं यूथ आर्चरी चैम्पियनशिप जीतकर उन्होंने सबको हैरान कर दिया. साल 2010 में आयोजित हुए एशियाई गेम्स में दीपिका ने ब्रॉन्ज और कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला एकल और टीम के साथ दो गोल्ड मेडल जीते थे. दीपिका ने इस तरह पेरिस ओलंपिक, विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप, एशियाई तीरंदाजी, चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों में कई पदक जीते हैं. उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. दीपिका का मानना है कि जीवन संघर्ष से भरा होता है और परेशानियां आती-जाती रहती हैं लेकिन अपने लक्ष्य पर हमेशा नजर रखते हुए मेहनत के साथ काम करना चाहिए.
बेटी को याद करती हैं दीपिका
दीपिका ने कहा कि उनके ससुराल वाले उन पर गर्व करते हैं और उन्हें सपोर्ट भी करते हैं. उनकी दो साल की बेटी है, जिसे वह बहुत याद करती हैं लेकिन सिर्फ वीडियो कॉल द्वारा ही कनेक्ट हो पाती हैं. आदिवासी क्षेत्र से आने वाली दीपिका दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन रही हैं.
Dehradun,Uttarakhand
February 06, 2025, 23:16 IST
