मंगल पर दिखे 'मकड़ी के अंडे', नासा के खोज ने उड़ाए होश, रहस्य ने सबको हिलाया!

Last Updated:
नासा के परसिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर एक ऐसी रहस्यमयी चीज को देखा, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं. इसे देखकर ऐसा लगा कि मकड़ी के ढेर सारे अंडे पड़े हों. लेकिन एक्सपर्ट इसे मकड़ी के अंडे जैसा पत्थर करार दे…और पढ़ें

Nasa का कहना है कि इसका निर्माण किसी उल्कापिंड के टकराने से हुआ होगा.
मंगल ग्रह के रहस्यों का पिटारा एक बार फिर खुल गया है और इस बार नासा के परसिवियरेंस रोवर ने कुछ ऐसा देखा कि वैज्ञानिकों के होश उड़ गए. जेजेरो क्रेटर की विच हेजल हिल की ढलान पर रोवर की नज़र एक मकड़ी के अंडों जैसी आकृति पर पड़ी. उन्हें समझ ही नहीं आया कि आखिर ये अंडे कैसे पहुंचे? हालांकि, ध्यान से देखने के बाद पता चला कि ये अजीब से पत्थर हैं, जो देखने में सैकड़ों मकड़ी के अंडों के गुच्छे जैसा लगता है. इस पत्थर पर लाल रेत की हल्की परत जमी है और ये अपने आसपास की चीज़ों से बिल्कुल अलग दिखता है. नासा की टीम ने इसे “सेंट पॉल्स बे” नाम दिया है, लेकिन इसकी बनावट और मौजूदगी ने सबको उलझन में डाल दिया है. नासा के मुताबिक, ये एक “फ्लोट रॉक” है, यानी ये जहां मिला, वहां बना नहीं था. इसका मतलब है कि ये पत्थर कहीं और से यहां आया, लेकिन कैसे और कहां से, ये अभी रहस्य है, जिसने सभी को हिलाकर रख दिया है.
इसकी अजीब बनावट को समझने के लिए ज़रूरी संकेत गायब हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये पत्थर अपने मूल स्थान से हटकर यहां पहुंचा और इसकी यात्रा मंगल की भूगर्भीय कहानी को उजागर कर सकती है. क्या ये उल्कापिंड की टक्कर से बना था? नासा का अनुमान है कि शायद किसी उल्कापिंड ने मंगल की चट्टानों को भाप बना दिया, जो ठंडी होकर ऐसे छोटे-छोटे दानों में बदल गई. अगर ऐसा है, तो ये पत्थर अपने जन्मस्थान से बहुत दूर से आया होगा और ये बता सकता है कि मंगल पर उल्कापिंड सामग्री को कैसे इधर-उधर ले जाते हैं. एक और थ्योरी है कि ये पत्थर विच हेजल हिल से नीचे लुढ़ककर आया हो. नासा ने अंतरिक्ष से देखा है कि इस पहाड़ी पर कुछ गहरे रंग की परतें हैं. अगर सेंट पॉल्स बे इनमें से किसी परत से आया, तो ये वैज्ञानिकों को बता सकता है कि वो परतें किस चीज से बनी हैं. क्या ये ज्वालामुखी की राख हैं? पुराने उल्कापिंड की मार का निशान हैं? या फिर कभी यहां भूजल था? अगर इस पत्थर का रासायनिक मेकअप इन परतों से मिलता है, तो मंगल के इतिहास का एक नया पन्ना खुल सकता है.

नासा के परसिवियरेंस रोवर द्वारा ली गई तस्वीर देख वैज्ञानिक भी हैरान हैं.
बता दें कि ये पत्थर मंगल के बदलते चेहरे की कहानी सुनाता है. इसकी बनावट और यहां तक की इसकी यात्रा पानी, चट्टानों और भूगर्भीय शक्तियों के जटिल खेल को दर्शाती है. वैज्ञानिकों के लिए ये एक बड़ा सवाल है कि क्या मंगल पर कभी जीवन था? अगर विच हेजल हिल पर कभी भूजल मौजूद था, तो परसिवियरेंस के जमा किए नमूनों में सूक्ष्मजीवों के जीवाश्म मिल सकते हैं. नासा की मार्स सैंपल रिटर्न मिशन, जो 2030 के दशक में प्लान की गई है, इन नमूनों को धरती पर लाएगी, जहां इनका गहराई से अध्ययन होगा. सेंट पॉल्स बे जैसे पत्थर वैज्ञानिकों के लिए सोने की खान हैं. ये न सिर्फ मंगल के अतीत को समझने में मदद करते हैं, बल्कि ये भी बताते हैं कि ये लाल ग्रह आज जैसा क्यों है. क्या ये पत्थर उल्कापिंड की मार से बना? क्या ये ज्वालामुखी का अवशेष है? या फिर पानी की मौजूदगी का सबूत है? हर जवाब मंगल के रहस्यों को एक कदम और करीब लाता है. परसिवियरेंस की ये खोज सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है, और लोग इस अजीब पत्थर को देखकर हैरान हैं.
