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भारत से दोस्‍ती को लालाय‍ित ये 40 देश, क्‍यों करने लगे पीएम मोदी की तारीफ?

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डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने से यूरोप के 40 देश टेंशन में हैं और भारत की ओर देख रहे हैं. यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने पीएम मोदी से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और सुरक्षा पर बात की है. लेकिन भार…और पढ़ें

भारत से दोस्‍ती को लालाय‍ित ये 40 देश, क्‍यों करने लगे पीएम मोदी की तारीफ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय यूनियन की प्रेसिडेंट. (Photo-PTI)

हाइलाइट्स

  • डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने से यूरोप के 40 देश भारत की ओर देख रहे हैं.
  • EU की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने पीएम मोदी से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बात की है.
  • यूरोपीय यूनियन भारत में ग्रीन एनर्जी और डिजिटल टेक्नोलॉजी में निवेश करेगा.

डोनाल्‍ड ट्रंप के सत्‍ता में आने से पूरी दुन‍िया में उथल-पुथल है. लेकिन सबसे ज्‍यादा टेंशन में यूरोप के 40 देश हैं. वही यूरोप, जो कभी अमेर‍िका का राइट हैंड हुआ करते थे. लेक‍िन ट्रंप ने उन्‍हें ठेंगा द‍िखा दिया है. अब उनके पास कोई विकल्‍प नहीं है, तो वे भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. तभी तो यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भारत पहुंचीं. पीएम मोदी से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का भरोसा ल‍िया. सिक्‍योरिटी पर बात की. इन्‍वेस्‍टमेंट का भरोसा द‍िया. लेक‍िन इन्‍हें चाह‍िए क्‍या?

यूरोप के देशों पर अस्‍त‍ित्‍व का संकट मंडरा रहा है. ट्रंप न तो उन्‍हें सुरक्षा की गारंटी दे रहे हैं और न ही क‍िसी तरह की वित्‍तीय मदद देना चाहते हैं. वे खुद हर जगह अमेर‍िका फर्स्‍ट की बात कर रहे हैं. इससे यूरोपीय देशों से अमेर‍िका के रिश्ते इन द‍िनो खट्टे हो गए हैं. फॉरेनपॉल‍िसी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय देशों को डर है क‍ि अमेर‍िका उनके यहां तैनात अपनी सेनाएं वापस बुला सकता है. इसके बाद यूरोपीय देश एकला चलो की राह पर आ गए हैं. वे यूक्रेन को मदद करना चाहते हैं और नाटो को मजबूत करना चाहते हैं. जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने कहा, क्‍या यूरोप इसके ल‍िए तैयार है? यूरोपीय देशों में 100,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. अगर ये लौट गए तो हमारी सुरक्षा कौन करेगा. लेकिन फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने कदम आगे बढ़ा द‍िए हैं. वे अमेर‍िका से दूरी बनाने लगे हैं और भारत की ओर रुख कर रहे हैं.

भारत से इन्‍हें क्‍या चाहिए, और हमें क्‍या मिलेगा?

  1. यूरोपीय यूनियन चाहता है क‍ि भारत का साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो, जिससे व्‍यापार की बाधाएं खत्‍म हो जाएं. यूरोपीय कंपनियों को भारतीय बाजार में अधिक पहुंच मिले.
  2. यूरोपीय कंपनियां भारत में इलेक्‍ट्र‍िस‍िटी , डिजिटल टेक्‍नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में इन्‍वेस्‍ट करना चाहती हैं. यह भारत के ल‍िए भी विन-विन सिचुएशन है. इससे यहां नौकर‍ियों के मौके बनेंगे.
  3. यूरोपीय यूनियन के देशों ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे ग्रीन एनर्जी सेक्‍टर में कमाल का काम क‍िया है. इसका लाभ भारत को भी मिल सकता है. EU चाहता है कि भारत अधिक सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी अपनाए.
  4. भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण ताकत बनकर उभरा है. यूरोपीय यून‍ियन को पता है क‍ि इस इलाके में चीन से निपटने के ल‍िए उसे भारत के अलावा कोई और दोस्‍त नहीं मिल सकता. इसल‍िए वे स्‍ट्रेटज‍िक पार्टनरश‍िप चाहते हैं.
  5. यूरोपीय यूनियन चाहता है कि भारत उसके डेटा प्राइवेसी और डिजिटल गवर्नेंस के मॉडल को अपनाए, इससे डिज‍िटल मार्केट में क्रांत‍ि आने की उम्‍मीद है. AI, 5G और डिज‍िटल ट्रांजेक्‍शन पर भी सहयोग करने की योजना है.
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