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बलिया की कवलेश्वर झील! प्रवासी पक्षियों का है स्वर्ग, जानें इसकी कहानी

Agency:News18 Uttar Pradesh

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बलिया की कवलेश्वर झील प्रकृति की खूबसूरती और आस्था का अनोखा संगम है. यह झील न सिर्फ प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है, बल्कि भगवान शिव की महिमा से भी जुड़ी है. हर साल हजारों साइबेरियन पक्षी यहाँ आकर बसेरा बनाते हैं…और पढ़ें

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ऐतिहासिक

ऐतिहासिक और पौराणिक कवलेश्वर झील.

हाइलाइट्स

  • कवलेश्वर झील प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है.
  • भगवान शिव की महिमा से जुड़ी है कवलेश्वर झील.
  • सर्दियों में हजारों साइबेरियन पक्षी यहाँ आते हैं.

बलिया: प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व से भरपूर कवलेश्वर झील केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग भी है. मान्यता है कि यही वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था. इसीलिए, यहाँ स्थित मंदिर को कामेश्वर धाम कहा जाता है. इतना ही नहीं, कहा जाता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र ने भी यहाँ विश्राम किया था.
इस झील का धार्मिक और प्राकृतिक महत्व इसे बलिया जिले की सबसे खास जगहों में से एक बनाता है. जब भक्त कामेश्वर धाम के शिखर के दर्शन करते हैं, तो सबसे पहले उनकी नजर इस झील पर पड़ती है, जिसका दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है.

पक्षियों का स्वर्ग
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि यह झील अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ कमल के फूल खिले रहते हैं, और रंग-बिरंगे पक्षी अपनी मधुर आवाज से वातावरण को संगीतमय बना देते हैं. पक्षी पानी की बूंदों से खेलते और उड़ान भरते हैं, जो देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है.

प्रवासी पक्षियों का बसेरा
सर्दियों के मौसम में हजारों साइबेरियन पक्षी यहाँ आकर डेरा डालते हैं. यह झील उनके लिए सुरक्षित आशियाना होती है, जहाँ वे अपने अंडे देते और बच्चों को जन्म देते हैं. यह दृश्य पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं होता.

शांत और ऐतिहासिक झील
लॉर्ड कार्नवालिस के समय के भूमि व्यवस्था नक्शे में इस झील का उल्लेख “कवलेश्वर ताल” के रूप में मिलता है. झील के दक्षिण में कामेश्वर धाम मंदिर और रानी पोखरा स्थित हैं, जबकि उत्तरी किनारे पर श्मशान घाट मौजूद है.
झील तक पहुँचने के लिए तीन दिशाओं से रास्ते बने हुए हैं. हालांकि, फिलहाल झील में पानी कम है, लेकिन बारिश के मौसम में यहाँ का नजारा देखने लायक होता है. झील का शांत वातावरण, मंदिर का आध्यात्मिक महत्व और प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट इसे बलिया जिले की सबसे अनोखी जगहों में से एक बनाती है.
तो अगर आप प्रकृति, इतिहास और भक्ति से जुड़ी जगहों में रुचि रखते हैं, तो कवलेश्वर झील आपको जरूर देखने जाना चाहिए!

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