पूरी रात हुई गोलीबारी, जीवित लौटा सैनिक! नीब करौरी बाबा के कंबल का चमत्कार!

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Neem Karoli Baba: नीब करौरी बाबा का कंबल न केवल एक साधारण वस्तु नहीं, बल्कि एक अद्वितीय और चमत्कारी वस्तु बन गया है, जो श्रद्धालुओं के जीवन में अनगिनत खुशियां और आशीर्वाद लेकर आता है.

कंबल चढ़ाने की परंपरा कब से शुरू हुई?
हाइलाइट्स
- नीब करौरी बाबा के कंबल का चमत्कार प्रसिद्ध है.
- कंबल ने सैनिक की जान बचाई, गोलीबारी में भी सुरक्षित रहा.
- कैंची धाम में कंबल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
Neem Karoli Baba: नीब करौरी बाबा, जिनका नाम भारतीय संतों की सूची में प्रमुख स्थान रखता है, अपनी अनेकों चमत्कारी घटनाओं और भक्ति के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम में बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. हालांकि, यहां कुछ खास चीजें होती हैं, जो दूसरे मंदिरों से अलग हैं. एक ऐसी चीज़ है, जो यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं-कंबल. शायद यह सवाल आपके मन में भी आया हो कि कंबल को लेकर यह विशेष परंपरा क्यों है? आइए, जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से नीब करौरी बाबा और कंबल की इस अद्भुत कहानी के बारे में.
कैंची धाम और कंबल की कहानी
नीब करौरी बाबा हनुमान जी के अडिग भक्त थे और उन्हें हनुमान जी का अवतार भी माना जाता है. उनकी कृपा और चमत्कारी घटनाओं के कारण उनकी प्रसिद्धि दिन-ब-दिन बढ़ती गई. लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालु अन्य मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे की तुलना में कुछ अलग ही चीज़ चढ़ाते हैं – कंबल. यह परंपरा उनके जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना से उत्पन्न हुई है, जिसका वर्णन उनके भक्त रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने अपनी किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ में किया है.
कई साल पहले, एक बार नीब करौरी बाबा अचानक एक बुजुर्ग दंपत्ति के घर पहुंचे. यह दंपत्ति बहुत गरीब थे, लेकिन बाबा की आगमन पर वे प्रसन्न हो गए. रात को बाबा ने उन्हें भोजन के बाद सोने के लिए चारपाई और कंबल दिया. उस रात बाबा कुछ विचित्र तरीके से कराह रहे थे, जैसे उन्हें कोई पीड़ा हो रही हो. सुबह के समय बाबा ने कंबल लपेटकर दंपत्ति से कहा कि इसे बिना खोले गंगा में प्रवाहित कर दें.
यह कहानी तब और दिलचस्प हुई जब उस कंबल के साथ एक और अद्भुत घटना जुड़ी. जब दंपत्ति कंबल को गंगा में प्रवाहित करने ले जा रहे थे, तो वह अचानक भारी हो गया जैसे उसमें लोहा भरा हुआ हो. बाबा ने इस कंबल को खोला नहीं था, तो दंपत्ति ने बिना खोले ही उसे गंगा में प्रवाहित कर दिया.
बुलेटप्रूफ कंबल: एक चमत्कारी घटना
एक महीने बाद, दंपत्ति का बेटा, जो ब्रिटिश फौज में सैनिक था और बर्मा में तैनात था, सकुशल घर वापस लौटा. उसने बताया कि वह जिस रात को बाबा उनके घर पर थे और कराह रहे थे, उस रात उसने युद्ध के दौरान भयंकर गोलीबारी का सामना किया. उसके सारे साथी मारे गए, लेकिन उसे एक भी गोली नहीं लगी. उस रात के बाद, उसने किसी तरह अपनी जान बचाई, जबकि बाबा उस रात घर में सो रहे थे. दंपत्ति अब समझ गए थे कि बाबा के द्वारा दिया गया कंबल वास्तव में उनके बेटे की जान बचाने वाला था.
इसके बाद से ही कंबल चढ़ाने की परंपरा कैंची धाम में शुरू हो गई. श्रद्धालु मानते हैं कि कंबल चढ़ाने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. यह कंबल एक चमत्कारी प्रतीक बन गया है, जिससे बाबा की कृपा को महसूस किया जा सकता है.
February 27, 2025, 00:23 IST
