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पीएम मोदी भी हैं इस बिहारी लड़की के फैन, संगीत की दुनिया में आज है बड़ा नाम

Agency:News18 Bihar

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Maithili Thakur: रियलिटी शो से चर्चा में आई बिहार के मधुबनी की बेटी मैथिली ठाकुर लोगों के दिलों में खास जगह बना चुकी हैं. उनके सफलता में सबसे बड़ा योगदान उनके दादाजी का है. कई मंचों से मैथिली ने यह स्वयं स्वीका…और पढ़ें

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मैथिली

मैथिली ठाकुर की कहानी 

हाइलाइट्स

  • मैथिली ठाकुर को उनके दादा जी ने दी संगीत की प्राथमिक शिक्षा
  • मधुबनी के बेनीपट्टी प्रखंड में बीता मैथिली का बचपन
  • मैथिली के पिता भी थे गायक, गले के ऑपरेशन के कारण गाना हुआ मुश्किल

 मधुबनी. रियलिटी शो से मशहूर हुईं बिहार के मधुबनी (बेनीपट्टी) की बेटी मैथिली ठाकुर को तो आप सभी जानते होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मैथिली की सफलता में सबसे बड़ा योगदान किसका है? मैथिली ने कई मंचों पर स्वीकार किया है कि उनके दादा जी ने उन्हें संगीत की प्राथमिक शिक्षा दी और फिर उन्होंने अपने पिता से भी सीखा. आज हम आपको मिलवाते हैं मैथिली के दादा जी से.

ये है मैथिली का परिवार
हमने जो देखा लोकल 18 की टीम जब मैथिली ठाकुर के गांव मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड उड़ेन गांव पहुंची, तो देखा कि एक पक्का मकान है, घर के आगे काफी खाली जगह और एक मंदिर है. गांव की सड़के अच्छी हैं. उनके घर में बूढ़े दादा-दादी रहते हैं, ताकि घर की देखभाल हो सके. खाना-पीना उनके बड़े बेटे के घर से आता है, जो बगल में ही रहते हैं. मैथिली ठाकुर के गांव वाले घर में कभी-कभी साफ-सफाई करने वाली आती है. दादा जी का नाम शोभा सिंधु ठाकुर उर्फ बच्चा ठाकुर है और दादी का नाम सत्यभामा ठाकुर है. मैथिली के पिता का नाम रमेश ठाकुर, माता का नाम भारती ठाकुर और दो भाई आयाची ठाकुर और ऋषभ ठाकुर हैं.

दादा जी से सुनी मैथिली के बचपन की कहानी
मैथिली ठाकुर का बचपन उनके गांव में ही बीता। जब वह सात वर्ष की हुईं, तो पूरा परिवार दिल्ली चला गया. वहां उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ लोक संगीत की शिक्षा ली. लेकिन जब वह 3-4 वर्ष की थीं, तब से ही हारमोनियम पर गीत गाने लगी थीं. मैथिली के दादा जी एक गायक रहे हैं और हर जगह जाकर गाते थे.  जब दादा जी रियाज करते, तो मैथिली भी उनके साथ बैठकर सीखती थीं. मैथिली के पिता भी एक अच्छे गायक रहे हैं, लेकिन गले के ऑपरेशन के कारण उनकी आवाज खराब हो गई और वे गाना नहीं गा सके.

पिता के सपने को बेटी ने किया पूरा
यह कहा जा सकता है कि यह पूरा परिवार संगीतकार है. दादा से पिता ने सीखा, फिर पोती और दोनों पोते भी संगीत के अच्छे जानकार हैं. मैथिली ठाकुर के दोनों भाई भी गाते-बजाते हैं. लेकिन शुरुआती गुरु उनके दादा ही हैं. आज भी जिस हारमोनियम पर मैथिली ने पहली बार बजाया था, वह उनके पास है. दादा जी ने बताया कि मैथिली उनके लिए नया हारमोनियम लेकर आई हैं, जिसे वे कभी-कभी शौकिया तौर पर बजाते हैं. अब वे 80 वर्ष से ऊपर हो चुके हैं, इसलिए ना उम्र साथ देती है और ना गला.

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