पीएम मोदी ने राहुल गांधी से सबसे बड़ा मुद्दा छीना, जानें जाति जनगणना के फायदे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना को मंजूरी देकर कांग्रेस और राहुल गांधी का मुख्य चुनावी मुद्दा छीन लिया है. इससे बिहार चुनाव में एनडीए को बढ़त मिल सकती है और विपक्ष को नई रणनीति बनानी होगी.

जाति जनगणना पर पीएम मोदी ने लगाई मुहर.
हाइलाइट्स
- पीएम मोदी ने जाति जनगणना को मंजूरी दी.
- बिहार चुनाव में एनडीए को बढ़त मिल सकती है.
- विपक्ष को नई रणनीति बनानी होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना को मंजूरी देकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. इससे कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी के हाथ से उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा फिसलता नजर आ रहा है. लंबे समय से राहुल गांधी और विपक्ष जातिगत जनगणना की मांग को लेकर बीजेपी पर हमलावर थे, लेकिन अब एनडीए सरकार के इस कदम से सियासी समीकरण तेजी से बदल सकते हैं. खासकर बिहार चुनाव में हालात बदल सकते हैं.
जाति जनगणना क्या है और क्यों है अहम?
विपक्ष का कहना है कि जाति जनगणना होगी तो समाज में किस जाति के कितने लोग हैं, उसके बारे में डिटेल में पता चल सकेगा. इससे आरक्षण का लाभ उन्हें दिया जा सकेगा. विपक्ष हमेशा से कहता रहा है कि पिछड़े वर्गों की संख्या ज्यादा है लेकिन उनकी भागीदारी उतनी नहीं है. अब पीएम मोदी ने बड़ा दांव चलते हुए विपक्ष से यह मुद्दा छीन लिया है.
बिहार में क्या पड़ेगा असर?
1.बिहार, जहां जातीय राजनीति की गहरी पकड़ है, वहां यह फैसला निर्णायक साबित हो सकता है.
एनडीए को पिछड़े वर्गों में बढ़त मिल सकती है, खासकर उन वोटर्स में जो अब तक कांग्रेस या क्षेत्रीय दलों के साथ रहे हैं.
2. आरजेडी और कांग्रेस को रणनीति बदलनी होगी, क्योंकि बीजेपी ने उनके मुख्य एजेंडे को खुद ही आगे बढ़ा दिया है.
3. नीतीश कुमार की JDU भी जाति जनगणना की वकालत कर रही थी, ऐसे में बीजेपी और JDU का तालमेल और मजबूत हो सकता है.
अब आगे क्या होगा.
राहुल गांधी ‘जाति बताओ’ अभियान के जरिए सामाजिक न्याय की राजनीति को धार देने की कोशिश कर रहे थे. अब मोदी सरकार के फैसले से उनकी यह रणनीति कमजोर हो सकती है. उन्हें नए नैरेटिव और मुद्दों की तलाश करनी होगी. इसके बाद अन्य राज्यों में भी जाति जनगणना की मांग जोर पकड़ेगी. केंद्र की सामाजिक नीति में बदलाव के संकेत मिल सकते हैं. आरक्षण की समीक्षा और विस्तार पर नई बहस शुरू होगी.
