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पाक में पैसा लगाकर खून के आंसू रो रहा चीन, ना तो पोर्ट चल रहा ना ही एयरपोर्ट

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China Pakistan News: बलूचिस्तान से हजारों बलूच लोगों को पाकिस्तानी सुरक्षाबल गायब कर चुकी है. यह वह लोग हैं जो बलूचिस्तान में हो रही ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. ग्वादर पोर्ट को बनाने के लिए 20 हजार से …और पढ़ें

पाक में पैसा लगाकर खून के आंसू रो रहा चीन, ना तो पोर्ट चल रहा ना ही एयरपोर्ट

ग्वादर से चीन को आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया

China Pakistan News: चीन ने पाकिस्तान में निवेश किया ताकी उसे अपने एनर्जी ट्रेड को चीन तक पहुंचाने के लिए एक जमीनी रास्ता मिल जाए. इसके लिए उसने बलूचिस्तान में 250 मिलिय डॉलर खर्च कर ग्वादर बंदरगाह का निर्माण कराया. ग्वादर पोर्ट 2007 से 2013 तक सिंगापुर की कंपनी के पास था. उसकी हालत खस्ता होने लगी तो पाकिस्तान ने चीन के सामने हाथ फैलाया. 2013 में चीन की चाइना ओवरसीज पोर्ट होल्डिंग कपंनी के साथ पाकिस्तान ने करार किया. पोर्ट के पूरे मुनाफे का 91 फीसदी चीनी कपंनी और 9 फीसदी ग्वादर पोर्ट ऑथौरिटी में बंटने का एग्रिमेंट हुआ.

ग्वादर बना चीन के लिए सफेद हाथी
चीन के पैसों पर पाकिस्तान ग्वादर को पाकिस्तान का दुबई बनाने का सपना देख रहा था. लेकिन इस वक्त ग्वादर चीन के लिए आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया हो गया है. मुनाफा तो दूर की बात खर्चा निकालना चीन को भारी हो रहा है. ग्वादर पोर्ट के लिए सबसे बेहतर साल वह रहा जब 22 बड़े व्यापारिक जहाज ने वहा लंगर डाला. पाकिस्तानी कार्गो शिप का 1 परेंसेट भी ग्वादर नहीं पहुंच रहे हैं. 95 फीसदी कार्गों कराची जा रहे है. साल 2023-24 में कराची में 1767 शिप पहुंचे थे. जब्कि ग्वादर में सिर्फ 17.  इसकी वजह यह बताई जा रही है कि व्यापारियों को भी बलूचिस्तान से अपना माल निकलने में खतरा है.

ग्वादर एयरपोर्ट देख रहा पहली उड़ान की राह
बलूचिस्तान में इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी बनाकर तैयार कर चुका है. लेकिन अभी तक उस एयरपोर्ट से एक भी फ्लाइट ने उड़ान नहीं भरी है. न्यू ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NGIA) को चीन ने 250 मिलियन डॉलर की लागत से बनाया है. इसका 1 जनवरी 2025 को उद्घाटन होना था.  पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की पहली फ्लाइट ऑपरेट होनी थी लेकिन पहली कमर्शियल उड़ान रद्द कर दी. यह एयरपोर्ट CPEC के तहत एक महत्वपूर्ण परियोजना है. यह बड़े विमानों को ऑपरेशनल करने के लेहाज से ही डिजाइन किया गया है. पहले इसका उद्घाटन 14 अगस्त 2024 को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किया जाना था, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के चलते उस वक्त स्थगित करना पड़ा था. दूसरी बार उद्घाटन में देरी बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के हमलों के चलते हुई थी. इन हमलों के बाद पाकिस्तान की सिविल एविएशन और बलूचिस्तान सरकार ने सुरक्षा की समीक्षा करने के चलते उद्घाटन को फिर से स्थगित कर दिया था. यानी एक नया पैसा अब तक नहीं कमाया.

वसूली का नया तरीका
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा खनिज पदार्थों भंडार है. चीन की कंपनियों खनन कर वहां की सारी पूंजी लूट रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान में चीनी कंपनियां खनन के काम में लगी है. सोने और तांबे से भरे खदानों का सालों से दोहन कर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2002 से यह चीनी कंपनियां बलूचिस्तान में खनिज की माईनिंग कर रही है. हर साल तकरीबन 25 टन सोना और 12000 से 15000 टन तांबे का खनन करती है.

मुनाफे का बंदरबांट
यह चीनी कंपनियां इस मुनाफे का आधा हिस्सा यानी की 50 फीसदी खुद रखती है. 48 फीसदी पाकिस्तान के हिस्सा आता है और महज 2 फीसदी बलूचिस्तान को मिलता है. चीन सरकार के आधीन मेटलर्जीकल कॉर्पोरेशन ऑफ चाईना को पाकिस्तान ने 1990 में M-9 और M-11 मिसाइल सिस्टम देने के एवज में बलूचिस्तान के चगई प्रांत के सोना और तांबा के भंडार वाले सैंदक (saindak ) और रेको दिक ( Reko Diq ) खान में खनन के लिए बीस साल की लीज पर दिया था. चीन ने इन खदान से खनिज का दोहन तेज कर दिया. अगर इन दोनों माइन में सोने और तांबे की मात्र की बात करें तो सैंदक माइन में रेको दिक माइन के मुकाबले 20 गुना ज्यादा है जो कि तकरीबन 6 लाख किलो के करीब बताया जाता है. इस तरह से चीन अपने पैसे की वसूली बलूचिस्तान से कर रहा है.

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