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पहला बड़ा शॉट खेलने वाले बल्लेबाज की याद में एडीलेड मैदान के बाहर लगी मूर्ति

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क्रिकेट के इतिहास में पहला टेस्ट मैच 1877 में खेला गया था. लेकिन क्रिकेट में पहला छक्का 21 साल के इंतजार के बाद आया था. ये छक्का 1898 के जनवरी के महीने में एडिलेड के मैदान पर देखने को मिला था.क्रिकेट के इतिहास…और पढ़ें

पहला बड़ा शॉट खेलने वाले बल्लेबाज की याद में एडीलेड मैदान के बाहर लगी मूर्ति

क्रिकेट शुरु होने के 21 साल बाद लगा पहला छक्का

नई दिल्ली. साल 2005 में टी-20 क्रिकेट वजूद में आया और उसके बाद क्रिकेट की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई. बड़े बड़े शॉट्स, गेंद बाउंड्री तो छोड़िए मैदान के बाहर आम जाने लगी, बैट से गेंद के टकराने की खनक बताने लगी कि गेंद कितनी दूर जाएगी. मौजूदा समय में खिलाड़ी टेस्ट फॉर्मेट में भी जमकर चौके छक्के लगाते हैं. पर जब क्रिकेट शुरु हुई तो ना ऐसे बैट थे और ना ऐसा कोई नियम और ना बल्लेबाजों में छक्का मारने का क्रेज.

कई सालों तक फैंस को छक्का देखने को नहीं मिला था. इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत में छक्का लगाना इतना आसान भी नहीं हुआ करता था. बता दें, क्रिकेट के इतिहास में पहला टेस्ट मैच 1877 में खेला गया था. लेकिन क्रिकेट में पहला छक्का 21 साल के इंतजार के बाद आया था. ये छक्का   14 जनवरी 1898 को एडिलेड के मैदान पर लगाया गया.

मैदान के बाहर गेंद मारने वाला महारथी कौन ?

एडीलेड ओवल का मैदान क्रिकेट इतिहास के पहले छक्के का साक्षी बना और इतिहास रचने वाला भी ऑस्ट्रेलिया का था. इस शख्स की मूर्ति आज भी स्टेडियम के बाहर मौजूद है.क्रिकेट के इतिहास में पहला छक्का जड़ने का कारनामा ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज जो डार्लिंग ने किया था. ये मैच ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया था. दोनों टीमों का आमना-सामना ऐडिलेड ओवल स्टेडियम में हुआ था. इस मैच में डार्लिंग की शानदार 178 रनों की पारी की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 573 रन बनाए. इस दौरान जो डार्लिंग 1 या 2 नहीं बल्कि 3 छक्के जड़े थे.

बाजुओं में जान, लगेगा छक्का जब पार होगा मैदान 

पहले की क्रिकेट में रन बनाना आसान था पर छक्का मारना एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा था.  टेस्ट मैचों के  शुरुआती दौरे में 1 गेंद पर 6 रन तो कई बार बने थे, लेकिन वो ओवर थ्रो की मदद से होते थे. वहीं, गेंद को सीधा सीमारेखा के बाहर भेजने पर 6 रन नहीं मिलते थे. यानी छक्का जड़े का नियम अलग था. दरअसल, पहले के दौरे में सिक्स लगाने के नियम कुछ और थे. उस समय गेंद को स्टेडियम के पार पहुंचने पर 6 रन मिलते थे. जो डार्लिंग ने कुछ ऐसा ही किया था, उन्होंने गेंद को ऐडिलेड ओवल स्टेडियम के बाहर मारा था, जब जाकर वह टेस्ट क्रिकेट में पहला छक्का जड़ने का रिकॉर्ड अपने नाम कर सके थे. यही वजह थी कि उस दौरे में बल्लेबाजों के लिए छक्का मारना काफी मुश्किल होता था. उन्हें बहुत दम लगाना पड़ता था, जो लगभग असंभव था. आज के दौर में  भारत के पास ही ऐसे कई क्रिकेटर है जो गेंद को स्टेडियम के बाहर मारने का माद्दा रखते है और खबर तो ये बी आ रही है कि अब मैदान के बाहर गेंद पहुंचाने वाले को आठ रन मिलेंगे.

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