पटना से प्रयागराज महाकुंभ जाने के दौरान कहां मिला जाम, जानें आंखों देखा हाल
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Agency:News18 Bihar
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पटना से प्रयागराज महाकुंभ की यात्रा के दौरान मुझे कई नए-नए अनुभवों का सामना करना पड़ा. संगम घाट के पास अद्भुत नजारा देख मेरा मन आनंद से भर गया. मुझे भारतीय होने पर फिर से गर्व हुआ. महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता क…और पढ़ें
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महाकुंभ जाने के दौरान की अलग-अलग तस्वीरें.
हाइलाइट्स
- पटना से प्रयागराज महाकुंभ यात्रा के दौरान मुझे कई खास अनुभव हुए.
- मोहनिया और वाराणसी में टोल प्लाजा के पास जाम का सामना करना पड़ा.
- संगम घाट पर महाकुंभ अद्भुत नजारा दिखा, स्नान कर मन आनंदित हो गया.
पटना. प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान कर लिया है. इस बार प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता देखकर सच में ऐसा लगा कि हमारा भारत एक बार फिर से विश्वगुरु बनने की ओर है. प्रयागराज शहर में प्रवेश करते ही फ्लाईओवर के ऊपर से संगम घाट के किनारे का जो नजारा दिखा वह अद्भुत था. मुझे फिर से गर्व हुआ कि मैं एक भारतीय हूं. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा आयोजन होता होगा, जहां इतनी बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग पहुंचते होंगे. पटना से प्रयागराज के अपने सफर के दौरान मैंने कई ऐसे नए अनुभवों को महसूस किया, जिसे मुझे आपसे शेयर करने का मन हो रहा है.
सबसे पहले बात करते हैं पटना से सफर के शुरुआत की. पटना से मैं 13 फरवरी को शाम करीब 4 बजे मैं अपने ऑफिस के एक रिपोर्टर साथी रवि एस नारायण के साथ सड़क मार्ग से प्रयागराज के सफर पर निकला. हमलोगों ने पटना से आरा-मोहनिया होते हुए जीटी रोड के रास्ते प्रयागराज जाने का निर्णय लिया. पटना से बिहटा तक का सफर तो आसान था, हमें लगा कि बिहटा में जाम से सामना होगा. लेकिन, हम लोग भाग्यशाली रहे कि हमलोग बिहटा के जाम से बच गए. बिहटा से आरा का रास्ता भी ठीक ठाक रहा. लेकिन, हमारी परेशानी आरा से मोहनिया पहुंचते ही शुरू हो गयी है. मोहनिया के बाद से जीटी रोड पर हमारी कार की रफ्तार थोड़ी धीमी हो गयी. लेकिन, राहत की बात यह थी कि कार बहुत देर जाम में नहीं फंसी थी. हमलोग करीब 8 बजे मोहनिया पहुंच गए थे. तब गूगल मैप पर मोहनिया से प्रयागराज का सफर 4 घंटे का बताया जा रहा है यानि करीब 205 किलोमीटर का सफर और बाकी थी.
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महाकुंभ जाने के दौरान की अलग-अलग तस्वीरें.
टोल प्लाजा के पास लग रहा अधिक जाम
ऐसे में मैंने और मेरे साथी रवि जी ने डिसाइड किया कि किसी ढाबे पर रुक कर कुछ खाकर आराम कर लिया जाए. इसके बाद हमारी गाड़ी एक ढाबे के किनारे रुकी जहां हमने खाना खाया, हालांकि खाना हमलोग घर से लेकर चले थे. इसलिए आप भी घर से ही कुछ लेकर चलें. खाना खाने के बाद हमने चाय पी और फिर हमारी गाड़ी स्टार्ट हो गयी. तब हमलोगों ने गूगल मैप पर देखा था कि हमलोग 12:30 बजे प्रयागराज पहुंच जाएंगे. लेकिन, असल चुनौती तो अभी बाकी थी. मोहनिया से लेकर वाराणसी तक जीटी रोड पर टोल प्लाज़ा के पास लगने वाला जाम हमलोगों को इरिटेट कर रहा था. हालांकि लोग बता रहे थे कि उस दिन तो जाम कम था उसके पहले तो और बुरी स्थिति थी. खैर कार धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी. हमलोग करीब 11 बजे वाराणसी पहुंच चुके थे. हाइवे पर हमारी कार रुकी और हमोलोगों ने चाय पी. चाय पीने के तुरंत बाद हमलोग फिर से कार में बैठकर चल दिये. वहां से प्रयागराज शहर में प्रवेश करने तक हमलोगों को कहीं कोई जाम नहीं मिला.
संगम किनारे दिखा अद्भुत नजारा
लेकिन, प्रयागराज शहर में पहुंचते ही एक बार फिर से जाम से हमलोगों का सामना हो गया. दरअसल प्रयागराज में प्रवेश करते ही अलग-अलग पॉइंट्स पर बैरेकडिंग कर यूपी पुलिस के जवान वाहनों को पार्किंग की तरफ भेज रहे थे. इस वजह से शहर के गाड़ियों की चाल धीमी होती चली जा रही थी और संगम घाट से 15 किलोमीटर पहले से जाम लगना शुरू हो गया था. यहां से कई लोग गाड़ियों को पार्किंग में लगाकर पैदल ही संगम की ओर बढ़ रहे थे. इस दौरान जैसे ही हम दारागंज के पहले वाला ब्रिज पार कर रहे थे उस दौरान पुल के ऊपर से संगम घाट के किनारे का जो विहंगम नजारा दिख रहा था वह अद्भुत था. मेरे लिए यह पहला अनुभव था. संगम के पास चारों तरफ नजरें घुमाने पर लाइट्स की खूबसूरती और शिविर मन मोह रहे थे.
धक्का-मुक्की वाली भीड़ नहीं मिली
धीरे-धीरे हमारी गाड़ी किसी तरह संगम घाट के पहले वाले चौराहे तक पहुंच गयी और फाइनली प्रयागराज के जाम में करीब एक से डेढ़ घंटे तक फंसे रहने के बाद हमलोग करीब 2:15 बजे संगम घाट के पास वाले चुंगी चौराहा पर पहुंच चुके थे. हमलोगों ने एक होटल के बाहर कार पार्क की और डिसाइड करने लगे कि पहले घाट की स्नान करने जाएं या कैंप में. दरअसल रास्ते में हमलोगों ने प्लान बनाया था कि अगर हमलोग रात 12-1 बजे तक पहुंचते हैं तो सेक्टर 6 में सद्विप्र समाज सेवा पूज्य सद्गुरुदेव स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के शिविर में जाएंगे. यहां पर मेरे फादर इन लॉ शालिग्राम सिंह एक महीने के कल्पवास पर थे और शिविर में देखरेख की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे. हालांकि हमलोग 2:15 बजे संगम चौराहे पर थे तो हमलोगों ने डिसाइड किया कि पहले संगम घाट तक जाया जाए और स्नान कर लिया जाए उसके बाद कैंप जाएंगे. इसके बाद कार से निकलकर हमलोग पैदल-पैदल ही संगम घाट की तरफ बढ़ चले. घाट तक के सफर में रंग बिरंगी रोशनी, महाकुंभ के अलग बोर्ड, दुकानें और लोगों का हुजूम, यह अब एक अलग ही फील दे रहा था. उस दौरान धक्का-मुक्की वाली भीड़ नहीं थी. लोग बड़े आराम से धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे.
संगम में डुबकी लगाकर मन आनंदित हो गया
करीब 2 किलोमीटर पैदल चलने के बाद हमलोग घाट तक पहुंच चुके थे. इस दौरान मोबाइल में कुछ वीडियो और फोटोज लिए और उसके बाद गंगा मईया, यमुना मईया और सरस्वती माता का ध्यान कर संगम में डुबकी लगाई. संगम में डुबकी लगाते ही मन आनंदित हो गया. एक अद्भुत अनुभव हो रहा था. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का अनुमभव ही कुछ खास होता है. ठंडी हवाओं के बीच डुबकी लगाने के बाद संगम में पुष्प अर्पित कर प्रणाम किया और ज्योत जलायी. इसके बाद हमलोगों ने फिर कुछ फोटोज ली और प्रसाद लेकर करीब 4:30 बजे कैंप की ओर बढ़ चले. इस दौरान हमलोगों ने कई लोगों से नागबासुकी मंदिर जाने का रास्ता पूछा क्योंकि उसके आगे ही वह कैंप था. पैदल चलते-चलते कुछ दूर बाद हमें एक रिक्शा वाला मिला, जिसने हमे नागबासुकी मंदिर तक पहुंचाया, वहां से पैदल चलते-चलते हमलोग कैंप तक करीब 6 बजे पहुंचे गए.
200 रुपये में मिली बाइक, रिक्शे वाला नहीं हुआ तैयार
कैंप में हमलोगों ने चाय पी, थोड़ा आराम और फिर वहां से सुबह करीब 9 बजे चुंगी चौराहे के लिए रवाना हो गए. सेक्टर 6 से चुंगी चौराहे तक जाने के लिए कोई भी रिक्शा वाला जाने को तैयार नहीं था. सबने जाम की बात कह जाने से मना कर दिया. हालांकि कुछ दूर पैदल चलने के बाद बाइक वाला हमे मिला, जिसने 200 रुपये लेकर तंग गलियों के रास्ते से होकर हमलोगों को चौराहे से थोड़ा पहले उतार दिया और कहा यहां से पैदल चले जाइए आगे पुलिस वाले नहीं जाने देंगे. इस दौरान जैसे ही पैदल चलते-चलते हमलोग चौराहे तक पहुंचे, भीड़ इतनी थी कि हमोग हैरान रह गए. 3 बजे का नजारा कुछ और और 9 बजे सुबह का कुछ और. लोगों की भारी भीड़ संगम घाट की ओर बढ़ रही थी.
भीड़ देखकर शाम तक निकल पड़े
भीड़ देखकर हमारे साथी रवि जी ने कहा भाई जल्द से जल्द शहर से निकल जाया जाए क्यों कि भीड़ बहुत बढ़ रही है. भीड़ की वजह से हमलोग कहीं और नहीं गए और कैंप में थोड़ा आराम करने के बाद शाम 4:30 बजे पटना के लिए चल पड़े. चुकी शाम का समय था इसलिए रूटीन ट्रैफिक के साथ-साथ जाम की स्थिति के बीच हमलोग धीरे-धीरे आगे बढ़ते चले गए. शहर में जाम तो था लेकिन धीरे-धीरे गाड़ी आगे बढ़ रही थी. हालांकि फिर भी हमलोगों को शहर से निकलते-निकलते करीब 2 घंटे का समय लग गया. इसके बाद वाराणसी से पहले हमलोगों को काफी देर तक जाम का सामना करना पड़ा. करीब एक से डेढ़ घंटे हमलोग जाम में फंसे रहे.
वाराणसी से पहले क्यों लग रहा जाम ?
दरअसल हमलोगों ने देखा कि प्रयागराज से लौटते हुए कई लोग वाराणसी शहर में भी जा रहे हैं. ऐसे में जीटी रोड से नीचे उतरकर वाराणसी शहर में जाने के दौरान हाइवे पर वाहनों की लंबी कतार लग जारही है. इस वजह से लोगों को वाराणसी के पास जीटी रोड पर जाम में फंसना पड़ रहा है. इसके बाद वाराणसी से जैसे ही आगे बढ़ेंगे जीटी रोड पर निर्माण कार्य के दौरान डायवर्जन के कारण भी सड़क पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जा रही है. दरअसल डायवर्जन के दौरान वाहनों के ओवरटेक और दाएं-बाएं के चक्कर में जाम लग जा रहा है. हालांकि इसी बीच मैंने और रवि जी ने अपने कैमूर में साथी रिपोर्टर अभिनव सिंह को कॉल कर मोहनिया में जाम की स्थिति की जानकारी ली. अभिनव को हमने कहा कि वाराणसी आते-आते हमलोग पहले ही काफी जाम में फंस चुके हैं आगे नहीं फंसना चाहते हैं.
अभिनव ने मोहनिया टोल प्लाजा के जाम से बचा लिया
अभिनव ने कैमूर से वाराणसी के रास्ते को अच्छे से एक्सप्लोर कर रखा था ऐसे में उसने हमलोगों एक अन्य रास्ते के बारे में बताया, जिससे हम मोहनिया टोल पर लगने वाले जाम से बच सकते थे. दरअसल अभिनव ने बताया कि वाराणसी से पटना आने के दौरान हमे हाइवे पर चंदौली जाने का एक टर्न मिलेगा वहां से हमें नीचे उतरकर चांद और चैनपुर होते हुए भभुआ के एकता चौक पर पहुंचना था. हमने अभिनव की बात मानी और सच में स्टेट हाइवे से होता हुआ रास्ता हमलोगों को रात के करीब 11 बजे तक सीधे मोहनिया-आरा हाइवे के पास पटना मोड़ तक ले आया, जहां हमलोगों ने एक होटल में डिनर किया. इस रास्ते से आने के कारण हमलोग मोहनिया टोल प्लाजा के जाम से बच गए.
होटल किनारे नींद ले लेकर पहुंचे पटना
पटना से आरा के बीच हमलोगों ने लाइन होटल के बाहर 2 जगह गाड़ी रोककर थोड़ी-थोड़ी नींद ली. पटना से आरा के बीच हमलोगों को कहीं कोई जाम नहीं मिला. सुबह 6 बजे हमलोग बिहटा पार कर चुके थे और करीब 7: 45 बजे कंकड़बाग अपने घर. पटना से प्रयागराज जाने के दौरान तो हमे अधिक जाम नहीं मिला था लेकिन प्रयागराज से पटना आने के दौरान कुछ जगहों पर गाड़ी की रफ्तार धीमी हो गयी थी. अपने सफर के दौरान मैंने यह महसूस किया कि अगर रात के करीब 2-3 बजे तक प्रयागराज पहुंच जाते हैं तो आराम से स्नान करके 7 बजे तक शहर से बाहर निकल सकते हैं. हालांकि अगर कोई रुककर वहां पर घूमना चाहे तो घूम भी सकते हैं. लेकिन, जहां अत्याधिक भीड़ दिखे वहां न जाएं. सुबह 5 बजे तक घाट पर बहुत अधिक भीड़ नहीं मिलेगी. हालांकि 6 बजे के बाद से भीड़ काफी बढ़ जाती है.
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February 17, 2025, 18:52 IST
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