न्यूटन ने क्यों कहा खत्म होगी दुनिया, साल भी बता दिया. क्या पास है वो समय

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आइजैक न्यूटन ने पृथ्वी के अंत को लेकर एक भविष्यवाणी की थी, वो समय तो अब करीब है. उन्होंने जो समय बताया था, वो तो आने वाला है. लेकिन साइंस उनके इस अनुमान के बारे में क्या कहती है.

हाइलाइट्स
- न्यूटन का निधन 300 साल पहले हुआ था
- उन्होंने ये गणना बाइबल और अंक गणित के आधार पर की
- उनकी गणना के अनुसार पृथ्वी का अंत क्यों निकट
सर आइजैक न्यूटन का निधन हुए 300 साल हो चुके हैं. उन्होंने साइंस को गति और गुरुत्वाकर्षण के कई सटीक नियम दिए. उन्होंने दुनिया के खत्म होने की भी भविष्यवाणी की थी. वो समय तो अब करीब आ गया है. उन्होंने दुनिया खत्म होने को लेकर क्या कहा और कब इसके विनाश का अनुमान लगाया था. वैसे ये समय तो बहुत करीब है.
सर आइज़ैक न्यूटन का जन्म 1643 में हुआ और निधन 1727को. उन्होंने गति और गुरुत्वाकर्षण के जो नियम बताए, उससे पृथ्वी और ब्रह्मांड की गति और उनमें होने वाली चीजों को समझने में बहुत मदद मिली.
कब पृथ्वी खत्म होने के बारे में बताया
इतिहास उन्हें मुख्य रूप से एक भौतिक विज्ञानी, “न्यूटोनियन भौतिकी” के आविष्कारक के रूप में देखता है. हालांकि वह गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, प्राकृतिक दार्शनिक, कीमियागर और धर्मशास्त्री भी थे. उन्होंने दुनिया को खत्म होने को लेकर एक भविष्यवाणी की. इसके अनुसार तो अब पृथ्वी जल्दी ही खत्म होने वाली है. उन्होंने अपनी खोज के बाद दावा किया कि दुनिया वर्ष 2060 में समाप्त हो जाएगी.

आइज़ैक न्यूटन का पत्र जिसमें 2060 में दुनिया के अंत की भविष्यवाणी की गई है. (courtesy -Jerusalem’s Hebrew University).
किस आधार पर कहा ऐसा
दिलचस्प बात यह है कि न्यूटन ने भविष्य के लिए इस भयानक चेतावनी को प्रकाशित करने के लिए कोई विस्तृत दस्तावेज़ नहीं बनाया. उन्होंने ये भविष्यवाणी गणितीय गणनाओं के आधार पर की. इसके बाद इस लंबी पर्ची लिखी.
धर्म और विज्ञान को मिलाकर अनुमान लगाया
न्यूटन ये पता लगाने में सबसे अधिक रुचि रखते थे कि यह अंतिम सर्वनाश कब आ सकता है. हालांकि उन्होंने इसमें धर्म और विज्ञान दोनों को मिला दिया. बाइबल में कही कुछ बातों के आधार पर उन्होंने कहा कि रोमन साम्राज्य की 800 ईस्वी में स्थापना के बाद पृथ्वी के खत्म होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई. अगर बाइबल और साइंस को मिला दें तो वर्ष 2060 में पृथ्वी खत्म हो जाएगी.

मौजूदा वैज्ञानिक उनकी इस भविष्यवाणी के आंकलन से इत्तफाक नहीं रखते (image generated by Meta AI)
साइंटिस्ट क्यों उनके अनुमान को खारिज करते हैं
हालांकि मौजूदा वैज्ञानिक उनकी इस भविष्यवाणी के आंकलन से इत्तफाक नहीं रखते, क्योंकि उनका कहना है कि जिस गणितीय आधार पर न्यूटन ने ये गणना की, वो बहुत साधारण अंक गणित है, जिसे सही नहीं माना जा सकता. हालांकि कुछ लोगों का ये भी कहना है कि न्यूटन ये कहना चाहते थे दुनिया वर्ष 2060 से पहले खत्म नहीं होगी, अगर कोई अंत आया तो इसके बाद ही होगा.
बाद में न्यूटन ने इस पर स्पष्टीकरण भी दिया,
मैं यह नहीं नहीं कह रहा हूँ कि अंत का समय कब होगा बल्कि मैं उन काल्पनिक अनुमानों को रोकना चाहता हूं जो अक्सर अंत के समय की भविष्यवाणी करते रहते हैं. ऐसा करके पवित्र भविष्यवाणियों को बदनाम करते हैं.
हालांकि अब तो कई साइंटिस्ट न्यूटन को सही अर्थों में वैज्ञानिक भी नहीं मानते. इसकी बजाय उन्हें “प्राकृतिक दार्शनिक” ज्यादा मानते हैं. सर आइज़ैक न्यूटन के विचार में, ऐसा कोई कारण नहीं है कि विज्ञान का कोई व्यक्ति धर्म को अस्वीकार कर दे.

ये भविष्यवाणी उन्होंने बाइबिल की गूढ़ व्याख्या और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन के आधार पर की गई थी. (file photo)
कई वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि आइजैक न्यूटन की ये भविष्यवाणी की पृथ्वी 2060 के आसपास समाप्त हो सकती है, बहुत अटपटी है, क्योंकि ये भविष्यवाणी उन्होंने बाइबिल की गूढ़ व्याख्या और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन के आधार पर की थी.
न्यूटन ने वास्तव में क्या कहा था
न्यूटन ने बाइबिल की किताब “डैनियल” और “रिवेलेशन” (प्रकाशित वचन) का गहराई से अध्ययन किया. उसमें लिखी गई संख्याओं और संकेतों की गणना करके अनुमान लगाया कि 2060 ईस्वी में एक नया युग आएगा. हालांकि, उन्होंने इसे पूर्ण विनाश नहीं कहा, बल्कि इसे एक बड़े परिवर्तन और दिव्य हस्तक्षेप का समय बताया.
न्यूटन के वो साइंस के नियम जो आज भी सही हैं
यह भविष्यवाणी वैज्ञानिक आधार पर नहीं, बल्कि उनके धार्मिक और आध्यात्मिक अध्ययन के आधार पर थी. वैसे न्यूटन मुख्य रूप से गुरुत्वाकर्षण के नियम, गति के नियम और प्रकाश के सिद्धांतों जैसे वैज्ञानिक कामों के लिए प्रसिद्ध हैं, न कि भविष्यवाणियों के लिए.
दुनिया खत्म होने के वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या हैं
हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पृथ्वी के अंत को लेकर कई कल्पनाएं दी गई हैं, लेकिन कोई निश्चित भविष्यवाणी नहीं की गई है. विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी का विनाश कई कारणों से हो सकता है
1. सूर्य का अंत (5-7 अरब साल बाद)
सूर्य वर्तमान में हाइड्रोजन को जलाकर ऊर्जा उत्पन्न कर रहा है, लेकिन जब इसका हाइड्रोजन समाप्त हो जाएगा, तो यह लाल दानव (Red Giant) में बदल जाएगा. तब ये यह अपनी परिधि बढ़ाकर बुध, शुक्र और शायद पृथ्वी को भी निगल सकता है. हालांकि ये घटना लगभग 5 से 7 अरब साल बाद होगी, इसलिए निकट भविष्य में पृथ्वी को इससे कोई खतरा नहीं है.
2. गामा-रे विस्फोट (Gamma-Ray Burst)
यदि किसी सुपरनोवा या ब्लैक होल के टकराव से गामा-रे विस्फोट पृथ्वी की ओर आता है, तो यह हमारी वायुमंडलीय परत को नष्ट कर सकता है. इससे पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो सकता है, लेकिन इसकी आशंका बहुत कम है.
3. एस्टेरॉयड (Asteroid) टकराव
6.6 करोड़ साल पहले एक विशाल एस्टेरॉयड टकराने से डायनासोर विलुप्त हो गए थे. वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि अगर कोई 10 किमी से बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है, तो यह वैश्विक तबाही मचा सकता है.
NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ ऐसे खतरों की निगरानी कर रही हैं और “DART मिशन” जैसी तकनीकों से एस्टेरॉयड को दिशा बदलने की कोशिश कर रही हैं.
4. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
ग्रीनहाउस गैसों और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है. यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो समुद्र का स्तर बढ़ सकता है, प्राकृतिक आपदाएं अधिक घातक हो सकती हैं.तब पृथ्वी पर जीवन कठिन हो सकता है. हालांकि, यह संपूर्ण पृथ्वी के विनाश का कारण नहीं बनेगा, लेकिन मानव सभ्यता के लिए गंभीर खतरा हो सकता है.
5. महायुद्ध या परमाणु युद्ध
यदि विश्व युद्ध-3 हुआ और इसमें परमाणु हथियारों का उपयोग किया गया, तो यह पृथ्वी पर जीवन को करीब नष्ट कर सकता है. हालांकि पृथ्वी तो खुद बच जाएगी लेकिन जैविक जीवन और मानव सभ्यता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है.
6. ब्लैक होल का प्रभाव
यदि कोई घुमंतू ब्लैक होल (Rogue Black Hole) सौर मंडल के पास आ जाए, तो यह पृथ्वी की कक्षा को प्रभावित कर सकता है. हालांकि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि कोई ब्लैक होल पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
February 27, 2025, 10:16 IST
