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नवरात्रि के आखिर में कर लिया इस स्तोत्र का पाठ, तो मिलेगा देवी मां का आशीर्वाद

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नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में भूल वश कोई गलती हो जाए, तो आखिरी नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के खास स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. 

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चैत्र

चैत्र नवरात्रि में देव्यापराध क्षमायाचना स्तोत्र

हाइलाइट्स

  • नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ लाभकारी है.
  • आखिरी नवरात्र में देव्यापराध क्षमा याचना स्तोत्र का पाठ करें.
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ डर से मुक्ति और धन प्राप्ति में सहायक है.

हरिद्वार: हिंदू धर्म में समय की गणना संवत से होती है. संवत में आदिशक्ति देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि का आगमन होता है. संवत में नवरात्रि का आगमन चार बार होता है जिसमें दो बार प्रकट नवरात्रि आते हैं, तो दो बार गुप्त नवरात्रि के व्रत से देवी मां को प्रसन्न किया जाता है. नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पाठ, पूजा अर्चना करने का विधान है. नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की पूजा अर्चना, व्रत, स्तोत्र, भजन कीर्तन, आरती आदि की जाती है. शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का संपूर्ण फल प्राप्त करने और जीवन में चल रही समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए साधक 700 श्लोक वाले धार्मिक ग्रंथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, जिससे चमत्कारी लाभ मिलते हैं. नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में भूल वश कोई गलती हो जाए, तो आखिरी नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के खास स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है.

दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद ही लाभकारी

इसकी अधिक जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद ही लाभकारी और चमत्कारी होता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से डर से मुक्ति, धन की प्राप्ति, शत्रु का नाश, शत्रुओं पर विजय आदि बहुत से चमत्कारी लाभ मिलते हैं. दुर्गा सप्तशती के देवी कवच, अर्गला स्तोत्र, कीलक आदि स्तोत्र का पाठ किया जाता है. यदि दुर्गा सप्तशती के किसी मंत्र या स्तोत्र का पाठ करने में भूल वश कोई गलती हो जाए या उसका उच्चारण गलत हो तो साधक को नवरात्रि का कोई फल नहीं मिलता है.

क्या है स्तोत्र

शास्त्रों के अनुसार यदि साधक से भूलवश या उच्चारण करने में गलती हो जाए तो व्रत के आखिरी दिन अष्टमी या नवमी में दुर्गा सप्तशती के देव्यापराध क्षमा याचना स्तोत्र का पाठ करने से संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है. देवी मां उन भक्तों की गलतियां माफ करके संपूर्ण फल प्रदान करती हैं. दुर्गा सप्तशती में देव्यापराध क्षमा याचना स्तोत्र बेहद चमत्कारी और फलदाई है. इस स्तोत्र का पाठ साधक द्वारा तब किया जाता है जब वह अष्टमी या नवमी में व्रत पूर्ण करके कन्या पूजन करता है.

NOTE: इस स्तोत्र की ज्यादा जानकारी करने के लिए आप हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री से उनके फोन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

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