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नदियों में तो बाढ़ आ जाती है लेकिन समुद्र में कभी क्यों नहीं आती, जानें क्यों

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दुनिया की ज्यादातर नदियां समुद्र में ही गिरती हैं. ये भी सच है कि दुनिया की कुछ को छोड़ ज्यादातर में बाढ़ भी आती है तो ऐसा समुद्र के साथ क्यों नहीं होता.

नदियों में तो बाढ़ आ जाती है लेकिन समुद्र में कभी क्यों नहीं आती, जानें क्यों

हाइलाइट्स

  • नदियों में बाढ़ पानी की क्षमता से अधिक होने पर आती है
  • समुद्र विशाल और गहरा होने के कारण बाढ़ नहीं आती
  • समुद्र में बाढ़ तूफान, सुनामी, या ज्वार-भाटा से होती है

दुनियाभर में रेगिस्तानी और छोटी नदियों को छोड़कर ज्यादातर समुद्र में जाकर गिरती हैं. उनका सारा पानी उसमें मिलता है. नदियों में भयंकर से भयंकर बाढ़ आ जाए. चाहे इस बाढ़ कितनी ही विनाशलीला क्यों ना हो जाए लेकिन जब वो अपना पानी समुद्र में ले जाती हैं तो वहां कुछ नहीं होता. आखिर क्यों समुद्र में बाढ़ नहीं आती.

नदियों में बाढ़ तब आती है जब उनमें पानी की मात्रा उनकी क्षमता से ज्यादा हो जाती है. ऐसा आमतौर पर भारी बारिश, बर्फ के पिघलने, या जलाशयों से पानी छोड़े जाने के कारण होता है. नदियां सीमित चौड़ाई और गहराई वाली होती हैं, इसलिए पानी का स्तर आसानी से बढ़ जाता है और फिर ये उनके किनारों को पार कर जमीनी इलाकों में पहुंच जाता है, जिसे हम बाढ़ कहते हैं.

समुद्र विशाल और गहरा
दूसरी ओर, समुद्र बहुत विशाल और गहरा होता है. पृथ्वी की सतह का लगभग 71 फीसदी हिस्सा समुद्र का ही है. मतलब इस पृथ्वी के 29 फीसदी हिस्से में ही जमीन है. समुद्र की औसत गहराई 3,688 मीटर (12,100 फीट) है. यानि ये नदियों से कहीं ज्यादा गहरे होते हैं. समुद्र में पानी की इतनी विशाल मात्रा और जगह होती है कि भारी बारिश या नदियों से आने वाला अतिरिक्त पानी इसके स्तर को शायद ही प्रभावित करता हो.

(image generated by Meta AI)

दुनिया की सबसे गहरी नदी समुद्र से कितनी हल्की
हालांकि आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि दुनिया की सबसे गहरी नदी कौन सी है और ये कितनी गहरी है. इसका नाम कांगो है. ये मध्य अफ्रीका में बहती है.
– कांगो नदी की सबसे गहरी जगह पर गहराई 230 मीटर (लगभग 754 फीट) तक मापी गई है. यह इसे दुनिया की सबसे गहरी नदी बनाती है.
– अमेज़न नदी: अधिकतम गहराई लगभग 100 मीटर (330 फीट).
– नील नदी: औसतन बहुत कम गहरी, अधिकतम 10-20 मीटर के आसपास.
– यांग्त्से नदी: कुछ जगहों पर 100-150 मीटर तक गहरी।
– गंगा नदी की गहराई 10 से 20 मीटर (33 से 66 फीट) के बीच होती है. ये जब निचले मैदानी क्षेत्रों (विशेषकर बंगाल की खाड़ी के पास डेल्टा क्षेत्र में) पहुंचती तो इसकी गहराई 30 से 50 मीटर (98 से 164 फीट) तक पहुंच सकती है.

(image generated by Meta AI)

अगर दुनिया की सारी नदियां समुद्र में ज्यादा पानी डालें तो…
अगर बहुत सारी नदियां समुद्र में ज्यादा पानी डालें, तो समुद्र का स्तर थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन ये तब भी इतना कम होगा कि समुद्र में बाढ़ नहीं आने वाली. समुद्र का आकार इतना बड़ा है कि वह इस अतिरिक्त पानी को आसानी से समायोजित कर लेता है.

समुद्र में बाढ़ आती तो है लेकिन कब…
हालांकि समुद्र में “बाढ़” जैसी स्थिति तब देखने को मिलती है जब तूफान, सुनामी, या ज्वार-भाटा (टाइड्स) के कारण पानी किनारों पर चढ़ जाता है. इसे आमतौर पर “समुद्री बाढ़” या “तटीय बाढ़” (coastal flooding) कहा जाता है, लेकिन यह नदियों की बाढ़ से अलग होती है, क्योंकि यह समुद्र के अंदर पानी की मात्रा बढ़ने से नहीं, बल्कि लहरों और मौसम की घटनाओं से होती है.

(image generated by Meta AI)

संक्षेप में समुद्र में बाढ़ इसलिए नहीं आती क्योंकि उसकी क्षमता इतनी विशाल है कि वह अतिरिक्त पानी को बिना किसी बड़े बदलाव के समा लेता है, जबकि नदियों की सीमित क्षमता उन्हें बाढ़ के प्रति संवेदनशील बनाती है.

पृथ्वी पर कितना समुद्र और कितनी जमीन
अब ये भी जान लें कि धरती के कितने क्षेत्रफल पर समुद्र है और कितने पर जमीनी सतह
– पृथ्वी का कुल सतही क्षेत्रफल लगभग 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर है
– इसमें महासागरों का क्षेत्रफल करीब 361 मिलियन वर्ग किलोमीटर है
– शेष 149 मिलियन वर्ग किलोमीटर स्थल (महाद्वीपों और द्वीपों) का है.

जिस 29 फीसदी हिस्से में जमीन है, उसमें कितनी रिहायशी
दुनिया का 29 फीसदी हिस्सा जमीन है, जिसमें महाद्वीप, द्वीप, और अन्य स्थल क्षेत्र शामिल हैं, लेकिन उसमें नदियां, ग्लेशियर, पहाड़, जंगल, झीलें, रेगिस्तान और बंजर जमीनें शामिल हैं तो इस हिसाब से अगर देखें तो पृथ्वी पर जो 29 फीसदी जमीन है, उसमें मनुष्य के रहने लायक 10-15 फीसदी ही है, जिस पर पूरी दुनिया में इंसान शहर और गांवों में रहता है.

बेशक शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी पृथ्वी के कुल जमीनी क्षेत्र का केवल 1-3% हिस्सा शहरी क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत है. विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र के डेटा के अनुसार, यह लगभग 1.5 मिलियन से 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर के बीच है.

यानि दुनिया का केवल 3-4 फीसदी ही मानव से आबाद
इसमें भी जमीनी क्षेत्र का बड़ा हिस्सा (लगभग 50%) कृषि, चरागाह, और वानिकी के लिए उपयोग होता है. यह रिहाइश से अलग है, लेकिन मानव जीवन को सहारा देता है. अगर कुल पृथ्वी (510 मिलियन वर्ग किलोमीटर) के हिसाब से देखें, तो रिहाइश वाला जमीनी क्षेत्र 3-4% के आसपास आता है.

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