धनबाद की कवयित्री सुधा ने रचा इतिहास, लंदन हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

Last Updated:
धनबाद की कवयित्री सुधा राजस्वी मिश्रा ने हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड, लंदन में ‘बेस्ट कवयित्री’ का सम्मान जीता. उनकी कविताएं महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्मबल पर केंद्रित हैं. वे BBMKU से पीएचडी कर रही हैं.

कवयित्री सुधा राजस्वी मिश्रा
हाइलाइट्स
- सुधा मिश्रा ने हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में ‘बेस्ट कवयित्री’ का सम्मान जीता.
- सुधा मिश्रा की कविताएं महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्मबल पर केंद्रित हैं.
- सुधा मिश्रा BBMKU से पीएचडी कर रही हैं.
धनबाद. धनबाद की प्रसिद्ध कवयित्री सुधा राजस्वी मिश्रा ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा से न केवल झारखंड बल्कि पूरे भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है. गोविंदपुर, धनबाद की रहने वाली सुधा मिश्रा को हाल ही में हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड, लंदन द्वारा आयोजित वर्चुअल कवि सम्मेलन में ‘बेस्ट कवयित्री’ के रूप में सम्मानित किया गया. उनकी लेखनी और काव्यशक्ति ने उन्हें वैश्विक स्तर पर एक विशिष्ट पहचान दिलाई है.
लोकल 18 की टीम से विशेष बातचीत में सुधा मिश्रा ने अपने साहित्यिक सफर और संघर्षों को साझा किया. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी का दौर उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. इस कठिन समय में, जहां पूरी दुनिया ठहर गई थी, वहीं उन्होंने अपनी लेखनी को और निखारा. उन्होंने कहा, “कोरोना काल ने मुझे अपनी प्रतिभा को और अधिक निखारने का अवसर दिया। 8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर, दिल्ली से मुझे महिला केंद्रित पोइटरी लिखने का निमंत्रण मिला. मेरी कविता को जबरदस्त सराहना मिली, जिसके बाद मुझे दिल्ली बुलाया गया और वहीं से मेरी यात्रा शुरू हुई.”
‘कविता ने उन्हें चुना’
सुधा मिश्रा का मानना है कि उन्होंने कवि बनने का निर्णय नहीं लिया, बल्कि कविता ने उन्हें चुना. उनके शब्दों ने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी और उनकी रचनाएं लगातार लोकप्रिय होती गईं. उनके लिखने की विशिष्टता और भावनात्मक गहराई ने उन्हें साहित्यिक जगत में एक अलग पहचान दिलाई. उनकी चर्चित कृतियों में ‘शिवायन, साहित्य ग्रंथ, जश्न-ए-आजादी, हिंदी हिंदुस्तानी प्यारा भाषा, हिंदी कथा, मैं नारी अभिमानी, मैं नारी हूं इस युग का’ शामिल हैं. उनकी एक प्रसिद्ध कविता, जो महिलाओं के आत्मबल और स्वतंत्रता को समर्पित है, विशेष रूप से लोकप्रिय हुई: “तोड़ दो सारी बेड़ियों को, उड़ चलो उन्मुक्त गगन में, वीरांगनाएं हो तुम, पाओ जो तुमको पाना है, तुम ही से तो यह जहां है, तुम ही से यह जमाना है.”
युवाओं को प्रेरित करते हुए सुधा राजस्वी मिश्रा कहती हैं कि सपनों को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास और समर्पण जरूरी है. उन्होंने कहा, “जो लोग यह सोचते हैं कि वे किसी कार्य को करने में असमर्थ हैं, उन्हें अपने भीतर की शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है. यदि आप पूरे समर्पण के साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी.” उनकी एक प्रेरणादायक कविता युवाओं के लिए संदेश देती है “भागते रहो अपने लक्ष्य के पीछे क्योंकि आज नहीं तो और कभी लोग करेंगे गौर कभी, लगे रहो बस रुकना मत आएगा तुम्हारा भी दौर कभी, करेंगे लोग तुम पर भी गौर कभी, बहते रहना नदी की तरह समंदर को भी रहेगा इंतजार तुम्हारा कभी ना कभी.”
44 देशों के हिंदी साहित्यकारों ने लिया हिस्सा
हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड, लंदन द्वारा 10 से 19 जनवरी तक आयोजित ‘हिंदी की वैश्विक यात्रा – बुलंदी पर हिंदी’ वर्चुअल कवि सम्मेलन में 44 देशों के हिंदी साहित्यकारों ने हिस्सा लिया. इस 220 घंटे के अनवरत चलने वाले वैश्विक साहित्यिक आयोजन में सुधा मिश्रा ने झारखंड का प्रतिनिधित्व किया और अपनी कविता “भाषा वह कोई भाषा है, जिसमें तेरी अभिलाषा सिमट रही, बिन हिंदी लागत तू जैसे भोजन में ना नमक रही…” प्रस्तुत कर खूब वाहवाही बटोरी. सुधा मिश्रा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई साहित्यिक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है. उनकी कविताएं झारखंड, मेरठ, झांसी, कानपुर, ग्वालियर सहित कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं.
वर्तमान में वे धनबाद के बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (BBMKU) से पीएचडी कर रही हैं. इसके अलावा, वे नारायणी साहित्य मंच की अध्यक्ष और पर्यावरण मित्र संयोजिका भी हैं. सुधा मिश्रा ने कहा, “महिलाएं खुद को कमजोर न समझें. यदि वे अपने कौशल और क्षमता को पहचानें और अवसरों का निर्माण करें, तो वे किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं.” उनका मानना है कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता महिलाओं को सशक्त बनाती है. सुधा मिश्रा का साहित्यिक सफर यहीं नहीं रुकेगा. वे भविष्य में भी हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं. उनका लक्ष्य हिंदी भाषा और साहित्य को वैश्विक मंचों पर और अधिक सशक्त बनाना है.
Dhanbad,Jharkhand
March 03, 2025, 15:33 IST
