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दुनिया का पहला मंदिर, जहां गिलहरी के रूप में विराजमान हैं हनुमान,जानें मान्यता

Agency:News18 Uttar Pradesh

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Aligarh Shri Gilahraj Hanuman Mandir: यूपी के अलीगढ़ में भगवान श्री राम के भक्त हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में बजरंगबली यहां गिलहरी के रूप में पूजे जाते हैं. वहीं, इस मंदिर के आसपास लगभग 50 से अ…और पढ़ें

दुनिया का पहला मंदिर, जहां गिलहरी के रूप में विराजमान हैं हनुमान,जानें मान्यता

विश्व का एकमात्र मंदिर जहां भगवान हनुमान जी गिलहरी के रूप में हैँ विराजमान 

हाइलाइट्स

  • अलीगढ़ में गिलहरी रूप में हनुमान जी का मंदिर है.
  • 41 दिन पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.
  • मंदिर की प्राचीनता महाभारत काल से जुड़ी है.

अलीगढ़: देशभर में भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी के अनेकों मंदिर हैं. ऐसे में हर मंदिर की अपनी-अपनी अलग मान्यता और आस्था है. इन मंदिरों में हनुमान जी की विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है. ऐसे में यूपी के अलीगढ़ में हनुमान जी का एक अनोखा मंदिर है. यह मंदिर दुनियाभर में मशहूर है. यहां हनुमान जी को गिलहरी के रूप में पूजा जाता है. बता दें कि अचल सरोवर के किनारे हनुमान जी का श्री गिलहराज महाराज मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है. बजरंगबली यहां गिलहरी के रूप में पूजे जाते हैं. यहां आसपास करीब 50 से ज्यादा मंदिर हैं, लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यताएं सबसे अलग हैं.

मंदिर के महंत ने बताया

मंदिर के महंत योगी कोशल नाथ बताते हैं कि श्री गिलहराज जी महाराज के इस प्रतीक की खोज सबसे पहले पवित्र धनुर्धर ‘श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज’ ने की थी. जो एक सिद्ध संत थे. जिनके बारे में माना जाता है कि वह हनुमान जी से सपने में मिले थे. वह अकेले थे, जिसे पता था कि भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने पहली बार हनुमान को गिलहरी के रूप में पूजा था. यह पूरे विश्व में अचल ताल के मंदिर में खोजा जाने वाला एकमात्र प्रतीक है. जहां भगवान हनुमान जी की आंख दिखाई देती है.

मंदिर के महंत ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था. बताया जाता है कि हनुमान जी ने सपने में उन्हें दर्शन दिया और कहा कि वह अचल ताल पर निवास करते हैं. वहां मेरी पूजा करो. जब उस महंत ने अपने शिष्य को खोज करने के लिए वहां भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत गिलहरियां मिलीं. उन्हें हटाकर जब उस जगह को खोदा तो वहां से मूर्ति निकली.

जानें मंदिर की प्राचीनता

यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी. जब महंत जी को इस बारे में बताया गया तो वह अचल ताल पर आ गए. इस मंदिर को बहुत प्राचीन बताया जाता है, लेकिन उस समय का क्या आकलन है. ये पुजारी नहीं बता पाए, लेकिन इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान इससे लगाया जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने यहां अचल ताल पर पूजा की थी.

मंदिर में पूजा करने से कष्ट हो जाते हैं दूर

कहा जाता है कि इस मंदिर में 41 दिन पूजन करने से कष्ट दूर हो जाते हैं. यहां दर्शन करने से ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. खासतौर पर शनि ग्रह के प्रकोप से गिलहराज जी प्रसिद्ध मंदिर को गिर्राज मंदिर भी कहते हैं. वहीं, अन्य मंदिरों की बात करें तो मान्यता के अनुसार हनुमानजी को एक से अधिक चोला एक दिन में नहीं चढ़ाते हैं, लेकिन यहां दिनभर में बजरंगबली को 50-60 कपड़ों के चोले रोज भक्त चढ़ाते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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